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भारत में बनी वैक्सीन की सफलता से बौखलाया चीन, कहा- चाइनीज वैक्सीन नहीं तो वीजा नहीं

एक सर्कुलर निकालते हुए चीन ने कहा है कि अब किसी भी विदेशी नागरिक को उसी शर्त पर चीन में प्रवेश की अनुमति मिलेगी, जब वह चीन में बनी वैक्सिन लगवाएगा.

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भारत के खिलाफ चीन का नया पैंतरा (सांकेतिक तस्वीर)
भारत के खिलाफ चीन का नया पैंतरा (सांकेतिक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चीन के नए सर्कुलर पर बवाल
  • वीजा के लिए चीनी वैक्सीन अनिवार्य

भारत में निर्मित वैक्सिन की सफलता से चीन पूरी तरह से बौखला गया है. दुनियाभर में भारत में बनी वैक्सिन की सफलता, उसके डिमांड और सप्लाई के कारण चीन तिलमिलाया हुआ है. उसे यकीन ही नहीं हो रहा है कि भारत में बनी कोरोना वैक्सिन इतनी तेजी से पूरी दुनिया में अपना डंका कैसे बजाने लगा. इसे रोकने के लिए अब चीन ने नया पैंतरा लगाया है.

एक सर्कुलर निकालते हुए चीन ने कहा है कि अब किसी भी विदेशी नागरिक को उसी शर्त पर चीन में प्रवेश की अनुमति मिलेगी, जब वह चीन में बनी वैक्सिन लगवाएगा. अब चीन का वीजा पाने के लिए चीन में बनी वैक्सिन लगवाने का सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिया गया है.

नेपाल स्थित चीन के दूतावास ने भी इसी तरह का सर्कुलर जारी किया है, जिसमें चीन का वीजा लेने के लिए चीन में ही बनी सिनोफार्म वैक्सिन लेना अनिवार्य कर दिया है. अपने सर्कुलर में चीनी दूतावास ने कहा है कि चीन जाने वाले उन्हीं व्यक्ति को सिर्फ वीजा का एप्लीकेशन फॉर्म उपलब्ध कराया जाएगा जो चीन में बनी कोरोना वैक्सिन लगवाए हों. चीन में बनी वैक्सिन का सर्टिफिकेट दिखाने पर ही वीजा का एप्लीकेशन दिया जाएगा और उन्हीं को चीन में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी.

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चीन ने वीजा देने के लिए अपने वैक्सिन को अनिवार्य शर्त तो बना दिया है, लेकिन नेपाल में अब तक चीन में बनी वैक्सिन कब तक आ पाएगी, इसकी कोई भी सुनिश्चितता नहीं है, जबकि भारत में बनी वैक्सिन का प्रयोग नेपाल में चौथे चरण में पहुंच गया है.

भारत सरकार ने वैक्सिन मैत्री अभियान के तहत पहले 10 लाख डोज वैक्सिन उपलब्ध करवाया था. उसके बाद नेपाल ने 20 लाख डोज वैक्सिन खरीद कर मंगवाई थी. इसके अलावा WHO के COVAX अभियान के तहत नेपाल को करीब 20 लाख डोज वैक्सिन दिया जा रहा है. नेपाल सरकार ने खुद भी 50 लाख डोज वैक्सिन सीरम इंस्टीट्यूट से खरीदने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है.

इसके ठीक विपरीत चीन में बनी वैक्सिन की एक भी डोज अब तक नेपाल को नहीं मिली है. चीन ने सिर्फ अब तक घोषणा की है. पहले चीनी दूतावास के तरफ से 3 लाख डोज देने की बात कही गई थी. उसी समय भारत सरकार के द्वारा भेजी गई 10 लाख डोज काठमांडू पहुंच गई. फिर चीन ने 5 लाख और डोज देने की घोषणा की. उसके बाद चीन के विदेश मंत्रालय के तरफ से फिर से 3 लाख डोज देने की बात सार्वजनिक की थी.

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देखा जाए तो चीन ने अब तक नेपाल को 8 लाख डोज देने की बात कही है, जबकि दिया अब तक एक भी नहीं है. चीनी कंपनी सिनोफार्म के तरफ से वैक्सिन को नेपाल में प्रयोग की इजाजत देने के लिए आग्रह किया गया था, लेकिन अब तक जरूरी कागजात जमा नहीं कर पाने के कारण उसको इजाजत नहीं दी गई है.

 

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