बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को कहा कि जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं और देश में बीजेपी की सरकार है तब तक एससी, एसटी के संविधान प्रदत्त आरक्षण के अधिकार को दुनिया की कोई भी ताकत छीन नहीं सकती है.
पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी सरकार
पटना के रवीन्द्र भवन में आयोजित बाबा चैहरमल जयंती समारोह को संबोधित करते हुए सुशील मोदी ने कहा, केंद्र की सरकार एससी, एसटी अत्याचार निवारण कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हाल के आदेश के खिलाफ अगले सप्ताह पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी. बीजेपी जहां एससी, एसटी को क्रीमी लेयर के दायरे में लाने की विरोधी है वहीं प्रोन्नति में आरक्षण, अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन की हिमायती है.
सुशील मोदी ने कहा कि एससी, एसटी अत्याचार निवारण कानून एक ऐसा हथियार है जिसके कारण कोई भी दलितों पर अत्याचार करने से डरता है. दुरुपयोग के नाम पर किसी भी कानून को कमजोर और शिथिल नहीं किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाबत केंद्र सरकार पूरी तरह से दलितों के साथ खड़ी है. उन्होंने एससी, एसटी अत्याचार निवारण कानून को संविधान की 9वीं अनुसूचि में रखने की मांग की ताकि आगे से कोई कोर्ट उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सके.
बीजेपी नेता ने कहा कि उनकी पार्टी एससी,एसटी के प्रोमोशन में आरक्षण की पक्षधर है. उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने संविधान में संशोधन कर दलितों के लिए प्रोमोशन में आरक्षण लागू किया था. बिहार में भी यह व्यवस्था लागू की गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे निरस्त कर दिया. राज्य सरकार फिर से उसे लागू कराने का प्रयास करेगी.
सुशील मोदी ने कहा, संविधान की धारा 312 में यह प्रावधान है कि केंद्र सरकार चाहे तो अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का गठन कर एससी, एसटी का प्रतिनिधित्व सुनिश्ति कर सकती है, प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि इस मुद्दे पर देश में बहस होनी चाहिए.
अंबेडकर के नाम पर दी सफाई
यूपी में संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर के नाम में 'राम' शब्द जोड़े जाने पर भी सुशील मोदी ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि बाबा साहब के नाम के साथ कहीं कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है, बल्कि संविधान की मूल प्रति पर स्वयं उन्होंने जो अपना नाम लिखा है, उत्तर प्रदेश की सरकार ने सरकारी दस्तावेजों में उसके इस्तेमाल का निर्देश दिया है.
बीजेपी नेता ने कहा कि संविधान की मूल प्रति में बाबा साहब ने अपना पूरा नाम ‘भीमराव रामजी अंबेडकर’का हस्ताक्षर किया है. महाराष्ट्र में नाम के साथ पिता का नाम लिखने की परिपाटी है. बाबा साहब के पिता का नाम रामजी था. उत्तर प्रदेश की सरकार ने राज्यादेश जारी कर सभी सरकारी रिकॉर्ड में उनके इस पूरे नाम के प्रयोग का निर्देश दिया है. कुछ लोग इस पर हंगामा कर रहे हैं, जो उचित नहीं है.