पटना में गंगा नदी के अदालत घाट पर छठ पर्व के प्रथम अर्घ्य के दौरान मची भगदड़ मामले की जांच कर रहे राज्य गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुब्हानी ने गुरुवार को जन-सुनवाई शुरू की.
इस दौरान अधिकारियों, दंडाधिकारियों, पीड़ित परिवारों और घटना के चश्मदीदों के बयान दर्ज किए गए. सुब्हानी ने पत्रकारों को बताया कि जन-सुनवाई का मुख्य मकसद अधिक से अधिक चश्मदीदों से जानकारी लेनी है.
इस दौरान घाट पर तैनात अधिकारियों और दंडाधिकारियों तथा बिजली विभाग के अधिकारियों का भी बयान दर्ज किया गया. उन्होंने कहा कि जन-सुनवाई के दौरान अधिक से अधिक लोग अपनी राय रख रहे हैं.
शुक्रवार को भी लोगों से मिलकर घटना की जानकारी ली जाएगी.
इस बीच, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की बिहार इकाई के अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अब्दुल बारी सिद्दिकी ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में पूरे मामले की न्यायिक जांच पटना के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से कराने की मांग की है.
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रशासनिक लापरवाही छुपाने के लिए गृह विभाग के प्रधान सचिव से मामले की जांच करा रहे हैं. नेताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि जांच के पूर्व ही मुख्यमंत्री ने खुद अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी है, ऐसे में निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती.
उल्लेखनीय है कि सोमवार को अदालत घाट के पास मची भगदड़ और चचरी के पुल के टूट जाने से 17 लोगों की मौत हो गई थी और 30 से ज्यादा लोग घायल हैं. सरकार ने बतौर मुआवजा मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये दिए हैं.