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मुखिया से शुरुआत-जॉर्ज का रहा साथ, JDU कोटे से राज्यसभा जा रहे खीरू महतो का सफर

खीरू महतो का नाम दिल्ली की राजनीति के लिए एकदम नया है. लेकिन नीतीश उन्हें बड़े भरोसे के साथ RCP सिंह के बदले राज्यसभा भेज रहे हैं. कुर्मी समुदाय से आने वाले खीरू महतो के सामने झारखंड में पार्टी को विस्तार देने की चुनौती भी है.

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खीरू महतो (बीच में) नीतीश कुमार और ललन सिंह के साथ (फोटो- ट्विटर)
खीरू महतो (बीच में) नीतीश कुमार और ललन सिंह के साथ (फोटो- ट्विटर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • झारखंड-बिहार से बाहर खीरू महतो को कम जानते हैं लोग
  • समता पार्टी से लेकर जेडीयू तक रहे नीतीश के साथ
  • जेडीयू की रानीति में साइडलाइन हुए RCP

राज्यसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों की लिस्ट कई सरप्राइज लेकर आई है. अगर बिहार के मु्ख्यमंत्री नीतीश कुमार की बात करें तो राज्यसभा के लिए उनकी पसंद ने राज्य में कई कयासों को जन्म दे दिया है. नीतीश कुमार जेडीयू कोटे से बेहद लो प्रोफाइल, मीडिया की सुर्खियों से गायब रहने वाले खीरू महतो को संसद के उच्च सदन भेज रहे हैं. खीरू महतो झारखंड के जेडीयू नेता हैं और प्रत्याशी के तौर पर उनका नाम घोषित होने से पहले दिल्ली और पटना के पॉलिटिकल सर्कल में उनका नाम बहुत कम लोगों को पता था. 

राज्यसभा के लिए खीरू महतो का नाम फाइनल होने के बाद उनकी तुलना केंद्रीय मंत्री और जेडीयू नेता रमेशचंद्र प्रसाद सिंह यानी आरसीपी सिंह से होने लगी है. क्योंकि आरसीपी सिंह के बदले ही खीरू महतो राज्यसभा जा रहे हैं. आरसीपी का राज्यसभा कार्यकाल कुछ ही दिनों में खत्म हो रहा है. पटना में इस बात की चर्चा हो रही था कि क्या नीतीश आरसीपी को रिपीट करेंगे या फिर उनके पर कतर दिए जाएंगे.

दरअसल, आरसीपी एक समय नीतीश के काफी करीबी थे. नीतीश ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया. वे जेडीयू कोटे से केंद्रीय मंत्री भी बने. केंद्र में जाते ही आरसीपी का कद बड़ा हो गया. ये कद इतना बढ़ा कि पटना में नीतीश समेत जेडीयू के दूसरे नेताओं को टेंशन होने लगी. कहा जा रहा है कि आरसीपी को दोबारा राज्यसभा न भेजकर नीतीश ने उनके पर कतरने का काम किया है.

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मुखिया से शुरू हुआ सफर राज्यसभा तक पहुंचा

अब सवाल है कि नीतीश ने जिन खीरू महतो को राज्यसभा आरसीपी का रिपलेसमेंट चुना है वो कौन हैं? खीरू महतो झारखंड के कुर्मी नेता हैं. खीरू महतो उसी कुर्मी समुदाय से आते हैं जिससे नीतीश कुमार हैं. 1953 में हजारीबाग में जन्मे खीरू महतो 2005 में हजारीबाग के मांडू विधानसभा क्षेत्र से जेडीयू के टिकट पर चुनाव जीते थे. वे एक साधारण परिवार से आते हैं. खीरू महतो ने 1978 में मुखिया का चुनाव जीतकर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी. वे समता पार्टी के दौर से जेडीयू के साथ जुड़े रहे हैं. जॉर्ज फर्नांडीस जब भी अविभाजित बिहार में झारखंड क्षेत्र के दौरे पर होते थे तो खीरू महतो से जरूर मिलते थे. 

खीरू महतो की नेतृ्त्व क्षमता से प्रभावित होकर प्रदेश के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने खीरू महतो को सितंबर 2021 में झारखंड जेडीयू का अध्यक्ष बनाया था. 

एक फैसला, दो लक्ष्य

जेडीयू ने झारखंड के कुर्मी नेता को बिहार से राज्यसभा प्रत्याशी बनाकर झारखंड और बिहार दोनों जगहों के कुर्मियों को साधने की कोशिश की है. इससे बिहार में नीतीश अपनी जाति में एक संदेश तो दे ही सकेंगे. झारखंड में भी उन्हें कुर्मी समुदाय के बीच अपना मैसेज देने में आसानी होगी. 

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खीरू महतो को राज्यसभा भेजने से राज्य में जनाधार खो चुकी जेडीयू को ऑक्सीजन मिलेगी. झारखंड में जहां एक समय इस पार्टी के पांच-छह विधायक होते थे. वहां बीजेपी से अलग होते ही JDU का जनाधार छिटकने लगा. वर्ष 2009 में इसकी सीटें घटकर दो हो गई.  2014 और 2019 के झारखंड विधानसभा चुनावों में तो जेडीयू का खाता भी नहीं खुला. नीतीश और ललन झारखंड में पार्टी की इस स्थिति को बदलना चाहते हैं.

साधारण कार्यकर्ता और समर्पित नेता

जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि खीरू महतो समता पार्टी के समय से ही संगठन के साथ जुड़े हुए हैं. वह पार्टी के साधारण और समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं. वह गरीब परिवार से आते हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड में जेडीयू के प्रसार में खीरू महतो अहम रोल निभाएंगे. 

वहीं खीरू महतो ने इस नई जिम्मेदारी के लिए पार्टी नेतृत्व का आभार जताया है. उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता झारखंड में पार्टी में एक बार फिर से जोश फूंकने की है और लोगों के सामने नेतृत्व का विकल्प देने की है. वे पिछले साल सितंबर से ही इस दिशा में काम कर रहे हैं.  

 

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