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दिल्ली: वाटर लेवल से 35 फीट नीचे पहुंचे गोताखोर, सालों से बंद ITO बैराज का गेट खोलने की कोशिश

Delhi flood: आईटीओ बैराज के बाकी के 4 दरवाजे आज दोपहर से पहले खुल जाने की संभावना है. विशेषज्ञों और गोताखोरों की एक टीम इस मिशन को अंजाम देने के लिए लगातार जुटी हुई है. शनिवार शाम को नेवी की टीम आईटीओ ब्रिज पर पहुंच गई थी.

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इंजीनियरिंग रेजिमेंट कर्मचारी आईटीओ के यमुना पुल के गेट को खोलते हुए (Photo- PTI)
इंजीनियरिंग रेजिमेंट कर्मचारी आईटीओ के यमुना पुल के गेट को खोलते हुए (Photo- PTI)

दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर लगातार कम हो रहा है और जिस आईटीओ बैराज को लेकर पिछले दो दिन से लगातार बयानबाजी हो रही है, उसके बाकी के 4 फाटक आज दोपहर से पहले खुल जाने की संभावना है. विशेषज्ञों और गोताखोरों की एक टीम वाटर लेवल से 35 फीट नीचे जाम हुए गेट्स को साफ करने के लिए लगातार काम कर रही है. हर हिस्से से प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए गेट खुले रहेंगे. आर्मी, नेवी, विशेषज्ञ और गोताखोरों की टीम इसे खोलने के लिए लगातार जुटी हुई है.

आज खुल जाएंगे सभी गेट

विशेषज्ञों की टीम का कहना है दोपहर 12:00 बजे के पहले चारों दरवाजे खोले जा सकते हैं जिसके बाद पानी इन दरवाजों से निकलकर आगे बह जाएगा. शनिवार को ही TO बैराज का पहला जाम हुआ गेट खोला गया था. गोताखोर टीम ने पानी के नीचे से सिल्ट कंप्रेसर द्वारा निकाली, फिर हाईड्रा क्रेन से गेट को खींचकर खोला था. दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि अरविंद केजरीवाल जी के दिशा- निर्देश पर हरियाणा सरकार के आईटीओ ब्रिज के बैराज पर मौजूद हूं. अपनी ही देखरेख में बाकी 4 गेट्स खुलवाने का कार्य करवा रहा हूं.

आईटीओ बैराज के बचे हुए चार गेट खोलने की कोशिशें जारी (फोटो- पीटीआई)

दशकों से बंद पड़े थे पांच गेट

इस बैराज में कुल 32 गेट हैं, जिसमें से 27 खुले हैं और पांच बंद हैं. पांच बंद गेट्स में से एक गेट शनिवार को कड़ी मशक्कत के बाद खोला गया.यमुना में दशकों बाद इतनी भीषण बाढ़ आई जिसकी वजह से पांच बंद गेट्स  को खोलना पड़ा. लंबे समय तक बंद रहने की वजह से इन गेट्स  में सिल्ट जमने के साथ-साथ गेट्स में जंक लगता गया. पहले गोताखोरों और इंजीनियरों की टीम ने सिल्ट और जंक को साफ किया जिसके बाद गेट्स को खोलने का काम शुरू किया गया.

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हरियाणा सरकार ने लिया संज्ञान

इससे पहले आईटीओ के नजदीक बैराज के 32 में से 5 गेट ना खुलने की मीडिया रिपोर्टस का मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने लिया कड़ा संज्ञान लिया. मुख्यमंत्री ने सिंचाई विभाग के दो Engineer in Chief की अध्यक्षता में फैक्ट फाईंडिंग कमेटी बनाई है जो 48 घंटे में सभी पहलुओं की जांच करेगी और मुख्यमंत्री को सौपेंगी.

जरूरी था गेट्स का खुलना

दरअसल हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद यमुना का जल स्तर खतरे के निशान से काफी ऊपर चले गया था. इसकी वजह से दिल्ली में बाढ़ जैसे हालात हो गए और कई इलाके जलमग्न हो गए. अगर बैराज के सभी गेट खुले होते तो पानी नजदीकी इलाकों में घुसने की बजाय सीधे निकल गया होता. ऐसे में सालों से बंद पड़े बैराज के ये गेट खोलने जरूरी हो थे. अब अगर आने वाले दिनों में अगर हथिनीकुंड बैराज से औऱ पानी छोड़ा जाता है या दिल्ली में अधिक बारिश होती है तो फिर इन खुले गेट्स से पानी तेजी से निकल सकेगा.

आईटीओ की सड़क पर बाढ़ के बाद हो गया था जलभराव

प्रगति मैदान अंडरपास बंद

वहीं प्रगति मैदान अंडर पास पर कल देर रात बारिश की वजह से पानी भरा और साथ ही यहां एक नाला टूट गया जिस से यहां काफी जल जमाव हो गया. रविवार को यहां एक कार डूब कर फंस गई थी. सोमवार को जब दफ्तर खुलेंगे तो जाम की स्थिति देखने को मिल सकती है क्योंकि नोएडा की तरफ आने वाले लोग अमूमन इस अंडर पास का इस्तेमाल करते हैं. फिलहाल यहां बड़ी संख्या में सिविल डिफेंस के लोग तैनात कर दिए गए हैं.

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हरियाणा के आरोप पर बोले सीएम

वहीं हरियाणा सरकार ने आरोप लगाया है कि आईटीओ बैराज के मेंटिनेंस का पैसा दिल्ली सरकार ने नहीं दिया. इस आरोप पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'मैंने अभी-अभी पता किया है कि आप पैसा हम नहीं देते एनटीपीसी दिया करती थी. एनटीपीसी केंद्र के अधीन काम करती है. इस बारे में एनटीपीसी से पूछा जाए इस बारे में वह गलत बोल रहे हैं. पांच-छह दिन से जब से यह बात मीडिया में आई कि गेट नहीं खोल रहे तब से कोई ना कोई वह बहाना ढूंढ रहे हैं. मैंने अभी-अभी सौरभ भारद्वाज से पता किया है कि एनटीपीसी पैसे देती थी.'

पेयजल आपूर्ति बाधित

दिल्ली जल बोर्ड के वजीराबाद और चंद्रावल स्थित जल शोधन संयंत्र बंद होने से एनडीएमसी क्षेत्र में जलापूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है. एनडीएमसी ने कहा कि निवासियों को सलाह दी जाती है कि वे पानी का उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से करें और पानी का उपयोग केवल सबसे आवश्यक आवश्यकताओं के लिए ही सीमित करें. सभी निवासियों और व्यवसायों को अगली सूचना तक पानी के उपयोग को गंभीर रूप से सीमित करना चाहिए. एनडीएमसी इस कठिन परिस्थिति से उबरने में मदद के लिए सभी से सहयोग और समझ का अनुरोध करती है.

दिल्ली में साल 1900 के बाद कई बड़ी बाढ़ आईं. 1924, 1947, 1976, 1978, 1988, 1995, 2010, 2013 में दिल्ली के तमाम इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया. अब 2023 में यमुना के जलस्तर ने 1978 का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. रिसर्च के अनुसार, 1963 से 2010 तक का एनालिसिस बताता है कि दिल्ली में सितंबर में बाढ़ आने प्रवृत्ति बढ़ती है और जुलाई में बाढ़ घटने के संकेत मिलते हैं.

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