बिहार में सियासी उलटफेर के बाद नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के साथ मिलकर महागठबंधन की सरकार फिर से बन गई है. नीतीश कैबिनेट का विस्तार मंगलवार को हो रहा है. जिसमें आरजेडी को जेडीयू से ज्यादा मंत्री बने हैं. वहीं, कांग्रेस का कद पिछली बार की महागठबंधन सरकार से कम हो गया है. ऐसे में कई बड़े नेताओं के मंत्री बनने के आरमानों पर भी पानी फिर गया है. सबसे बड़ा झटका जेडीयू संसदीय दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को लगा है. इसके साथ ही कई जेडीयू और आरजेडी के कई बड़े नेताओं को झटका लगा है.
कुशवाहा को नहीं मिल रही मंत्रिमंडल में एंट्री?
बिहार की सियासत में ओबीसी के दिग्गज नेता माने जाने वाले उपेंद्र कुशवाहा के मंत्री बनने के उम्मीद पूरी नहीं हो सकी. जेडीयू कोटे से 11 मंत्री बने हैं. उसमें उपेंद्र कुशवाहा का नाम शामिल नहीं है जबकि कुशवाहा समुदाय से आने वाले जयंत राज फिर से मंत्री बनाया गयाहै. उपेंद्र कुशवाहा को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी नेताओं में माना जाता है.
जेडीयू से अलग होकर उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी अलग एक पार्टी बनाई थी, लेकिन 2020 चुनाव के बाद जेडीयू में विलय कर दिया था. ऐसे में नीतीश ने उन्हें एमएलसी बनाते हुए जेडीयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया था, लेकिन मंत्री नहीं बनाया था. ऐसे में माना जा रहा था कि महागठबंधन सरकार में उन्हें मंत्री बनना का मौका मिल सकता है, लेकिन उस पर भी ग्रहण लग गया है. कुशवाहा शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुई.
कांग्रेस के कई नेताओं के अरमानों को झटका
नीतीश और तेजस्वी यादव की अगुवाई वाली सरकार में कांग्रेस कोटे से फिलहाल दो मंत्री ही मंगलवार को शपथ लिया. कांग्रेस के दिग्गज नेता मदन मोहन झा मंत्री नहीं बन सके. मुस्लिम चेहरे के तौर पर कैबिनेट में आफाक आलम को एंट्री मिली है, जिसके चलते शकील अहमद के मंत्री बनने का अरमानों पर फिर गया. ऐसे ही दलित नेता के तौर पर मुरारी लाल गौतम को मंत्री बनाया गया है, जिसके चलते राजेश राम मंत्री नहीं बन सके. ऐसे ही कांग्रेस के विधायक दल के नेता अजित शर्मा को भी मंत्री बनने का मौका नहीं मिल सका.
आरजेडी से कई नेताओं को लगेगा झटका
आरजेडी कोटे से सबसे ज्यादा मंत्री बन रहे हैं, लेकिन कई सियासी समीकरण को साधने के चलते कई दिग्गज नेताओं के मंत्री बनने का सपना साकार नहीं हो सका. आरजेडी के मुस्लिम नेताओं का सियासी समीकरण असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी छोड़कर आए विधायक ने बिगाड़ दिया है. AIMIM छोड़कर आए चार विधायकों में से शाहनवाज आलम को मंत्री बनाया गया है. अख्तरुल शाहीन जैसे दिग्गज नेता मंत्री नहीं बन सके हैं तो भाई वीरेंद्र भी मंत्री बनने से महरूम रह गए हैं.
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