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पर्सनल डेटा और APK फाइल... 'बाबा किस्मतवाले' टेलीग्राम चैनल पर क्या चल रहा था? बीटेक कर चुका शख्स निकला मास्टरमाइंड

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने एक इंटर-स्टेट साइबर ठगी गिरोह का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने जिस मास्टरमाइंड को पकड़ा है, वह एक टेलीग्राम चैनल चलाता था, जिसका टाइटल था- 'बाबा किस्मतवाले'. आरोपी अपने साथियों के साथ मिलकर खुद को सरकारी अधिकारी बताकर लोगों को झांसे में लेता था.

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बाबा किस्मतवाले टेलीग्राम चैनल की कहानी. (Photo: AI-generated)
बाबा किस्मतवाले टेलीग्राम चैनल की कहानी. (Photo: AI-generated)

दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट (पश्चिम जिला) ने एक बड़े इंटर-स्टेट साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश करते हुए इसके मास्टरमाइंड को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी बाबा किस्मतवाले नाम से टेलीग्राम चैनल चलाता था, जिसके माध्यम से लोगों का बैंकिंग और पर्सनल डेटा बेचा जा रहा था.

पश्चिम जिले के साइबर थाना अधिकारियों के अनुसार, गिरफ्तार आरोपी की पहचान निवाश कुमार मंडल के रूप में हुई है, जिसने कंप्यूटर साइंस में बी.टेक की पढ़ाई की है. उसके साथ एक अन्य आरोपी प्रदुम्न कुमार मंडल को झारखंड के जामताड़ा से गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने इस मामले में एक नाबालिग को भी हिरासत में लिया है.

छापेमारी के दौरान पुलिस ने आरोपियों के पास से 9 मोबाइल फोन, 5 एटीएम कार्ड, एक iPad और नकदी बरामद की है. जांच में सामने आया है कि यह गिरोह दिल्ली समेत कई राज्यों में लोगों को ठगने का काम कर रहा था. गिरोह के सदस्य खुद को दिल्ली जल बोर्ड, बिजली विभाग (BSES) या किसी बैंक के अधिकारी बताकर लोगों को फोन करते थे.

बातचीत के दौरान वे किसी तकनीकी खामी या बिल पेमेंट की धमकी देकर पीड़ितों को एक फर्जी APK फाइल भेजते थे. जैसे ही सामने वाला व्यक्ति वह फाइल डाउनलोड करता, उसका मोबाइल डिवाइस हैक हो जाता था. इसके बाद आरोपी उसके बैंक डिटेल्स और ओटीपी हासिल कर पूरे अकाउंट से पैसे उड़ा लेते थे.

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यह भी पढ़ें: 53 लाख कैश, 30 वाहन, 11 हजार बैंक खाते… राजस्थान में पकड़े गए साइबर गैंग के 30 आरोपी, सरकारी योजनाओं में किया फ्रॉड

पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि ठगी से प्राप्त राशि को आरोपी HP DriveTrack Plus कार्ड के जरिए एक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर करते थे, ताकि पैसे की ट्रेसिंग मुश्किल हो जाए. बाबा किस्मतवाले नाम से चलाया जाने वाला टेलीग्राम चैनल इस गिरोह का मुख्य नेटवर्क था, जहां से आरोपी बैंकिंग डेटा, मोबाइल नंबर और व्यक्तिगत जानकारी अन्य साइबर अपराधियों को बेचते थे.

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई दो लाख रुपए की ऑनलाइन ठगी की शिकायत के बाद शुरू की गई थी. शिकायतकर्ता ने बताया था कि एक सरकारी अधिकारी बनकर किसी ने उसे APK फाइल डाउनलोड करने के लिए कहा, जिसके बाद उसके अकाउंट से पैसे गायब हो गए.

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