बिहार में राज्यपाल कोटे से मनोनीत होने वाली 12 विधान परिषद सीटों को बीजेपी और जेडीयू ने आपस में आधी-आधी बांट ली है. बीजेपी और जेडीयू दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने कोटे से छह-छह सदस्य उच्च सदन भेजकर सियासी समीकरण साधने की कवायद की है. वहीं, एक-एक एमएलसी पद की लालसा रखे एनडीए के घटक दल जीतन राम मांझी की पार्टी 'हम' और मुकेश सहनी की पार्टी 'वीआइपी'के हिस्से कुछ नहीं आया. ऐसे में दोनों ही पार्टियों ने अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है.
जेडीयू कोटे से मनोनीत एमएलसी
जेडीयू ने अपने कोटे से उपेंद्र कुशवाहा, संजय सिंह, संजय कुमार सिंह उर्फ संजय गांधी, ललन कुमार सर्राफ, डॉ. राम वचन राय और भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी को उच्च सदन भेजा है. राज्यपाल से मनोनयन के बाद बुधवार शाम को ही सभी छह सदस्यों ने विधान परिषद में शपथ ग्रहण भी कर ली है. जेडीयू में शामिल होने के 72 घंटे के भीतर उपेंद्र कुशवाहा को उच्च सदन का सदस्य बना दिया गया. कुशवाहा चारों सदनों के सदस्य बनने वाले बिहार के चार नेताओं में शामिल हो गए हैं.
बीजेपी कोटे से एमएलसी बने
बीजेपी कोटे से मनोनीत किए गए विधान परिषद के तौर पर पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्र गुप्ता, प्रमोद चंद्रवंशी, महामंत्री जनक राम. देवेश कुमार, महिला मोर्चा की प्रदेश प्रभारी निवेदिता सिंह और मधुबनी जिले के पूर्व बीजेपी अध्यक्ष घनश्याम ठाकुर का नाम शामिल है. बीजेपी ने अपने परंपरागत वोटबैंक का पूरा ख्याल रखा है और सामाजिक समीकरणों को साधने की कवायद की है.
नीतीश ने साधा समीकरण
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को राज्यपाल कोटा से एमएलसी बनाकर लव-कुश समीकरण को साधने की कवायद की है तो अशोक चौधरी के जरिए दलित समुदाय को संदेश दिया है. ऐसे ही संजय सिंह के नाम पर मुहर लगाकर राजपूत समुदाय को तवज्जो देने की कोशिश की है तो संजय गांधी कुर्मी समुदाय से आते हैं. ऐसे ही रामवचन राय पिछड़ी जाति से आते हैं और समाजवादी नेता के तौर पर उनकी पहचान रही है. इतना ही नहीं नीतीश ने ललन सर्राफ को उच्च सदन भेजकर वैश्य समुदाय को भी संदेश दिया है.
नीतीश के सहयोगी नाराज
राज्यपाल के मनोनयन वाली 12 सदस्यों के नाम की सूची जारी होते ही नीतीश सरकार के सहयोगी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि घटक दलों से पूछे बिना ही एमएलसी नामों की घोषणा कर दी गई जबकि हमें भी एक सीट देने का आश्वासन दिया गया था. साथ ही पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि बिना एनडीए घटक दलों से बातचीत किए ही एमएलसी मनोनयन का फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि इस फैसले से हम के कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश है. राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की नजर इस पूरे घटनाक्रम पर बनी हुई है और जल्द ही कोई बड़ा फैसला लिया जाएगा.
मुकेश सहनी को नहीं मिली सीट
एक एमएलसी पद की सार्वजिनक तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी से अपनी पार्टी के लिए मांग चुके वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश को भी कोई सीट नहीं दी गई है. निषाद समाज के आरक्षण को लेकर झंडा बुलंद किए मुकेश सहनी की राज्यपाल कोटे वाली एमएलसी सीटों के बंटवारे पर खुद तो कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उनकी पार्टी के प्रवक्ता राजीव मिश्रा ने पार्टी की ओर से जरूर नाराजगी जाहिर की है. राजीव मिश्रा ने कहा कि मनोनीत एमएलसी के चयन में नीतीश कुमार ने गठबंधन धर्म को नहीं निभाया है. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान ही वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी ने नोनिया समाज से किसी एक नेता को विधान परिषद भेजेगी, लेकिन मनोयन सीट पर तो चर्चा तक नहीं की गई. ऐसे में हम इसका विरोध करते हैं.
जेडीयू में उठे विरोध के सुर
एनडीए के सहयोगी ही नहीं बल्कि जेडीयू में भी विरोध शुरू हो गया है. जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन आहत हैं. उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें एमएलसी बनाया जाएगा. राज्यपाल वाली कोटे की सूची में अपना या किसी दूसरे कायस्थ जाति से जुड़े लोगों के नाम शामिल नहीं होने को लेकर राजीव रंजन ने नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि पिछले लंबे समय से कायस्थ समाज को हाशिए पर रखने की कोशिश की जा रही है, पहले विधानसभा में अनदेखी की गई और अब विधान परिषद में उन्हें दरकिनार किया गया. राजीव रंजन ने सीएम नीतीश कुमार को टैग करते हुए एक ट्वीट किया जिसमें लिखा, 'योग्यता ,कर्तव्यपरायणता और निष्ठा जैसे शब्द, शब्दकोष में ही बने रहेंगे .ये शब्द अब सियासत के लिए बेमानी हो गए हैं.