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आधार कार्ड बनवाना हो गई मुसीबत, गांव वालों को चुकानी पड़ी ये कीमत

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के छुरियां ब्लॉक के करीब साढ़े तीन हजार ग्रामीणों का दाना पानी बंद हो गया है. इसके लिए उनका आधार कार्ड निशाने पर है. ग्रामीणों ने बड़ी गर्मजोशी के साथ अपना आधार कार्ड बनवाया था. लेकिन कुछ दिनों बाद ही उनको पता चला कि उनका आधार कार्ड तो बोगस है.

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आधार कार्ड में गड़बड़ी
आधार कार्ड में गड़बड़ी

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के छुरियां ब्लॉक के करीब साढ़े तीन हजार ग्रामीणों का दाना पानी बंद हो गया है. इसके लिए उनका आधार कार्ड निशाने पर है. ग्रामीणों ने बड़ी गर्मजोशी के साथ अपना आधार कार्ड बनवाया था. इसे बनवाने के लिए गांव में मुनादी हुई. सारे ग्रामीण दिन भर आधार कार्ड बनवाते रहे. जब आधार कार्ड बन कर आया तो खुशी-खुशी सभी ग्रामीणों ने उसे PDS सिस्टम और गैस कनेक्शन मुहैया कराने वाली एजेंसियों के साथ लिंक करा दिया.

आधार नंबर लिंक होने के बाद ग्रामीण सिर पर हाथ रख कर पछता रहे हैं. वह इस बात के लिए खुद को कोस रहे हैं कि आखिर क्यों उन्होंने अपने पैर पर कुल्हाड़ी दे मारी. दरअसल, आधार कार्ड बनाने वाली एजेंसी से ऐसी त्रुटि हुई कि सारे आधार कार्ड सिस्टम में बोगस करार दे दिए गए. इस सभी आधार कार्ड में ग्रामीणों की जन्म तिथि एक जनवरी दर्ज की गई थी.

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यही नहीं, जन्म तिथि में किसी का वर्ष 1990 था तो किसी में 1992. सिस्टम से DOB यानी डेट ऑफ बर्थ में हुई गड़बड़ी से ग्रामीणों को ना तो गैस टंकी मुहैया हो पाई और ना ही सरकारी दुकानों से राशन. बीते दो माह से गांव के ग्रामीणों को राशन दुकान के संचालकों ने आधार कार्ड बोगस होने के चलते राशन देने से मना कर दिया है.  

इस गांव में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक की जन्म तिथि एक जनवरी है. हालांकि वर्ष भिन्न-भिन्न. स्कूल प्रमाण पत्र में अलग जन्म तिथि और आधार कार्ड में अलग जन्म तिथि के चलते सिर्फ दाना पानी ही नहीं, बल्कि कई मामलों में ग्रामीणों के सामने अच्छी खासी मुसीबत खड़ी हो गई  है. कई के पैन कार्ड, बैंक सम्बन्धी कार्य, ड्राइविंग लाइसेंस समेत कई मसलों पर मामले अटक गए हैं. मोबाइल कंपनियों ने भी कई ग्रामीणों के मोबाइल फोन बंद कर दिए हैं.

क्योंकि एक जनवरी की जन्म तिथि के चलते एक ही घर के कई लोग मोबाइल इस्तेमाल कर रहे थे. हाल ही में इन ग्रामीणों ने अपने मोबाइल नम्बरों को आधार कार्ड से लिंक कराया था. फिलहाल ग्रामीणों को समझ में नहीं आ रहा है कि वो अपने इन आधार कार्ड को ठीक कराने के लिए किसकी चौखट पर मत्था टेकें. क्योंकि आधार कार्ड बनाने के लिए गांव में पंहुचा दल अपना काम खत्म कर कई दिन पहले ही जा चुका है.

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