दिल्ली में इस साल भी कोरोना को देखते हुए छठ पूजा पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी गई हैं. बीजेपी ने इसे सीएम अरविंद केजरीवाल की तुष्टिकरण वाली राजनीति बता दिया है. अब आप ने भी बीजेपी पर पलटवार किया है. एक तरफ राज्य सरकार ने अपना स्टैंड स्पष्ट करने का प्रयास किया है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी को भी आईना दिखाया है.
आप ने केंद्र को याद दिलाई पुरानी गाइडलाइन
आप नेता गोपाल राय ने केंद्र को उसकी नीति याद दिलाते हुए कहा कि बीते साल कोरोना के चलते केंद्र सरकार के दिशा निर्देश आए थे कि छठ पूजा नहीं कराई जानी चाहिए. केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की जो गाइडलाइन थी उसके अनुसार एक्सपर्ट की राय थी कि सबसे ज्यादा कोरोना वायरस पानी मे फैलता है और छठ पूजा पानी में खड़े होकर की जाती है इसलिए पिछली बार केंद्र सरकार के दिशा निर्देश थे कि घर में रहकर लोग छठ पूजा करें.
गोपाल राय ने आगे बताया कि इस साल उसी को देखते हुए दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने यह निर्णय लिया छठ पूजा कोविड गाइडलाइन के अनुसार ही होनी चाहिए. लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से छठ पूजा को लेकर राजनीति करने की कोशिश की वह इस बात को दिखा रहा है कि कहीं ना कहीं इसमें बीजेपी को पूर्वांचलयों के सम्मान की चिंता नहीं है बल्कि वह यह सब इसलिए कर रही है क्योंकि उसको लग रहा है कि डूबते को तिनके का सहारा ही बहुत है.
मनोज तिवारी की चिट्ठी पर कसा तंज
वहीं क्योंकि मनोज तिवारी ने इसे मुस्लिम तुष्टिकरण का नाम दे दिया था,ऐसे में आप नेता ने उन पर तंज कसा है. बयान में कहा गया है कि मुझे लगता है कि मनोज तिवारी जी को जिस तरह से बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के बाद साइड किया उसके बाद से वो उछल कूद कर रहे हैं लेकिन मुझे लगता है कि यह सही वक्त नहीं है. मनोज तिवारी दोयम दर्जे के नेता हैं. वह सांसद हैं सांसद के तौर पर जो उनके काम हैं वह करें लेकिन मामला भाजपा का है आखिर भाजपा ने अभी तक गाइडलाइंस को जारी नहीं करी. केंद्र सरकार अभी तक क्यों हाथ पर हाथ रख कर बैठी हुई है?
आम आदमी पार्टी ने यहां तक दावा कर दिया कि उनकी सरकार के दौरान ही छठ पूजा का आयोजन बड़े स्तर पर हुआ है, बीजेपी सरकार के दौरान तो छठ का आयोजन तक नहीं किया जाता था.