देश की राजधानी दिल्ली इस वक्त सांसों के लिए तड़प रही है. सरकार की ओर से भले ही ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन ज़मीन पर लोगों को खुद ही ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. जैसा हाल ऑक्सीजन को लेकर है, वैसा ही हाल अस्पतालों में बेड्स की मारामारी को लेकर भी है.
दिल्ली के एक परिवार की दर्द भरी कहानी...
62 साल के रमेश भाटिया जो कोरोना पॉजिटिव हैं, उनका ऑक्सीजन लेवल 60 तक पहुंच गया. उनका परिवार अस्पताल में बेड के लिए एक जगह से दूसरी जगह चक्कर काटता रहा. ऑटो रिक्शा में रमेश भाटिया की पत्नी, बेटी ये संघर्ष कर रहे थे, जब बेड नहीं मिला तो नारायणा विहार के प्लांट में खुद ही ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाने पहुंच गए. लेकिन यहां भी कोई चमत्कार नहीं हो रहा है, क्योंकि पहले ही सैकड़ों लोग लाइन लगाकर खड़े हैं.
रमेश भाटिया की पत्नी नीना भाटिया का कहना है कि हमने 5-6 अस्पतालों में गुहार लगाई, लेकिन बेड नहीं मिला. एक अस्पताल ने कहा कि यहां बेड नहीं है, अपना वक्त जाया ना करें. दूसरे अस्पताल वाले ने कहीं और कोशिश करने के लिए कहा, साथ ही कहा कि ढूंढने से तो भगवान भी मिल जाते हैं. लेकिन नीना भाटिया का जवाब था कि उन्हें भगवान भी नहीं मिले हैं.
रिफिलिंग सेंटर के बाहर रमेश भाटिया की बेटी, पत्नी सिलेंडर भराने के इंतजार में हैं. उनका कहना है कि अस्पताल में जगह नहीं मिली है, ऐसे में सिलेंडर भरवाकर घर पर ही जाएंगे.
क्लिक करें: 'ऑक्सीजन की कमी से ना हो मौत, सुनिश्चित करें सप्लाई', HC का आदेश
फूट रहा है लोगों का गुस्सा
यहां रिफिलिंग सेंटर पर कई और लोग भी लंबे वक्त से इंतजार में खड़े हैं. इन्हीं में से एक व्यक्ति ने कहा कि वो रात दो बजे से लाइन में खड़े हैं, अस्पताल कहते हैं कि मरीज का घर पर इलाज करो. लेकिन हम कैसे करें, ऑक्सीजन कहां से लाएं.
क्लिक करें: कोरोना का कहर: टेस्ट, बेड और श्मशान के बाद सूरत में डेथ सर्टिफिकेट के लिए लाइन
एक दूसरे व्यक्ति ने कहा कि उनके कई रिश्तेदारों को इस वक्त ऑक्सीजन की जरूरत है, लेकिन क्या कोई नेता या पार्टी इस वक्त मदद कर रही है किसी को भी फर्क नहीं पड़ रहा है. दरअसल, अब दिल्ली में इस वक्त हालात इतने खराब हैं कि रिफिलिंग सेंटर के बाहर अस्पतालों की एम्बुलेंस भी कतार में हैं और ऑक्सीजन भरवाने के इंतजार में हैं.
गौरतलब है कि दिल्ली के कई अस्पतालों का यही हाल है, जहां ऑक्सीजन और बेड्स दोनों की ही किल्लत है. सरकार लगातार बेड्स की संख्या बढ़ाने का दावा कर रही है, लेकिन मरीजों की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं. कई अस्पताल ऑक्सीजन के लिए अदालत का रुख कर रहे हैं, तो मरीजों को एक अदद बेड के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.