विमान कंपनियों की लापरवाही का एक और मामला सामने आया है. छत्तीसगढ़ के एक डॉक्टर की परीक्षा इसलिए छूट गई क्योंकि उन्होंने जिस जेट एयरवेज की फ्लाइट में अपना टिकट बुक कराया था वो अपने निर्धारित समय से 10 घंटे पहले ही चली गई.
दरअसल, छत्तीसगढ़ के एक डॉक्टर ने परीक्षा देने के लिए जेट एयरवेज की फ्लाइट में टिकट बुक कराया था. रात को जाने वाली फ्लाइट दस घंटे पहले उड़ान भर गई. फ्लाइट के समय में परिवर्तन
की सूचना ट्रेवल एजेंसी याहू और जेट ने यात्री को नहीं दी. सेवा में लापरवाही के कारण डॉक्टर परीक्षा नहीं दे सका.
उपभोक्ता आयोग ने यात्री को फ्लाइट का समय बदलने की सूचना देने में लापरवाही के लिए ट्रेवल एजेंसी और जेट को दोषी माना है और उपभोक्ता को हुए मानसिक कष्ट के लिए एक लाख रुपये और विमान का किराया व अन्य खर्च 38,432 रुपये ब्याज सहित देने का फैसला सुनाया है.
लाखेनगर निवासी डॉ.आकाश लालवानी ने कोलकाता जाने के लिए जेट की फ्लाइट में एक टिकट खरीदा था. डॉक्टर को कोलकाता में 10 जून को पोस्ट डिप्लोमा सेट्रंलाइज्ड एग्जाम 2012 में शामिल होना था, इसलिए एक दिन पहले की तारीख में पगारिया कॉम्प्लेक्स स्थित याहू टूर एंड ट्रैवल्स के माध्यम से टिकट बुक कराया और 2932 रुपये का भुगतान किया. टिकट में फ्लाइट के उड़ान का समय शाम 9: 25 लिखा था.
इसके मुताबिक वह 9 जून की शाम 7:20 बजे जब माना एयरपोर्ट पहुंचा तो पता चला कि फ्लाइट सुबह ही निकल चुकी है. दूसरे दिन सुबह 9 बजे कोलकाता में परीक्षा थी, लेकिन वहां पहुंचने के लिए कोई दूसरी फ्लाइट नहीं थी, इसलिए वह परीक्षा नहीं दे सका. डॉक्टर ने जेट से हर्जाना की मांग की, लेकिन एयरवेज ने देने से मना कर दिया.
जिला उपभोक्ता फोरम ने इस प्रकरण में याहू ट्रैवल एजेंसी और जेट एयरवेज को दोषी मानते हुए मानसिक कष्ट के लिए 6 लाख और 5 लाख रुपये स्टाइफंड देने का आदेश दिया है. साथ ही विमान किराया व टैक्सी खर्च 38,432 रुपये देने का आदेश दिया गया है.
फोरम के इस फैसले से क्षुब्ध होकर जेट एयरवेज और याहू ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की है. आयोग के अध्यक्ष आरएस शर्मा ने पाया कि फ्लाइट का समय बदलने की सूचना यात्री को नहीं दी गई, जिसके चलते वह कोलकाता नहीं जा सका. सूचना देने में ट्रैवल एजेंसी और जेट प्रबंधन ने लापरवाही की है. आयोग ने फोरम के फैसले में संशोधन करते हुए मानसिक कष्ट के लिए एक लाख रुपये और विमान किराया व अन्य खर्च 38,432 रुपये ब्याज सहित देने का आदेश दिया है. वहीं डॉक्टर को स्टाइफंड के लिए पांच लाख रुपये देने के आदेश को खारिज किया है.
इनपुट- IANS