स्वामी विवेकानंद की डेढ़ सौवीं जयंती पर देश के कई हिस्सों में सूर्य नमस्कार का आयोजन किया गया. लेकिन बिहार में इस कार्यक्रम पर खूब विवाद हो रहा है. विवादों के बीच बीजेपी नेता और सूर्य नमस्कार आयोजन समिति के अध्यक्ष ताराकांत झा ने मांग कर दी कि सूर्य नमस्कार को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए.
उधर बिहार विधानसभा में विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाए कि सूबे में सरकारी निर्देश पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.
दरअसल बिहार सरकार ने पहले स्कूली छात्रों को इस कार्यक्रम में शामिल होने के निर्देश जारी किए थे लेकिन उस निर्देश का कुछ संगठनों ने विरोध किया जिसके बाद सरकार ने आदेश में बदलाव किया और सूर्य नमस्कार में शामिल होने का फैसला लोगों पर छोड़ दिया.
सरकार के इस फैसले पर बीजेपी नेता और पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने वोट बैंक की राजनीति के दबाव में अपना आदेश वापस लिया.
सामुहिक सूर्य नमस्कार और विवाद का नाता नया नहीं है...
बेशक बिहार के लिए सामुहिक सूर्य नमस्कार को लेकर विवाद नया है. बेशक यहां पहली बार सूर्य नमस्कार के सामुहिक आयोजन पर कड़ी आपत्ति जताई गई पर बिहार में इतने बड़े पैमाने पर सामुहिक सूर्य नमस्कार का आयोजन भी पहली बार हो रहा है.
सामुहिक सूर्य नमस्कार से विवाद का नाता पहली बार कहीं जुड़ा तो वो है मध्यप्रदेश में. मध्यप्रदेश में जब से शिवराज सिहं चौहान सरकार के राज में सामूहिक सूर्य नमस्कार कार्यक्रम की शुरुआत हुई तब से 12 जनवरी यानी स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन के मौके पर अमूमन हर वर्ष इसका आय़ोजन होता है. एक शहर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद सूर्य नमस्कार कार्यक्रम में शरीक होते हैं तो उनके मंत्री अलग-अलग जिलों में जाकर लोगों का हौसला बढ़ाते हैं.
लेकिन हमेशा की तरह पिछले साल भी जब सूर्य नमस्कार कार्यक्रम का आयोजन हुआ और वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की कोशिश हुई तो इसे विवादों ने घेर लिया. ईसाई और मुस्लिम संगठनों इसे शिक्षा के भगवाकरण का प्रयास बताया तो कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने आय़ोजन के विरोध में फतवा भी जारी कर दिया.