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संघ का बैकग्राउंड, DU की पॉलिटिक्स, 3 बार पार्षद... जानिए कौन हैं BJP की दिल्ली मेयर उम्मीवार रेखा गुप्ता

दिल्ली एमसीडी में बीजेपी ने मेयर पद के लिए रेखा गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है. रेखा गुप्ता तीसरी बार पार्षद चुनी गई हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुकीं रेखा, संघ से भी जुड़ी रही हैं. ऐसे में इस बार बीजेपी ने उन्हें आम आदमी पार्टी की तरफ से मेयर पद की प्रत्याशी शैली ओबेराय के सामने उतारा है.

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बीजेपी मेयर प्रत्याशी रेखा गुप्ता
बीजेपी मेयर प्रत्याशी रेखा गुप्ता

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) मेयर, डिप्टीमेयर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य के लिए बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. एमसीडी में मेयर पद के लिए बीजेपी ने रेखा गुप्ता को प्रत्याशी बनाया है जबकि डिप्टीमेयर के लिए कमल बागड़ी पर दांव खेला है. स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य के लिए कमलजीत शेहरावत, गजेन्द्र दराल और पंकज लूथरा को प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी के सभी प्रत्याशी मंगलवार को ही अपना-अपना नामांकन दाखिल करेंगे. 

बीजेपी ने मेयर, डिप्टीमेयर और स्टैंडिंग कमेटी के लिए किसी निर्दलीय पर दांव लगाने के बजाय अपने पार्षदों पर भरोसा जताया है. गजेंद्र दराल जरूर निर्दलीय पार्षद चुने गए हैं, लेकिन उन्होंने सोमवार को बीजेपी का दामन थाम लिया था. ऐसे में सभी के मन में है कि आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय के सामने दिल्ली मेयर पद के लिए बीजेपी से उतरी रेखा गुप्ता कौन है? 

तीसरी बार शालीमार बाग से पार्षद

रेखा गुप्ता बीजेपी की कद्दावर नेता है और तीसरी बार शालीमार बाग से पार्षद चुनी गई हैं. बीजेपी ने नगर निगम में उनके राजनीतिक अनुभव और पार्टी के प्रति वफादारी को देखते हुए दिल्ली मेयर का प्रत्याशी बनाया है. रेखा गुप्ता का मुकाबला आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी शैली ओबेरॉय से है, जो पहली बार पार्षद चुनी गई हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय में अस्टिटेंट प्रोफेसर रही हैं. इस तरह से मेयर का चुनाव काफी रोचक होने जा रहा है? 

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रेखा गुप्ता का जन्म हरियाणा में हुआ था. उनके पिता स्टेट बैंक के ब्रांच मैनेजर रह चुके हैं. रेखा गुप्ता ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए की पढ़ाई कर रखी है. उन्होंने एआईआईएमए कॉलेज से एमबीए भी किया है. रेखा की शादी दिल्ली के बिजनेसमैन मनीष गुप्ता से हुई है. 

छात्र जीवन में ही रखा राजनीति की दुनिया में कदम

बीजेपी की मेयर उम्मीदवार रेखा गुप्ता ने छात्र जीवन में सियासत में कदम रख दिया था. वह छोटी उम्र से ही आरएसएस की मेंबर रहीं हैं. उनका राजनीतिक करियर 1992 में दौलत राम कॉलेज में दाखिले के बाद शुरू हुआ. कॉलेज में रेखा एबीवीपी से जुड़ीं. 1994-95 के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय दौलत राम कॉलेज की सेक्रेटरी चुनी गई. 1996-97 तक दिल्ली यूनिवर्सिटी की अध्यक्ष भी रहीं. एबीवीपी से रेखा गुप्ता अध्यक्ष चुनी गई थी. 

रेखा गुप्ता ने छात्र राजनीति के बाद दिल्ली की सियासत में कदम रखा. दिल्ली के पीतमपुरा के उत्तरी वार्ड से पार्षद 2007 में चुनी गई. इसके बाद दोबारा से 2012 में भी इसी पीतमपुरा के उत्तरी वार्ड से पार्षद बनी, लेकिन 2017 में बीजेपी ने सभी पार्षदों का टिकट काटा तो उनका भी पत्ता कट गया था. इसके चलते वह चुनाव नहीं लड़ सकी. इसी दौरान बीजेपी ने उन्हें विधानसभा चुनाव का टिकट शालीमार बाग सीट से दिया. 

साल 2013 के विधानसभा चुनाव में देखा हार का मुंह

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साल 2013 के विधानसभा चुनाव में यह पहला मौका था जब रेखा गुप्ता को सियासी हार का मुंह देखना पड़ा था. रेखा को आम आदमी पार्टी की वंदना कुमारी ने करीब 11 हजार वोटों के अंतर से शिकस्त दी. हालांकि, काफी वक्त तक बीजेपी में काम करने के बाद अब उन्हें विधानसभा का टिकट दिया गया था, लेकिन हार से उन्होंने हौसला नहीं हारा. बीजेपी ने इस बार उन्हें शालीमार बाग से पार्षद का टिकट दिया और उन्होंने एक बार फिर से जीत दर्ज कर एमसीडी पहुंची हैं. ऐसे में बीजेपी ने उन्हें मेयर का प्रत्याशी बनाया है, लेकिन नंबर गेम न होने से मुकाबला कड़ा है. 

बीजेपी पिछले 15 सालों तक एमसीडी में कब्जा जमाए हुई थी, लेकिन इस बार के नगर निगम के चुनाव में बीजेपी के महज 104 पार्षद ही जीत सके हैं जबकि आम आदमी पार्टी के 134 पार्षद जीतकर आए हैं. इस चुनाव में कांग्रेस के सिर्फ 9 पार्षद है और तीन पार्षद निर्दलीय हैं. निर्दलीय पार्षदों में से एक ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. इस तरह से बीजेपी के पास कुल पार्षदों की संख्या 105 हो गई है, लेकिन अभी भी आम आदमी पार्टी के पास नंबर ज्यादा है. 

बीजेपी के दिल्ली में महापौर पद के लिए रेखा गुप्ता और उपमहापौर पद के लिए कमल बांगड़ी पर जीतने वाले उम्मीदवारों के लिए वैध मतों में 50 फीसदी मत प्राप्त करना अनिवार्य होगा. पहले स्थान पर रहने वाले उम्मीदवार को 50 फीसदी मत नहीं मिलने की स्थिति में दोबारा वोटिंग होगी. ऐसे में देखना है कि बीजेपी अपने उम्मीदवारों को कैसे मेयर और डिप्टीमेयर की कुर्सी पर बैठा पाती है? 

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