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Bihar STET 2019: शिक्षा मंत्री का एक गलत बयान और हजारों शिक्षकों का भविष्य अंधेरे में!

बिहार STET 2019 के रिजल्ट को लेकर पिछले कुछ दिनों से चल रहा विवाद सरकार की नजर में खत्म हो गया है. सरकार ने अब सभी 80,402 क्वालिफाइड अभ्यर्थियों को सातवें चरण की बहाली में मौका दिए जाने की बात कही है.

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शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सरकार ने सभी अभ्यर्थियों को मौका दिए जाने की बात कही
  • बिहार सरकार अपने ही फैसलों से सवालों के घेरे में
  • शिक्षा मंत्री विजय चौधरी पर बयानों से पलटने का आरोप है

बिहार STET 2019 के रिजल्ट को लेकर पिछले कुछ दिनों से चल रहा विवाद सरकार की नजर में खत्म हो गया है. सरकार ने अब सभी 80,402 क्वालिफाइड अभ्यर्थियों को सातवें चरण की बहाली में मौका दिए जाने की बात कही है. इसके अलावा TET सर्टिफिकेट की वैलिडिटी लाइफटाइम हो जाने के बाद अब STET 2011 के अभ्यर्थी भी सातवें चरण की बहाली के लिए पात्र होंगे.

सरकार ने 21 जून को जारी की गई बिहार बोर्ड की मेरिट लिस्ट को भी खत्म कर दिया है, जिसमें 30,675 अभ्यर्थियों को STET 2019 की मेरिट लिस्ट में शामिल बताया था. सरकार के इस फैसले को लेकर मेरिट लिस्ट में शामिल अभ्यर्थियों ने आपत्ति जताई है जिससे इस बहाली प्रक्रिया के कोर्ट में जाने और लंबा खिंचने की आशंका बढ़ गई है.

दरअसल, इस पूरे मामले में बिहार सरकार अपने ही फैसलों से सवालों के घेरे में है. शिक्षा मंत्री विजय चौधरी पर बार-बार अपने बयानों से पलटने और विज्ञापन की शर्तों का पालन न करने का आरोप है. सबसे पहले 12 मार्च को 15 में से 12 विषयों का रिजल्ट जारी किया गया जिसमें 24,599 अभ्यर्थियों को सफल यानी क्वालिफाइड बताया गया. 21 जून को बाकी 3 विषयों का रिजल्ट जारी हुआ तो कुल सफल अभ्यर्थियों की संख्या 30,675 हो गई. लेकिन इस दौरान हजारों अभ्यर्थियों के रिजल्ट पर 'क्वालिफाइड बट नॉट इन मेरिट लिस्ट लिख दिया गया.

यह भी पढ़ें: मांगी नौकरी, मिली लाठी, जानें क्‍या है STET शिक्षक भर्ती का पूरा मामला?

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अभ्यर्थियों ने याद दिलाया शिक्षा मंत्री का बयान

यहीं से अभ्यर्थियों ने विरोध करना शुरू किया और शिक्षा मंत्री को उन्हीं का 12 मार्च को दिया बयान याद दिलाया जिसमें उन्होंने कहा था कि चूंकि कुल वैकेंसी से कम अभ्यर्थी 'सफल' हुए हैं इसलिए सभी 'सफल' अभ्यर्थियों की नौकरी पक्की है. लेकिन 21 जून को रिजल्ट जारी होने के बाद से ही मेरिट लिस्ट से बाहर हुए अभ्यर्थी हंगामा कर रहे हैं. इन्हीं अभ्यर्थियों पर पटना में प्रदर्शन के दौरान 29 जून को लाठीचार्ज भी हुआ था.

अभ्यर्थियों के विरोध को देखते हुए शिक्षा विभाग ने एक कमेटी बनाई जिसकी अनुशंसा के आधार पर सरकार ने फैसला लिया कि अब मेरिट लिस्ट की कोई वैधता नहीं होगी और STET 2019 में क्वालिफाइड सभी अभ्यर्थियों को माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षकों के 7वें एवं आगे की नियुक्ति के चरणों में आवेदन करने का मौका मिलेगा. साथ ही यह भी बताया गया कि STET 2011 के करीब 16 हजार अभ्यर्थियों में से वो अभ्यर्थी भी आवेदन कर सकेंगे जिन्हें अब तक नौकरी नहीं मिल पाई है. इस बाबत शिक्षा विभाग ने 30 जून को STET 2019 में क्वालिफाइड सभी 80,402 अभ्यर्थियों का विषयवार आंकड़ा भी जारी कर दिया है.

STET 2019 पर विवाद
STET 2019 पर विवाद

80 हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों को क्वालिफाई क्यों किया गया?

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हालांकि, सवाल यह है कि जब सरकार ने खुद अपने विज्ञापन में लिखा था कि बिहार बोर्ड कुल पद के बराबर अभ्यर्थियों का विषयवार एवं कोटिवार मेधा सूची तैयार करेगा और तदनुसार प्रमाण पत्र निर्गत किए जाएंगे. फिर 80 हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों को क्वालिफाई क्यों किया गया? सवाल यह भी कि जब खुद माध्यमिक शिक्षा के निदेशक गिरिवर दयाल सिंह ने 30 सितंबर, 2019 को BSEB को पत्र लिखकर फिर से ये याद दिलाया था कि रिक्तियों के बराबर ही अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण कराया जाए, फिर 37,447 रिक्तियों के विरुद्ध 80,402 अभ्यर्थियों को कैसे क्वालिफाई करा दिया गया?

बिहार STET
बिहार STET

रिजल्ट पर विवाद बढ़ने के बाद शिक्षा मंत्री बार-बार यह कहते नजर आए कि यह कोई प्रतियोगी परीक्षा नहीं, बल्कि पात्रता परीक्षा थी. तो सवाल यह है कि फिर विज्ञापन में यह क्यों लिखा गया था कि जितनी वैकेंसी है, उतने ही अभ्यर्थी क्वालिफाई किए जाएंगे?

'STET पात्रता परीक्षा नहीं, प्रतियोगी परीक्षा थी'

इसके अलावा, नतीजों से पहले खुद BSEB ने हाईकोर्ट में जवाब दाखिल कर बताया था कि STET 2019 कोई पात्रता परीक्षा नहीं, बल्कि प्रतियोगी परीक्षा थी, जिसका मकसद सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों को चुनना है. फिर अब सरकार क्यों कह रही है कि ये सिर्फ एक पात्रता परीक्षा थी?

एक सवाल यह भी कि कहीं ऐसा तो नहीं कि 12 मार्च को रिजल्ट जारी करते वक्त शिक्षा मंत्री ने गलती से 24,599 अभ्यर्थियों को मेरिट लिस्ट में होने की जगह सिर्फ क्वालिफाई बताया और कहा कि सभी क्वालिफाई अभ्यर्थियों की नौकरी पक्की है, यह गलती उनके गले की हड्डी बन गई और सिर्फ अपने बयान के बचाव में विज्ञापन की शर्तों को ताख पर रखते हुए पूरी बहाली प्रक्रिया को कोर्ट की दहलीज तक पहुंचा दिया.

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सवालों के साथ 'आजतक' बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी के पास पहुंचा और पूछा कि जब वैकेंसी के बराबर ही अभ्यर्थियों को पास करना था फिर 80 हजार से ज्यादा लोगों को कैसे क्वालीफाई करा दिया गया? मंत्री ने एक बार फिर बताया कि यह सिर्फ पात्रता परीक्षा है, न कि नियुक्ति के लिए परीक्षा, बहाली के समय नियोजन इकाइयां मेरिट लिस्ट जारी करेंगी. लेकिन जब उनसे पूछा गया कि विज्ञापन में क्यों लिखा गया था कि कुल पद के बराबर ही अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी होगा और मेरिट लिस्ट बनेगी? तो उन्होंने कहा कि मेरिट लिस्ट अपनी जगह है लेकिन जो क्वालिफिकेश मार्क्स से ज्यादा नंबर लाए हैं, उन्हें तो क्वालिफाई बताना होगा न. मंत्री ने कहा कि उस समय (विज्ञापन के समय) जो कहा गया था, कभी-कभी यह अनुमान होता है कि उतने लोग आते (अभ्यर्थियों की संख्या).

बिहार STET
बिहार STET

मंत्री सवालों का सही जवाब देने की बजाय यह अपील करने लगे कि अब इस मामले को अकारण उलझाने की बजाय अभ्यर्थियों को बहाली का इंतज़ार करना चाहिए, वह बिहार और शिक्षा विभाग के भविष्य हैं. लेकिन जैसे ही हमने पूछा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि विज्ञापन में बदलाव नहीं किया जा सकता, मंत्री ने जवाब देने की बजाय कैमरा बंद करा दिया और यह धमकी भी दी कि अगली बार से अपने दफ्तर में 'आजतक' संवाददाता की एंट्री बंद करा देंगे.

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