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पटाखों से प्रदूषण होता है, इसमें कोई हिंदू मुसलमान की बात नहीं: अरविंद केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि प्रदूषण के मद्देनजर हमें पटाखों के बदले दीये जलाना चाहिए, यह लाइट्स का त्यौहार है, दीये और मोमबत्ती जलाकर त्योहार मनाएं न कि पटाखे जलाएं.

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दिल्ली के पूर्व CM अरविंद  केजरीवाल (फाइल फोटो)
दिल्ली के पूर्व CM अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में दिवाली के मौके पर पटाखों पर बैन लगाया गया है. पटाखों पर प्रतिबंध को लेकर उठ रहे सवालों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "यह तो सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पटाखे न जलाएं. ऐसा करके हम अपने ऊपर ही एहसान कर रहे हैं. इसमें हिंदू मूसलमान जैसी कोई बात नहीं है."

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि प्रदूषण के मद्देनजर हमें पटाखों के बदले दीये जलाना चाहिए, यह लाइट्स का त्यौहार है, दीये और मोमबत्ती जलाकर त्योहार मनाएं न कि पटाखे जलाएं. उन्होंने आगे कहा कि पटाखे जलाने से प्रदूषण होता है, इसमें कोई हिंदू मुसलमान की बात नहीं है, सबकी जिंदगी जरूरी है.

'सख्ती करना बेहद जरूरी'

मौलाना तौकीर रजा के मुताबिक, दीपावली रोशनी का त्यौहार है, न की धमाकों और पटाखों का त्यौहार है. उन्होंने कहा कि आपकी खुशी का इजहार करने में अगर वातावरण में प्रदूषण फैल रहा है, तो वह खुशी का इजहार दरअसल खुशी नहीं कहलाएगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगे लेकिन सीमा तय कर दी जाए. मौलाना तौकीर राजा के मुताबिक अगर किसी की खुशी से जान-माल की हानि हो रही है, तो उसे पर सख्ती करना बेहद जरूरी है. 

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यह भी पढ़ें: दिवाली से पहले प्रदूषण का ठीकरा पटाखों पर क्यो फोड़ते हैं लोग? देखें ब्लैक एंड व्हाइट विश्लेषण

'AQI में खतरनाक बढ़ोतरी...'

हाल के वर्षों में, खासकर दिवाली जैसे त्यौहारों के दौरान पटाखों पर प्रतिबंध, चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है, खासकर दिल्ली जैसे शहरी इलाके में. यह प्रतिबंध मुख्य रूप से त्यौहारों के मौसम में शहरों में होने वाले गंभीर वायु प्रदूषण को दूर करने के मकसद से लगाया गया है. पटाखों के जलने से वातावरण में काफी मात्रा में हानिकारक प्रदूषक निकलते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता सूचकांक के स्तर में खतरनाक बढ़ोतरी होती है. स्टडी से पता चला है कि पटाखों से निकलने वाले कण और जहरीली गैसें लोगों में सांस संबंधी समस्याओं, हृदय संबंधी बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती हैं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों जैसे कमजोर समूहों को प्रभावित करती हैं.

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