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छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला नक्सलमुक्त घोषित, केंद्र सरकार ने LWE लिस्ट से हटाया नाम

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले को नक्सल प्रभावित जिलों की सूची से हटा दिया गया है. केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय (MHA) ने बस्तर जिले को वामपंथी उग्रवाद (LWE– Left Wing Extremism) से प्रभावित जिलों की सूची से बाहर कर दिया है. बता दें कि सरकारी प्रयासों, सुरक्षा बलों की सक्रियता और पुनर्वास नीतियों के चलते पिछले एक दशक में 8000 से अधिक नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण किया है.

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छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला नक्सल मुक्त घोषित हुआ
छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला नक्सल मुक्त घोषित हुआ

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले को नक्सल प्रभावित जिलों की सूची से हटा दिया गया है. केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय (MHA) ने बस्तर जिले को वामपंथी उग्रवाद (LWE– Left Wing Extremism) से प्रभावित जिलों की सूची से बाहर कर दिया है. हालांकि बस्तर संभाग के कुछ जिले अभी भी नक्सल प्रभावित हैं. इस फैसले के साथ ही बस्तर जिला अब आधिकारिक रूप से नक्सलमुक्त घोषित हो गया है. यह छत्तीसगढ़ राज्य, विशेषकर बस्तर क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है.

बस्तर न केवल एक जिला है, बल्कि एक संभाग भी है, जिसमें कुल 7 जिले शामिल हैं— बस्तर (मुख्यालय: जगदलपुर), कोंडागांव, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर और बीजापुर (जो पूर्व में दंतेवाड़ा से अलग हुआ. हालांकि बस्तर जिला अब LWE सूची से बाहर हो चुका है, लेकिन बस्तर संभाग के अन्य कुछ जिले अब भी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शामिल हैं.

नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में गिरावट

गृह मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2018 में देशभर में 126 जिले नक्सल प्रभावित थे, जो जुलाई 2021 में घटकर 70 हुए और अप्रैल 2024 तक यह संख्या घटकर मात्र 38 रह गई है.
सबसे अधिक गंभीर रूप से प्रभावित जिलों की संख्या भी 12 से घटकर अब 6 रह गई है. इनमें शामिल हैं.

- छत्तीसगढ़: बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा

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- झारखंड: पश्चिमी सिंहभूम

- महाराष्ट्र: गढ़चिरौली

इसके अलावा अन्य चिंता वाले जिलों की संख्या भी 9 से घटकर 6 हो गई है, जहां अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता है. ये जिले हैं...

- आंध्र प्रदेश: अल्लूरी सीताराम राजू

- मध्य प्रदेश: बालाघाट

- ओडिशा: कालाहांडी, कंधमाल, मलकानगिरी

- तेलंगाना: भद्राद्री-कोथागुडम

नक्सल हिंसा से प्रभावित अन्य जिलों की संख्या भी 17 से घटकर अब 6 रह गई है. इनमें ये जिले शामिल हैं:

छत्तीसगढ़: दंतेवाड़ा, गरियाबंद, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी

- झारखंड: लातेहार

- ओडिशा: नुआपाड़ा

- तेलंगाना: मुलुगु

10 साल में 8 हजार से ज्यादा नक्सलियों ने किया सरेंडर 

सरकारी प्रयासों, सुरक्षा बलों की सक्रियता और पुनर्वास नीतियों के चलते पिछले एक दशक में 8000 से अधिक नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण किया है. नतीजतन देशभर में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या ऐतिहासिक रूप से न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है.

बस्तर की नई पहचान

बस्तर संभाग आदिवासी बहुल क्षेत्र है, जो अपनी सांस्कृतिक विविधता, घने जंगलों, खनिज संपदा और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है. नक्सलवाद की छाया से धीरे-धीरे मुक्त हो रहा यह क्षेत्र अब विकास और शांति की नई राह पर अग्रसर है.

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