झारखंड हाई कोर्ट ने चारा घोटाले से जुड़े एक मामले को प्रभास कुमार सिंह की अदालत से दूसरी विशेष सीबीआई अदालत में स्थानांतरित करने और एक और गवाह से जिरह करने की राजद प्रमुख लालू प्रसाद की याचिका को खारिज कर दिया.
जज आर आर प्रसाद की अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया. 28 जून को अदालत ने लालू प्रसाद की ओर से वकील राम जेठमलानी की दलील सुनने के बाद याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था.
लालू ने आरसी20ए मामले को किसी अन्य सीबीआई अदालत में स्थानांतरित करने का आग्रह किया था क्योंकि उनका कहना था कि उन्हें प्रभास कुमार सिंह की विशेष सीबीआई अदालत से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि इनका कथित तौर पर बिहार के दो जदयू नेताओं से संबंध है जो उनकी राजनीतिक तौर पर विरोधी पार्टी है.
लालू प्रसाद की ओर से दलील देते हुए जेठमलानी ने कहा था कि इसी आधार पर पशु पालन मामले को प्रभास कुमार सिंह की अदालत से स्थानांतरित किया जाना चाहिए.
जेठमलानी ने कहा कि पशु पालन घोटाले में 76 गवाह थे लेकिन केवल 17 गवाहों से जिरह की गई. उन्होंने इस मामले में एक अन्य गवाह से जिरह की मांग की. 24 जून को हाई कोर्ट के वकील सुरेन्द्र कुमार ने प्रभास कुमार सिंह की विशेष अदालत को सूचित किया था कि हाई कोर्ट का आदेश आने तक उनके मुव्वकिल की ओर से जिरह को रोक दिया जाए.
सीबीआई अदालत पिछले एक महीने से दलीलों को सुन रही है और 20 जून को उसने लालू प्रसाद समेत चारा घोटाले के 45 आरोपियों को एक जुलाई तक जिरह पूरी करने का निर्देश दिया था.
अदालत ने आरसी 20ए-96 मामले में फैसले की तारीख 15 जुलाई निर्धारित की थी जिसमें कथित तौर पर 1990 में चाइबासा सरकारी खजाने से गलत तरीके से 37.7 करोड़ रुपये निकाले गए थे.
आरसीए-96 मामले में 56 में 45 आरोपी है, जबकि शेष या तो गवाह बन गए या उनका निधन हो गया.