गीतिका आत्महत्या मामले में 18 महीने तक जेल में बंद रहे गोपाल कांडा जमानत पर छूट गए हैं. लेकिन कांडा की जमानत पर सवाल उठ रहे हैं. सवाल यह कि गोपाल कांडा ने इसके लिए अपने रसूख का इस्तेमाल किया है और उन्हें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमानत मिली है.
कांडा कि जमानत यह सवाल गीतिका के भाई अंकित शर्मा ने उठाये हैं. गीतिका के परिजनो ने कहा कि अदालत ने उनकी दलील तक नहीं सुनी. उन्होंने कहा कि गोपाल कांडा ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमानत पायी है. उन्होंने अदालत से अपील की थी कि कांडा कि पत्नी के बीमार होने सम्बन्धी दस्तावेज की जांच के बाद ही उसकी जमानत पर फैसला हो.
गीतिका के भाई अंकित शर्मा ने कहा, ‘गोपाल कांडा का अपनी पत्नी के बीमार होने सम्बन्धित दस्तावेज पहली नजर में ही फर्जी लगता है.’
अंकित ने मांग की कि इन दस्तावेजों की जांच हो और उसके बाद ही गोपाल कांडा की जमानत पर फैसला हो. लेकिन अदालत ने उनकी दलील नहीं सुनी.
गीतिका के भाई अंकित शर्मा ने कहा, ‘गोपाल कांडा अब भी इतना पावरफुल है कि वह जेल में रहकर फर्जी कागजात बनवा कर जमानत लेने में कामयाब हो गया है. अब बाहर आने के बाद वह पावर का पूरा इस्तेमाल कर सकता है.’
अंकित ने सवाल उठाये है कि गोपाल कांडा की पत्नी का इलाज दिल्ली के जिस सरकारी अस्पताल में हुआ है उसकी ओपीडी के पेपर की तारीख और वार्ड का समय संशय पैदा करता है. जो दवा गोपाल कांडा की पत्नी को दी जा रही है वह उसके अनुसार उसे अस्पताल में होना चाहिए. ऐसी गम्भीर हालत में उसका इलाज घर पर ही क्यों हो रहा है? गोपाल कांडा गुड़गांव में रहते हैं लेकिन पत्नी का इलाज सरकारी ओपीडी में हो रहा है. ऐसे में उन्हे न्याय कि जल्द उम्मीद नहीं है.
मामला 5 अगस्त 2012 का है. हरियाणा के गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा के एमडीएलआर की एयरहोस्टेस गीतिका शर्मा ने अशोक विहार स्थित अपने घर पर ही फांसी कर लिया था और अपनी मौत के लिए गोपाल कांडा और अरुणा चड्डा को जिम्मेदार ठहराया था. अब 18 महीने बाद जमानत मिली है तो गीतिका के परिजन इसे गोपाल कांडा का प्रभाव मान रहे हैं. और आशंका जता रहे हैं कि अब इसका प्रभाव गवाहों पर भी पड़ सकता है.