भागलपुर में गुरुवार रात काजबलीचक इलाके में चल रहे अवैध पटाखा फैक्ट्री में धमाका हुआ, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई. लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि यह पहला मौका नहीं था जब अवैध रूप से चल रही इस पटाखा फैक्ट्री में धमाका हुआ हो और इतने सारे लोगों की जान गई हो.
दरअसल, कोतवाली थाने से महज 100 मीटर की दूरी पर नवीन आतिशबाज के नाम से अवैध पटाखा फैक्ट्री दो मंजिला इमारत में चल रही थी. यह फैक्ट्री पिछले करीब चार दशकों से चल रही थी. 3 मार्च 2022 को इस इमारत में हुए धमाके में 14 लोगों की मौत हो गई. मगर इससे पहले भी इस फैक्ट्री में धमाके हुए हैं जिसमें कई लोगों की जानें गई थीं. ये धमाके 2002, 2008 और 2018 में भी हुए थे.
इस अवैध पटाखा फैक्ट्री में पहला धमाका 2002 में हुआ था. उस वक्त 4 लोगों की मौत हो गई थी. 2008 में दूसरी बार धमाका हुआ था जिसमें कई लोग घायल हुए थे. 4 साल पहले यानी 2018 में तीसरी बार धमाका हुआ था और इस धमाके में किसी की मौत नहीं हुई बल्कि कई लोग घायल हुए थे. जबकि अब जब चौथी बार इस पटाखा फैक्ट्री में धमाका हुआ तो 14 लोगों की जान चली गई.
ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि जब भागलपुर शहर के बीचोंबीच अवैध रूप से चल रही इस पटाखा फैक्ट्री में पहले भी धमाके हुए हैं और लोगों की जानें गई हैं, तो इसके आखिर पुलिस और प्रशासन ने इस धंधे को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की?
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भागलपुर में हुए धमाके में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की. ट्वीट के जरिए पीएम ने घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की और बिहार के सीएम नीतीश कुमार से फोन पर बात की. साथ ही उन्होंने पीड़ितों को हरसंभव मदद करने को भी कहा.