दिल्ली के मुख्य सचिव को लिखे एक पत्र के जरिए केंद्र सरकार ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा है. पत्र में कहा गया है कि कोरोना संकट के बीच मरीजों की जान बचाने के लिए जब अस्पताल ऑक्सीजन पाने के लिए जूझ रहे थे. उस दौरान दिल्ली सरकार के प्रयास संतोषजनक नहीं थे.
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने पत्र में लिखा है कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश पिछले कुछ दिनों से तय की गई ऑक्सीजन को पाने के लिए टैंकर और अन्य चीजों के बंदोबस्त के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं लेकिन इस दौरान दिल्ली ने शायद ही कुछ ऐसा किया है.
पत्र में कहा गया है कि जिन राज्यों में कोई औद्योगिक विकास नहीं है. वो राज्य भी केंद्र सरकार की तरफ से आवंटित ऑक्सीजन पाने के लिए नए समाधान खोज रहे हैं और सभी संभव संसाधनों का उपयोग कर टैंकरों की व्यवस्था कर रहे हैं.
हालांकि, दिल्ली सरकार अब तक शायद ही किसी टैंकर की व्यवस्था कर पाई हो. दिल्ली सरकार से अनुरोध है कि इस संबंध में तत्काल कार्रवाई करें क्योंकि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों द्वारा ऐसा किया जा रहा है.
केजरीवाल के मुख्य सचिव विजय देव को लिखे पत्र में अजय भल्ला ने लिखा है कि यह ध्यान देने की जरूरत है कि दिल्ली सरकार ने INOX को दिल्ली के भीतर के 17 अस्पतालों को 98 मेट्रिक टन की सप्लाई का आदेश दिया हैं जबकि लंबे समय से पहले से INOX दिल्ली के 45 अस्पतालों को 105 मेट्रिक टन की सप्लाई कर रहा था.
इसके अलावा दिल्ली सरकार द्वारा 28 अस्पतालों के लिए ठीक से वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई जिसके चलते इनमें से कुछ अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की भारी कमी की शिकायत की गई और एक अस्पताल ने उल्लेख किया कि कुछ लोगों की मौत इस वजह से हुई है. दिल्ली सरकार अगर सही प्रबंधन और समय रहते उचित कदम उठाती तो यह मौतें टाली जा सकती थीं.
दिल्ली सरकार पर स्थिति से सही से नहीं निपट पाने का आरोप लगाते हुए पत्र में लिखा गया है कि दिल्ली के सभी अस्पतालों के साथ ऑक्सीजन की सप्लाई, और स्टोरेज संबंधी एक वर्चुअल मीटिंग की गई होती और उनका मार्गदर्शन किया गया होता तो मौत की यह घटनाएं टाली जा सकती थीं. ऐसे कदम सरकार की तरफ से सक्रियता से उठाए जाने चाहिए थे. दिल्ली सरकार को एक प्रभावी कंट्रोल रूम बनाना चाहिए जिससे की ऐसी अप्रिय घटनाओं को होने से रोका जा सके.