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Motihari:आखिर ये तीन दोस्त क्यों निकले हैं 25 हजार KM की यात्रा पर?

रोड आश्रम नामक अभियान में शामिल तीन दोस्त सिद्धार्थ, नेहा और अनवर सोमवार को मोतिहारी पहुंचे. इन दोस्तों ने बताया कि अपनी गाड़ी से 60 दिनों में 25 हजार किलोमीटर की यात्रा करेंगे. अब तक 6 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर चुके हैं. आज ये तीनों दोस्त राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मभूमि में थे.

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कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में कैसे बीता लोगों का जीवन.
कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में कैसे बीता लोगों का जीवन.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में कैसे बीता लोगों का जीवन
  • रोड आश्रम अभियान के तहत कार से निकले तीनों दोस्त
  • 60 दिन में करीब 25 हजार किलोमीटर की यात्रा कर पहुंचे मोतिहारी

कोरोना महामारी के बाद देश में क्या हालात हैं? लोगों ने किस तरह जीवन यापन किया. इन सवाल के जवाब खोजने के लिए तीन दोस्त कार से देश के भ्रमण पर निकल पड़े. इन लोगों का मकसद है कि ये 60 दिन में करीब 25 हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी करे. 30 राज्यों में घूमते हुए जानकारी जमा करें. ये तीनों दोस्त आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कर्मभूमि मोतिहारी पहुंचे. यहां पर सबसे पहले राष्ट्रपिता को नमन किया और अपनी यात्रा की सफलता के लिए कामना की.

रोड आश्रम नामक अभियान में शामिल तीन दोस्त सिद्धार्थ, नेहा और अनवर सोमवार को मोतिहारी पहुंचे. इन दोस्तों ने बताया कि अपनी गाड़ी से 60 दिनों में 25 हजार किलोमीटर की यात्रा करेंगे. यहां सबसे पहले तीनों ने राष्ट्रपिता को नमन किया. इन युवाओं ने बताया कि 60 दिन के इस सफर में 30 राज्यों की सीमाओं को लांघना है. इस यात्रा का उद्देश्य कोरोना महामारी से देश में हुए हालातों को जानना है. 

इन लोगों की चार अक्टूबर को यात्रा शुरू हुई. दिल्ली से शुरू हुई इस यात्रा में इन लोगों ने अब तक गंगोत्री, उत्तराखंड के चाइना बॉर्डर होते हुए उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, उत्तर पूर्व का सफर तय किया. साथ ही भारत के सात राज्य हुए बंगाल के बाद ओडिशा, आंध्रा, तेलंगाना, तमिलनाडु, पांडिचेरी, कर्नाटक, गोआ, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और पंजाब होते हुए जम्मू कश्मीर, हिमाचल का सफर किया. इसके बाद फिर से गंगोत्री, चंडीगढ़, हरियाणा होकर दिल्ली में इनकी यात्रा समाप्त होगी. अबतक इस टीम ने 6000 km की यात्रा पूरी कर ली है.

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ये कहना है इनका 
रोड आश्रम अभियान में शामिल नेहा ने बताया कि इस यात्रा के माध्यम से वे भारत को समझना चाहती हैं. लॉकडाउन के बाद लोगों की क्या हालत है? किस तरह लोग अपना जीवन यापन कर रहे हैं. उनके सामने क्या परेशानी है? कोरोना काल में किस तरह मानवीय संवेदनाएं खत्म हुईं. राज्यों की सीमाओं का क्या हाल है? बस ये जानने और लोगों का दुख साझा करने के लिए इस यात्रा की शुरुआत की है. वहीं अनवर ने बताया कि लॉकडाउन में लोगों को भूख से मरने के लिए छोड़ दिया गया.

बिहार में दिखा ऐसा हाल 
30 राज्यों से घूमते हुए बिहार पहुंचे इस ग्रुप के लीडर सिद्धार्थ ने बताया कि बिहार में भी बुरा हाल दिखा. यहां के लोग लॉकडाउन के बाद रोजगार के लिए जूझ रहे हैं. वहीं यहां ​बच्चों को तो मालूम ही नहीं है कि उनके स्कूल कब से खुलेंगे. उनकी पढ़ाई कब से शुरू होगी.

(इनपुट-सचिन पांडे)

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