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बिहार: जाति के आधार पर बच्चों को बांटा, स्कूल में अलग बैठने के इंतजाम

इस विद्यालय की स्थापना 1952 में हई थी, यहां 678 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं लेकिन विद्यालय के प्रभारी कमलेश कुमार ने सभी कोटी के बच्चों का अलग-अलग रजिस्टर बना कर वर्ग को बांट दिया है.

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स्कूली छात्राएं (तस्वीर: सुजीत झा)
स्कूली छात्राएं (तस्वीर: सुजीत झा)

बिहार के कई इलाकों में जातिवाद की जड़ें कितनी गहरी हैं इसका अंदाजा एक स्कूल के रजिस्टर से लगाया जा सकता है. स्कूल को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है लेकिन पूर्वी चम्पारण के तेनुआ उच्च विद्यालय में अलग- अलग जाति के बच्चों के अलग-अलग रजिस्टर बनाए गए हैं. 

इस विद्यालय की स्थापना 1952 में हई थी, यहां 678 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं लेकिन विद्यालय के प्रभारी कमलेश कुमार ने सभी कोटि के बच्चों का अलग-अलग रजिस्टर बना कर वर्ग को बांट दिया है. कक्षा- 9 में 7 सेक्शन बनाए गए हैं- ए,बी,सी,डी,ई,एफ,जी. सरकार के रिकॉर्ड में पिछड़ी जाति,अत्यंत पिछड़ी, अनुसूचित जाति और सामान्य जाति के अनुसार इस रजिस्टर को बनाया गया है.

ऐसा ही कक्षा- 10 का भी है. जिससे साफ जाहिर होता है कि विद्यालय में शिक्षकों ने जातिगत भेदभाव किया है. सभी सेक्शन में अलग-अलग जाति के बच्चों को बैठने और पढ़ने की व्यवस्था की गई है. जिससे समरस समाज बनाने की पहल धूमिल होती नजर आ रही है. बच्चों में पढ़ाई के साथ जातीय विष घोलने का काम किया जा रहा है.

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सरकार मांगती है जातिगत सूची

इस पूरे मामले और वर्ग विभाजन के तौर-तरीकों की जानकारी विद्यालय के प्राचार्य से लेने कि कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया, लेकिन स्कूल के क्लर्क ने जो तर्क दिया वो चौकाने वाला है. क्लर्क ने कहा कि सरकार छात्र छात्राओं की विभिन्न योजनाएं जैसे स्टाईपेंड ड्रेस साइकिल योजनाओं के लिए जातिगत सूची मांगती है, सरकार को यह आंकड़े स्थायी तौर पर मिले इसलिए ऐसी व्यवस्था की गई है. उसका ये भी कहना है कि यह व्यवस्था पिछले कई सालों से चली आ रही है. 

यह व्यवस्था कई वर्षों से चली आ रही है लेकिन इलाके के अधिकारियों को इसकी जानकारी नही है. कल्याणपुर के बीडीओ विनीत कुमार का कहना है कि यह गंभीर मामला है, अभी यह संज्ञान में आया है. अगले तीन दिनों में इस व्यवस्था को सुधार दिया जाएगा. 

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