बिहार के दरभंगा से बीजेपी के निष्कासित सांसद कीर्ति आजाद ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अयोध्या में भगवान राम की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के निर्माण पर सवाल खड़े कर दिए हैं. आजाद ने कहा है कि माता सीता के बिना भगवान राम की अयोध्या में मूर्ति की स्थापना करना न केवल मां सीता, बल्कि पूरे मिथिला और नारी शक्ति का अपमान है.
गौरतलब है कि शनिवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर बैठक ली. बैठक में अयोध्या में बनने वाली भगवान श्री रामचंद्र की भव्य मूर्ति के संबंध में चर्चा की गई. इस दौरान बाकायदा मूर्ति का मॉडल पेश किया गया. इस मूर्ति की ऊंचाई 151 मीटर है, जबकि उसके ऊपर 20 मीटर ऊंचा छत्र और 50 मीटर का आधार (बेस) होगा. यानी मूर्ति की कुल ऊंचाई 221 मीटर होगी. मूर्ति के पेडेस्टल (बेस) के अंदर ही भव्य म्यूजियम भी होगा, जिसमें अयोध्या का इतिहास, राम जन्मभूमि का इतिहास, भगवान विष्णु के सभी अवतारों की जानकारी भी होगी. यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति होगी.
सीएम योगी ने राम मूर्ती के साथ पार्क का पूरा मॉडल देखा. प्रस्तावित मॉडल के तहत अयोध्या में राम मूर्ति के साथ विश्राम घर, रामलीला मैदान, राम कुटिया भी बनाया जाएगा. इसके अलावा बैठक में गुरुकुल सरयू रिवर फ्रंट डेवलपमेंट, सरयू रिवर फ्रंट लुक आउट और सरयू नदी घाट के संबंध में भी चर्चा हुई. इस मूर्ति पर लगभग 800 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, वहीं इसके आसपास के क्षेत्र को विकसित करने पर पूरे प्रोजेक्ट पर तकरीबन 3000 करोड़ रुपये आएगा.
अयोध्या में भगवान राम की प्रस्तावित प्रतिमा पर सवाल खड़ा करते हुए कीर्ति आजाद ने ट्वीट में लिखा, "बिना मां सीता के भगवान राम की अयोध्या में मूर्ति की स्थापना करना न केवल मां सीता का अपमान है, अपितु पूरे मिथिला और नारी शक्ति का है."
मिथिला से क्या है सीता का रिश्ता?, erecting Lord Rama's statue at Ayodhya without goddess Sita is not only her insult but of Mithila and the entire female population.
बिना मां सीता के भगवान राम की अयोध्या में मूर्ति की स्थापना करना न केवल मां सीता का अपमान है, अपितु पूरे मिथिला और नारी शक्ति का है @narendramodi
— Kirti Azad (@KirtiAzadMP) November 26, 2018
पौराणिक ग्रंथ बाल्मीकि रामायण के अनुसार मिथिला में भयंकर सूखा पड़ा जिसकी वजह प्रजा में हाहाकार मचा हुआ था. तब इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए मिथिला के राजा जनक को एक ऋषि ने सुझाव दिया कि वे यज्ञ कराएं और धरती पर हल चलाए. ऋषि के सुझाव पर राजा जनक ने यज्ञ करवाया और उसके बाद धरती जोतने लगे. लभी उनका हल एक सोने की डलिया से टकराया और उस डलिया में मिट्टी में लिपटी हुई कन्या मिली. राजा जनक की कोई संतान नहीं थी, उस कन्या को हाथ में लेकर उन्हें पितृ सुख की अनुभूति हुई. जनक ने उस कन्या को अपनी पुत्री के रूप में अपना लिया और सीता नाम दिया.
चूंकि सीता राजा जनक की पुत्री थीं इसलिए रामायण में उनका एक नाम जानकी भी है.