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JDU में शामिल हुए ताराकांत झा, पर छिपा ना सके नमो प्रेम

बिहार बीजेपी को एक बड़ा झटका तब लगा जब पार्टी के भीष्म पितामह और मिथिलांचल के सबसे बड़े नेता ताराकांत झा ने नीतीश कुमार का दामन थाम लिया लेकिन वो आरएसएस से पुराने रिश्ते को नहीं तोड़ सके, ना ही नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी दीवानगी को छुपा सके.

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नीतीश कुमार के साथ ताराकांत झा
नीतीश कुमार के साथ ताराकांत झा

बिहार बीजेपी को एक बड़ा झटका तब लगा जब पार्टी के भीष्म पितामह और मिथिलांचल के सबसे बड़े नेता ताराकांत झा ने नीतीश कुमार का दामन थाम लिया. लेकिन वो आरएसएस से पुराने रिश्ते को नहीं तोड़ सके, ना ही नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी दीवानगी को छुपा सके.

जेडीयू में शामिल होने के मौके पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ताराकांत झा ने कहा कि वो आज भी आरएसएस की विचारधारा से जुड़े हैं और मोदी के नेतृत्व से उन्‍हें कोई शिकायत नहीं थी. उन्‍हें सिर्फ सुशील मोदी से शिकायत थी और इसीलिए उन्होंने जेडीयू का दामन थामा है.

जेडीयू का पूरा दफ्तर इस ज्वाइनिंग का गवाह बनते वक्त खचाखच भरा था, लेकिन जैसे ही ताराकांत झा ने संघ के प्रति अपनी निष्ठा दोहराई जेडीयू के सभी नेता असहज हो गए, कोई उन्हें कान में सलाह देने लगा तो कोई जल्दी प्रेस कॉन्फ्रेंस को निबटाने में लग गया. आनन-फानन में ये प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म हुई लेकिन साफ हो गया कि जेडीयू ने भले ही बड़ी मछली पर दांव लगाया पर ऐन वक्त पर दांव उल्टा पड़ गया.

ताराकांत झा जनसंघ के वक्त से बीजेपी के मजबूत स्तंभ रहे हैं और हाल तक वो बिहार विधान परिषद के सभापति थे. सुशील मोदी से उनकी अनबन किसी से छिपी नहीं थी और उम्मीद की जा रही है कि वो फिर एकबार जेडीयू के कोटे से विधान परिषद जाएंगे.

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बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा कि ताराकांत झा के जाने के बाद अब ये हो सकता है कि नीतीश जी मोदी के नाम पर मान जाएं, क्योंकि ताराकांतजी न सिर्फ संघ से जुड़े हैं बल्कि मोदी को भी अपना नेता मानते हैं. ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही नीतीशजी को मनाने में ताराकांत झा सफल होंगे. उधर, जेडीयू ने कहा कि ताराकांत झा के बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है. जिस विचारधारा से ताराकांत झा भागे हैं, उसके साथ वो जुड़े नहीं रह सकते.

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