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बिहार: नए शराबबंदी कानून में नया क्या, जानिए गुजरात से कैसे अलग है नीतीश का कानून

बिहार में लागू नए शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने पर 10 वर्ष तक की सजा से आजीवन कारावास, एक लाख से दस लाख तक का जुर्माना. शराब पिये या नशे की हालत में पाए गए तो सात साल तक की सजा और एक से 10 लाख तक का जुर्माना हो सकता है.

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2 अक्टूबर से लागू हुआ है नया कानून
2 अक्टूबर से लागू हुआ है नया कानून

बिहार में शराबबंदी को लेकर बनाए गए नए कानून के राह में भी मुश्कि‍लें कम नहीं हैं. गांधी जयंती के मौके पर सीएम नीतीश कुमार ने नए कानून का ऐलान किया तो अगले दिन यानी सोमवार को इसे पटना हाईकोर्ट में चुनौती दे दी गई. दूसरी ओर, राज्य सरकार ने सूबे में शराब पीने और इसकी बिक्री पर रोक लगाने संबंधी 5 अप्रैल की अधिसूचना रद्द करने के हाईकोर्ट के आदेश को सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

इस तरह नीतीश सरकार की ओर से शराबबंदी को लेकर जारी की गई दो अधि‍सूचनाएं कानून की कसौटी पर खरा उतरने के लिए अदालत में हैं. आइए, देखते हैं नए कानून में क्या-क्या है...

सजा के कड़े प्रावधान:
शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने पर 10 वर्ष तक की सजा से आजीवन कारावास, एक लाख से दस लाख तक का जुर्माना. शराब पिये या नशे की हालत में पाए गए तो सात साल तक की सजा और एक से 10 लाख तक का जुर्माना. शराब के नशे में अपराध, उपद्रव या हिंसा पर 10 वर्ष से आजीवन कैद और एक लाख से दस लाख तक जुर्माना.

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किसी परिसर या मकान में मादक द्रव्य या शराब बरामद होने, उपभोग, बिक्री या वितरण करने पर 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले परिवार के सभी सदस्य तब तक जिम्मेवार माने जाएंगे जब तक वे अपने आप को निर्दोष होने का प्रमाण न दें.

जहरीली शराब:
मौत होने पर शराब बनाने वाले को मृत्युदंड या आजीवन कारावास और 10 लाख तक का जुर्माना. विकलांग होने पर ऐसे शराब बनाने वाले को 10 वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा और दो से 10 लाख तक जुर्माना. आंशिक बीमार हुए तो 8 वर्षों से आजीवन कारावास तक की सजा और एक से दस लाख तक का जुर्माना. कोई हानि नहीं होने पर भी बनाने वाले को 8 से 10 वर्ष तक की सजा और एक से पांच लाख तक का जुर्माना.

कपट व छद्म तरीके से शराब का कारोबार करने पर 10 वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा और एक से 10 लाख तक का जुर्माना. अवैध तरीके से शराब का भंडारण करने पर आठ से 10 वर्षों तक की सजा और दस लाख तक का जुर्माना. अवैध शराब व्यापार में महिला या नाबालिग को लगाया तो 10 वर्ष से आजीवन कारावास और एक लाख से 10 लाख तक का जुर्माना. कोई व्यक्ति वाहन या अन्य साधन से शराब ले जाता या ले आता है तो बिना वारंट के उसे गिरफ्तार किया जा सकता है. इसकी सूचना डीएम को देनी होगी.

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दोगुनी सजा:
शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने के दौरान कोई एक बार सजा काट चुका है और फिर वह दूसरी बार पकड़ा गया तो उसे पूर्व की सजा की दोगुनी सजा काटनी होगी.

सामूहिक जुर्माना:
कोई गांव-शहर या विशेष इलाके में समूह या समुदाय बार-बार शराबबंदी कानून का उल्लंघन कर रहा है तो डीएम के आदेश पर उस गांव, शहर या इलाके विशेष के लोगों को अपनी बात रखने का मौका मिलेगा. डीएम असंतुष्ट हुए तो सामूहिक जुर्माना लगेगा.

दोषी अफसरों को भी सजा
कोई पुलिस या उत्पाद विभाग का अधिकारी किसी को परेशान करने के लिए अपने कानूनी शक्तियों के बाहर जाकर तलाशी या गिरफ्तारी की तो उसे तीन साल तक की सजा और एक लाख तक का जुर्माना. कर्तव्य से मुकरने वाले अधिकारियों को तीन महीने तक की सजा और 10 हजार रुपए तक का जुर्माना. छापेमारी कर रहे उत्पाद अधिकारी पर हमला, बाधा उत्पन्न पर 8 से दस वर्ष की सजा और 10 लाख तक जुर्माना.

तड़ीपार का प्रावधान:
कुख्यात या आदतन अपराधी लगातार दंडनीय अपराध कर रहा है या लोगों को प्रेरित कर रहा है तो उसे जिले, इलाके से छह माह से दो साल तक तड़ीपार किया जा सकता है. हालांकि, डीएम के सामने उसे पक्ष रखने का मौका मिलेगा.

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नए कानून में नया क्या?

1. अगर किसी घर या परिसर में शराब पाया गया तो न सिर्फ मालिक, बल्कि घर के सभी वयस्क सदस्य गिरफ्तार किए जाएंगे.

2. शराबबंदी कानून तोड़ने वाले आरोपी की संपत्त‍ि जब्त की जा सकती है.

3. इस अधिनियम के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होंगे. यहां तक कि शराब रखना भी गैर जमानती अपराध होगा.

4. शराब के ट्रांसपोर्ट में इस्तेमाल किए जाने वाले किसी जानवर या वाहन को जब्त कर लिया जाएगा.

5. शराबबंदी से जुड़े मामलों की सुनवाई केवल स्पेशल सेशंस कोर्ट में होगी. इससे पहले कोई भी मजिस्ट्रेट कोर्ट ऐसे मामलों की सुनवाई कर सकती थी.

6. शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने के दौरान कोई एक बार सजा काट चुका है और फिर वह दूसरी बार पकड़ा गया तो उसे पूर्व की सजा की दोगुनी सजा काटनी होगी.

गुजरात के कानून से कैसे अलग है बिहार का कानून?
गुजरात भी ड्राई स्टेट है लेकिन वहां का कानून बिहार के कानून से अलग है. गुजरात या अन्य ड्राई स्टेट्स में मेडिकल ग्राउंड्स पर शराब के सेवन के लिए लाइसेंस जारी किए जाते हैं. उदाहरण के तौर पर गुजरात में 60 हजार लोगों के पास शराब पीने का लाइसेंस है.

शराब पीते, ले जाते या बेचते पकड़े जाने पर:

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1. पहली बार 6 महीने की जेल और एक हजार रुपये का जुर्माना.

2. दूसरी बार या बार-बार करने पर, 2 साल की जेल और 2000 हजार का जुर्माना.

3. आम तौर पर शराबबंदी के अपराध में अदालतें जुर्माना लगाकर छोड़ देती हैं.

4. जहरीली शराब से मौत के मामले में सजा-ए-मौत का प्रावधान साल 2009 में लागू किया गया था.

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