कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने दिल्ली में सोमवार रात दस बजे से 26 अप्रैल तक के लिए राजधानी में लॉकडाउन लगा दिया है. केजरीवाल के लॉकडाउन का सियासी असर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (डीएसजीएमसी) चुनाव पर भी पड़ता हुआ दिख रहा है. डीएसजीएमसी का चुनाव 25 अप्रैल रविवार को होना है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या डीएसजीएमसी चुनाव कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते आगे के लिए क्या टाला जा सकता है?
कोरोना संकट के बीच दिल्ली में डीएसजीएमसी के चुनाव को लेकर उपराज्यपाल को अंतिम फैसला लेना है, लेकिन इसके लिए दिल्ली सरकार ने पहल कर दी है. दिल्ली सरकार के गुरुद्वारा चुनाव विभाग ने चुनाव निदेशालय को निर्देश जारी कर दिया है. साथ ही विभाग की तरफ से उपराज्यपाल को पत्र लिखकर चुनाव स्थगित करने की सिफारिश की गई है. वहीं, सिख संगठन भी डीएसजीएमसी चुनाव टालने की अपील कर चुके हैं.
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) पर शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) का कब्जा है. बादल गुट को पिछले दो चुनावों से लगातार जीत मिली है, लेकिन इस बार उनके सामने सत्ता बचाने की चुनौती है. साल 2010 में दिल्ली गुरुद्वारा एक्ट 1971 के नियम-14 में किए गए बदलाव को हाई कोर्ट ने लागू करने को कहा है. इस नियम के अनुसार सिर्फ सोसाइटी एक्ट के तहत पंजीकृत पार्टियां ही डीएसजीपीसी चुनाव लड़ सकती है. शिअद बादल और शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (सरना) चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं.
डीएसजीपीसी के 55 सदस्यों में से 46 संगत द्वारा चुने जाते हैं. इनके अतिरिक्त श्री अकाल तख्त साहिब, तख्त श्री पटना साहिब, तख्त श्री केशगढ़ साहिब तथा तख्त श्री हुजूर साहिब के जत्थेदार भी डीएसजीपीसी के सदस्य होते हैं. इसी तरह से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का एक प्रतिनिधि भी डीएसजीपीसी का सदस्य होता है. इसके साथ ही दिल्ली के सिंह सभाओं के प्रधानों में से दो को डीएसजीपीसी का सदस्य बनाया जाता है, जिनका चयन लाटरी के जरिए होता है. इसके अलावा 46 सदस्यों के चुनाव हो रहे हैं.
46 वार्डों में 3 लाख 42 हजार मतदाता
डीएसजीएमसी चुनाव के लिए 25 अप्रैल को मतदान प्रस्तावित है. कुल 46 वार्डों में चुनाव है, जिसमें 3 लाख 42 हजार से अधिक मतदाताओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करना है. हालांकि, कोरोना संक्रमण के मामले जिस तरह से बढ़े हैं और केजरीवाल सरकार ने एक सप्ताह का लॉकडाउन लगाया है, उसके चलते डीएसजीएमसी चुनाव पर संकट के बादल मडराने लगे हैं.
नियम के अनुसार प्रत्येक चार वर्षों में डीएसजीपीसी के चुनाव होने चाहिए, लेकिन, किसी न किसी कारणवश इसमें विलंब भी होता रहा है. पहला चुनाव 1974 में और दूसरा 1979 में हुए लेकिन, उसके बाद 1995 में चुनाव हुआ, वर्ष 2002, वर्ष 2007, साल 2013 और साल 2017 में भी चुनाव हुए. इसके बाद अब 2021 में डीएसजीपीसी के लिए चुनाव हो रहे हैं.