भ्रष्टाचार का आलम देखिए कि मंत्री को भी अपना बिजली का बिल 'सेटल' करवाना पड़ता है. बिहार के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बताया है कि मंत्री रहते हुए एक बार उन्हें अपने बिजली बिल का 'सेटलमेंट' करवाना पड़ा.
'दैनिक भास्कर' में छपी खबर के मुताबिक सीएम मांझी ने माना कि हाल के वर्षों में सूबे में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ा है और वह खुद मंत्री रहते इसका शिकार हुए. आपबीती सुनाते हुए उन्होंने बताया कि गया स्थित उनके घर का बिजली बिल हर महीने 5,000 रुपये आता था. एक महीने बिल 25 हजार रुपये आ गया. तब उन्होंने अपने बेटे को बिजली विभाग के अफसरों के पास भेजा और 25 हजार रुपये के बिल का सेटलमेंट 5,000 में करवाया.
दूसरे दिन वहां के अधीक्षण अभियंता को इसकी जानकारी दी तो वे हैरान रह गए. मुख्यमंत्री ने बताया कि बाद में दस अधिकारियों पर आर्थिक अपराध इकाई का छापा डलवाया. इनके यहां से करोड़ों की संपत्ति मिली. मुख्यमंत्री मंगलवार को ग्रामीण विकास पदाधिकारियों को संबोधित कर रहे थे.
प्रदेश के हर ब्लॉक पर बिचौलियों का कब्जा
जीतन राम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार की कोशिशों ने कार्यकर्ताओं को ईमानदार
होने को बाध्य किया. अब तो कार्यकर्ता कहते हैं कि हमारा पेट तो खाली है, लेकिन
अफसरों का पेट बढ़ता जा रहा है. सीएम ने स्वीकार किया ब्लॉक पर बिचौलियों का
कब्जा है. वे सरकार की योजनाओं का लाभ आम लोगों तक पहुंचाने की एवज में मोटी
कमाई कर रहे हैं. उन्होंने बिचौलियों पर नकेल कसने की जरूरत बताई, ताकि योजनाओं
का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंच सके.