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जयराम रमेश और मोदी के बाद अब नीतीश को आई शौचालय की याद

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने वादे को दोहराते हुए शनिवार को कहा कि खुले में शौच मानवीय गरिमा के लिए शर्मनाक है और उनकी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द किया जाए। इससे पूर्व उन्होंने कहा था कि जिनके घरों में अब तक शौचालय की सुविधा नहीं है, वे पंचायत या शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।

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नीतीश कुमार
नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने वादे को दोहराते हुए शनिवार को कहा कि खुले में शौच मानवीय गरिमा के लिए शर्मनाक है और उनकी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द किया जाए। इससे पूर्व उन्होंने कहा था कि जिनके घरों में अब तक शौचालय की सुविधा नहीं है, वे पंचायत या शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।

नीतीश ने अपने हालिया ब्लॉग में लिखा है, 'खुले में शौच मानवीय गरिमा के लिए शर्मनाक है और मानवता के लिए अभिशाप है। जनता के सेवक होने के नाते मैं समझता हूं कि उनको गरिमामय जीवन जीने की सुविधा उपलब्ध कराना मेरा कर्तव्य है। इसमें शौचालय की सुविधा मुख्य प्राथमिकता है।' ब्लॉग में मुख्‍यमंत्री ने लिखा है, 'हम बिहार पंचायती राज अधिनियम और शहरी निकायों के चुनावों की शासक संस्थाओं में जरूरी सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि जनता को घर में निजी शौचालय के महत्व के बारे में जागरुक किया जा सके।'

गौरतलब है कि बिहार देश का दूसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला राज्य है, जिसकी अनुमानित आबादी दस करोड़ है। नीतीश ने ब्‍लॉग में राज्य के हर घर में शौचालय का निर्माण करवाने के अपने वादे को दोहराते हुए कहा, 'राम मनोहर लोहिया के विचार से प्रेरणा लेकर और अपने व्यक्तिगत विश्वास से हमने 2009 में लोहिया स्वच्छता योजना जारी की, जिसके तहत हर घर में शौचालय का निर्माण का लक्ष्य रखा गया।'

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2015 तक पूरा होगा शौचालय निर्माण का काम
उन्होंने लिखा है, 'मुझे यह कहते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि महाराष्ट्र के बाद बिहार ही ऐसा राज्य था, जिसने खुले में शौच की समस्या से निपटने के लिए यह अनोखी परियोजना जारी की। लोहिया स्वच्छता योजना के तहत 2015 तक राज्य के हर घर में शौचालय के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।' नीतीश ने कहा कि राज्य में स्वच्छता और दस्त की समस्या पर मुख्य रूप से ध्यान दिया गया। स्वच्छता, सुरक्षित पेयजल और उचित साफ-सफाई का ध्यान रखने से इन सबसे बचाव किया जा सकता है।

साल 2000 में जब सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों की घोषणा की गई तो निर्धनता उन्मूलन, शिक्षा और मातृत्व स्वास्थ्य को दूसरी समस्याओं के साथ लक्षित किया गया, लेकिन स्वच्छता जैसी प्रमुख समस्या का जिक्र छूट गया।

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