वसीयत और रजिस्ट्री से जुड़े दस्तावेजों को ऑनलाइन रजिस्टर्ड कराने के लिए लगाई गई जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी को 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से इस मामले में अगस्त में ही सरकार को निर्देश दिए गए थे कि वह जल्द से जल्द प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री और वसीयत से जुड़े दस्तावेजों को ऑनलाइन रजिस्टर कराने की सुविधा आम लोगों तक पहुंचाए.
दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले में केजरीवाल सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामा से असंतुष्ट दिखा. सरकार ने हलफनामे में ये तो बताया है कि कोई भी व्यक्ति अपने डेटा सर्च करने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन रजिस्ट्री और वसीयत को लेकर ऑनलाइन व्यवस्था पर हाई कोर्ट के पुराने आदेशों का पालन न करने पर अदालत दिल्ली सरकार से नाराज दिखी.
कोर्ट ने इससे पहले अगस्त और सितंबर में दिल्ली सरकार को निर्देश जारी किए थे कि दस्तावेजों और वसीयत को रजिस्टर कराने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था आम जनता को जल्द से जल्द सरकार मुहैया कराए. लेकिन सरकार ने कोर्ट के पुराने 2 आदेशों का पालन नहीं किया जिस पर कोर्ट नाराज दिखा.
कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर अगस्त और सितंबर में दिए अपने पुराने आदेश में कहा था कि आम लोगों को लंबी लाइनों से बचाने और कोविड-19 काल में सहूलियत को देखते हुए सरकार को ऑनलाइन व्यवस्था को जल्द से जल्द लागू करना चाहिए. कोर्ट ने कहा 10वीं और 12वीं के छात्र अपनी परीक्षाओं और पढ़ाई हर चीज को ऑनलाइन माध्यम से कर रहे हैं, कोर्ट में सुनवाई और कोर्ट फीस ऑनलाइन जमा हो रही है तो फिर दिल्ली सरकार वसीयत रजिस्टर कराने जैसी चीजों के लिए ऑनलाइन व्यवस्था क्यों नहीं कर सकती. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कहा कि अलग-अलग राज्यों में ई रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था ऑनलाइन दी जा रही है, तो ऐसे में दिल्ली सरकार इसे क्यों लागू नहीं कर सकती?
दिल्ली हाई कोर्ट दरअसल उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है जो कोविड के मद्देनजर जून में सीनियर सिटीजंस को वसीयत को ऑनलाइन रजिस्टर कराने की सुविधा देने के लिए लगाई गई थी. यह याचिका वकील गौरव गंभीर की तरफ से लगाई गई थी. इसमें कहा गया था कि खुद सरकार ने जब ये नोटिफिकेशन निकाला है कि बुजुर्ग कोविड के इस दौर में घर से बाहर नहीं निकल सकते, तो ऐसे में वसीयत को ऑनलाइन रजिस्टर्ड कराने की व्यवस्था सीनियर सिटीजन को दिल्ली सरकार द्वारा दी जाए. कोर्ट अब आगे इस मामले की सुनवाई 24 नवंबर को करेगा.