एक कवि ने कहा है कि 'युग से संचित ज्ञान की भंडार हैं पुस्तकें, सोच और विचार का संसार हैं पुस्तकें/देखने और समझने को खोलती नई खिड़कियां, ज्ञानियों से जोड़ने के तार हैं पुस्तकें.' ये पंक्तियां पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में लगे पुस्तक मेले में सौ फीसदी सच साबित हो रही हैं.
आमतौर पर कहा जाता है कि आज का युवा वर्ग पुस्तकों से दूर होता जा रहा है ऐसे में नई पीढ़ी पटना के पुस्तक मेला में अपनी पसंदीदा पुस्तकों को पाने के लिए बेचैन दिख रहे हैं. मेले में प्रतिदिन युवाओं की फौज को पहुंचते देख उम्रदराज लोग चकित रह जाते हैं.
पटना साइंस कॉलेज के छात्र राकेश कहते हैं कि वह तस्लीमा नसरीन की 'लज्जा' खरीदने मेले में आए तो पटना महिला कॉलेज की छात्रा रश्मि सलमान रुश्दी की 'आधी रात की संतानें' ढूंढ़ने के लिए धूप भरी दोपहर में स्टॉल-दर-स्टॉल भटक रही हैं.
रश्मि कहती हैं कि पटना पुस्तक मेला में कई ऐसी पुस्तकें मिल जाती हैं, जो कहीं नहीं मिल पातीं. इस कारण वह पूरे साल पटना पुस्तक मेला की प्रतीक्षा करती रहती हैं.
पटना के प्राचीन पुस्तकालयों में से एक खुदाबख्श लाइब्रेरी के निदेशक और इतिहासकार डा. इम्तियाज अहमद कहते हैं कि आज के दौर में भी ज्ञान बढ़ाने के लिए पुस्तकें सशक्त माध्यम हैं. किताबें ज्ञान के साथ-साथ सुकून भी देती हैं. फिलहाल पटना पुस्तक मेले की सतरंगी दुनिया में लोग साहित्य से रूबरू हो रहे हैं.
चर्चित टिप्पणीकार रत्नेश्वर कहते हैं कि पटना पुस्तक मेला सांस्कृतिक विरासत को बचाए रखने का एक अच्छा माध्यम है. वह कहते हैं कि पटना का पुस्तक मेला बिहार के सांस्कृतिक और साहित्यिक उन्नति को दर्शता है. लोगों की भागीदारी के कारण पटना पुस्तक मेला भारत के तीन बड़े पुस्तक मेलों में शामिल है.
वह कहते हैं कि पटना पुस्तक मेला शायद पहला पुस्तक मेला है जिसने सांस्कृतिक परिवर्तन में अपनी प्रमुख भूमिका अदा की है. मेला के दौरान जनसंवाद जैसे कार्यक्रमों में लेखकों, पत्रकारों और जानकारों ने सीधा संवाद स्थापित किया.
वह कहते हैं कि वर्षों पूर्व बिहार की गिनती साहित्य के अच्छे पाठकों या पाठकों की बड़ी संख्या के लिए होती थी, लेकिन लेखक और विचारकों की संख्या में बिहार पिछड़ा था. आज कई प्रकाशकों के आ जाने से न केवल यहां के साहित्यकारों को आगे आने का, बल्कि लोगों को उभरने का मौका भी मिल रहा है.
सेंटर फॉर रीडरशिप डेवलपमेंट (सीआरडी) के बैनर तले 24 मार्च तक चलने वाले इस मेले में पुस्तक प्रेमियों का प्रतिदिन सभी उम्र के पुस्तक प्रेमियों का हुजूम उमड़ रहा है. शाम के समय पुस्तक प्रेमियों की भीड़ के कारण प्रकाशकों के स्टॉल भरे रहते हैं.
राष्ट्रीय पुस्तक मेले में नेशनल बुक ट्रस्ट, साहित्य अकादमी, ऑक्सफोर्ड, वाणी, राजकमल, प्रभात प्रकाशन, एकलव्य प्रकाशन, आधार प्रकाशन सहित देश के करीब 300 प्रकाशकों के स्टॉलों पर पुस्तकों की भरमार है. इसमें संगीत, राजनीति, पाठ्य पुस्तकों के अलावा फैशन, कुकरी की भी कई चर्चित पुस्तकें पुस्तक प्रेमियों को भा रही हैं.