नया रायपुर के बीचों-बीच करोड़ों की लागत से बना चमचमाता स्काईवॉक वीरान पड़ा है. इसके नीचे कोई यात्री नहीं है. कोई चहल-पहल नहीं है. बस कुप्रबंधन और बर्बादी की गूंज है, ये सिर्फ एक उदाहरण नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ में पिछले एक दशक की विकास योजनाओं की असलियत बयां करता है. लिहाजा सूबे की करीब 900 करोड़ की लागत वाली परियोजनाएं आज भी अपने उद्देश्य से कोसों दूर हैं.
पिछले एक दशक में स्काईवॉक, लग्जरी मॉल, बस स्टैंड, ऑडिटोरियम और मंत्रियों के बंगलों पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं. फिर भी इनमें से ज्यादातर भव्य इमारतें खराब योजनाओं के चलते खाली स्मारक बन गई हैं. 2019 से बंद 100 करोड़ का सीबीडी मॉल इस दुरुपयोग का उदाहरण है. 10 करोड़ का बस स्टैंड 8 साल से धूल खा रहा है. गरीबों की सेवा के लिए बना 8 करोड़ का अस्पताल अभी भी अपने दरवाजे खोले जाने का इंतजार कर रहा है. छत्तीसगढ़ में ऐसी कई संपत्तियां हैं, जो किसी बड़े उद्देश्य की पूर्ति करने वाली थीं, लेकिन अब धूल खा रही हैं.
स्थानीय लोग अपनी निराशा व्यक्त करते हैं. एक निवासी कहते हैं कि ये स्काईवॉक बेकार है. बिल्कुल भी उपयोगी नहीं है. वास्तव में, यह महिलाओं के लिए असुरक्षित है. यह गुंडों का अड्डा है. एक अन्य स्थानीय व्यक्ति भी इसी बात को दोहराते हुए बताते हैं कि कैसे ये संरचनाएं किसी वास्तविक उद्देश्य की पूर्ति करने में विफल रही हैं. शहरी योजनाकारों का तर्क है कि इन परियोजनाओं का उद्देश्य कभी भी वास्तविक जरूरतों को पूरा करना नहीं था.
'असली जरूरतों की अनदेखी की गई'
RTI कार्यकर्ता राकेश चौबे कहते हैं कि साधारण फुटओवर ब्रिज से काम हो सकता था, लेकिन करोड़ों के स्काईवॉक बनाने का मतलब ही है कि असली जरूरतों की अनदेखी कर भ्रष्टाचार को प्राथमिकता दी गई. यह सारा पैसा सिर्फ दिखावे और कमीशन के लिए था.
दिखावे के पीछे की सच्चाई काफी भयावह
इस दिखावे के पीछे की सच्चाई और भी भयावह है. दूर-दराज़ के गांवों में लोग आज भी पानी के लिए मीलों पैदल चलने को मजबूर हैं, बच्चे जर्जर स्कूलों में पढ़ते हैं और मरीज अस्पताल के बाहर इलाज के इंतजार में दम तोड़ते हैं. ऐसे में ये बेकार पड़ी इमारतें एक क्रूर विरोधाभास बनकर खड़ी हैं, जहां असली जरूरतें सूनी हैं और झूठी शानो-शौकत बुलंदियों पर है.
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी ज़ोर पकड़ रहे हैं. कांग्रेस नेता अमित श्रीवास्तव का कहना है कि ये सभी प्रोजेक्ट बीजेपी सरकार के समय शुरू हुए थे, जिन्होंने सिर्फ चमक-दमक पर ध्यान दिया, जनता की असली ज़रूरतों पर नहीं.
डिप्टी सीएम का पलटवार
वहीं, पीडब्ल्यूडी मंत्री और उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार पिछले कई सालों से सत्ता में थी, अगर उन्हें इन इमारतों का उपयोग करना था, तो अब तक क्यों नहीं किया? अब दूसरों पर आरोप लगाना उनकी आदत बन चुकी है.