योगगुरू बाबा रामदेव के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई याचिका पर आज सुनवाई हुई. तमाम दलील सुनने के बाद कोर्ट ने फिलहाल इस मामले पर सुनवाई जुलाई में करने को कहा है. आईएमए ने बाबा रामदेव को पतंजलि के कोरोनिल के बारे में झूठे बयान और झूठी जानकारी फैलाने से रोकने की मांग की है.
सुनवाई के दौरान आईएमए ने कोर्ट को कहा है कि बाबा लोगों को वैक्सीनेशन ना लगाने के लिए कह रहे हैं, एलोपैथी को स्टूपिड साइंस कह रहे हैं, साथ ही डॉक्टरों का मजाक उड़ा रहे हैं, इसके अलावा कोरोनिल को लेकर बाबा ने जिस तरह के दावे किए उसे खुद स्वास्थ्य मंत्रालय ने खारिज कर दिया लेकिन इन दावों को लेकर उन्होंने 250 करोड़ रुपये की कोरोनिल बेच दी.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि आप ने रामदेव के खिलाफ सूट फाइल किया है जबकि आप जिस तरह की चीजें इसमें बता रहे हैं वह जनहित याचिका की शक्ल में दाखिल की जानी चाहिए, क्योंकि यह आम लोगों से जुड़ी हुई बातें हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर बाबा ने डॉक्टरों को लेकर आपत्तिजनक बातें की है तो उसके लिए उन पर मानहानि का मुकदमा दाखिल होना चाहिए.
इसके साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि कोई व्यक्ति शक्तिशाली है या नहीं? इससे हमें कोई लेना देना नहीं है, हमारा काम याचिकाओं पर सुनवाई करना है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हम नोटिस जारी कर भी देते हैं तो भी आपको इंटरिम रिलीफ नहीं देंगे. कोर्ट ने कहा कि हमें इस बात पर शंका है कि आप की तरफ से दाखिल की गई याचिका कोर्ट में ठहर पाएगी.
हाई कोर्ट ने कहा कि मान लीजिए 10 हज़ार लोगों ने कोरोनिल खरीदी, उसमें से साढ़े 9 हजार लोग इसका इस्तेमाल करने के बाद मर गए, उन्हें लगता था कि कोरोनिल से उनका इलाज हो जाएगा. मान लीजिए उसके बाद आप प्रेस में गए और आपने कहा कि कोरोनिल इस्तेमाल करने वाले 95 फ़ीसदी लोगों की मौत हो गयी. तो क्या इसके लिए बाबा रामदेव आपके ऊपर कोर्ट में सूट फाइल कर देंगे? किसी पर एलोपैथी काम करती है किसी पर नहीं, ये सिर्फ़ नजरिये की बात है.
इस पर आईएमए ने कहा कि कोरोनिल के पास कोई ऐसा सर्टिफिकेट नहीं है, जिससे ये साबित हो कि यह कोरोना का इलाज कर सकती है, जबकि बाबा रामदेव उसको इलाज के तौर पर ही प्रोजेक्ट कर रहे हैं वो लोगों को सच नहीं बता रहे हैं.
हाई कोर्ट ने कहा कि हमें बाबा रामदेव के कोरोनिल का प्रचार करने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वो डॉक्टरों को लेकर आगे कुछ आपत्तिजनक न कहें, नहीं तो फ़िर ये कभी न ख़त्म होने वाली बहस हो जाएगी. बाबा रामदेव के वक़ील ने कहा कि इसके लिए उन्होंने 23 मई को ही माफी मांग ली थी.
जस्टिस हरिशंकर ने कहा कि मैं ये देखना चाहता हूं कि इस मामले की सुनवाई की मीडिया में कवरेज किस तरह से होती है, कल जूही चावला के मामले की सुनवाई के दौरान गाने के मामले में जज ने कहा कि शुक्र है कि मैं इस याचिका पर सुनवाई नहीं कर रहा था. कोर्ट ने फिलहाल इस मामले पर आगे सुनवाई जुलाई में करने को कहा है.