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बिहार: सिमुलतल्ला की जिस कोठी में रुके थे विवेकानंद, अब तोड़ने की हो रही तैयारी

जानकारी के अनुसार उदर रोग से पीड़ित होने पर डॉक्टरों की सलाह पर विवेकानंद सिमुलतल्ला में दो सप्ताह तक रहे थे. उन्होंने यहां बंगाल के स्व. असीम कृष्ण घोष की स्वास्थो कोठी को अपना आशियाना बनाया था. वह कोठी विद्यालय भवन निर्माण के लिए लीज पर ली गई है.

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सिमुलतल्ला में स्वास्थ्य लाभ के लिए जाते थे लोग (फोटो- आजतक)
सिमुलतल्ला में स्वास्थ्य लाभ के लिए जाते थे लोग (फोटो- आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मिनी शिमला के नाम से जाना जाता था सिमुलतल्ला
  • एक कोठी में स्वामी विवेकानंद ने भी प्रवास किया था
  • उस कोठी की जगह सिमुलतल्ला आवासीय स्कूल का भवन बनना है

बिहार का सिमुलतल्ला कभी मिनी शिमला के नाम से जाना जाता था. तब कोलकाता के लोग आबो हवा बदलने सिमुलतल्ला आया करते थे. बंगालियों की यहां कई कोठियां बनी हुई हैं. इन्हीं में से एक कोठी में स्वामी विवेकानंद ने भी प्रवास किया था.

लेकिन वो कोठी अब चंद दिनों की मेहमान है. क्योंकि उस कोठी की जगह सिमुलतल्ला आवासीय स्कूल का भवन बनना है. स्वामी विवेकानंद 1887 की गर्मियों में यहीं रह रहे थे. डॉक्टर की सलाह पर स्वामी विवेकानंद ने सिमुलतल्ला में दो सप्ताह तक प्रवास किया था.

तब स्वामी जी पेट की बीमारी से पीड़ित थे. अब उसी कोठी को जमींदोज करने की तैयारी चल रही है. इसी स्थान पर सिमुलतल्ला आवासीय विद्यालय का भवन बनने वाला है जिसको लेकर इस कोठी का भी अधिग्रहण किया जा रहा है.

ऐतिहासिक धरोहर को जमींदोज करने की तैयारी

देश की महान विभूति स्वामी विवेकानंद 1887 में जिले के मिनी शिमला के नाम से प्रसिद्ध सिमुलतल्ला पहाड़ी स्थित स्वास्थो कोठी में एक पखवाड़े तक रहे थे. यहां अब सिमुलतल्ला आवासीय विद्यालय का भवन तैयार करने के लिए ध्वस्त करने की तैयारी की जा रही है. हालांकि उस परिसर में परती (खाली) भूमि की कोई कमी नहीं है. यहां स्थित स्वामीजी की एकमात्र विरासत के जमींदोज होने की संभावना से जनसामान्य में आक्रोश फैल गया है. इस संबंध में पूर्व मंत्री सह झाझा विधायक दामोदर रावत ने उनसे मिलने गए लोगों से कहा कि स्वामी जी से जुड़ी उनकी निशानियों को अक्षुण्ण रखने का पूरा प्रयास किया जाएगा. 

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जानकारी के अनुसार उदर रोग से पीड़ित होने पर डॉक्टरों की सलाह पर विवेकानंद सिमुलतल्ला में दो सप्ताह तक रहे थे. उन्होंने यहां बंगाल के स्व. असीम कृष्ण घोष की स्वास्थो कोठी को अपना आशियाना बनाया था. वह कोठी विद्यालय भवन निर्माण के लिए लीज पर ली गई है. विद्यालय के लिए अतिरिक्त भवनों का निर्माण कार्य तेज गति से जारी है. जिला प्रशासन व बिहार सरकार ने अगर शीघ्र ध्यान नहीं दिया तो स्वामी जी की सिमुलतल्ला से जुड़ी पहली निशानी समाप्त हो जाएगी. 

इस संबंध में कोलकाता उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सह स्वास्थो कोठी के मालिक स्व. असीम कृष्ण घोष के वंशज आलोक दत्ता ने बताया कि स्वामी विवेकानंद उनके पूर्वज स्व. असीम कृष्ण घोष के परम मित्र थे. उनकी कोठी पर ही स्वामीजी दो सप्ताह तक रुके थे. यहां से स्वामीजी कोलकाता लौट गए थे. उन्होंने बताया कि विद्यालय निर्माण के लिए उन्होंने अपनी सहमति दे दी है. 

विद्यालय के प्राचार्य ने क्या कहा

इस बारे में सिमुलतल्ला आवासीय विद्यालय के प्राचार्य विद्यालय प्राचार्य डा. राजीव रंजन का कहना है कि अगर विद्यालय परिसर में स्वामी जी से जुड़ी चीजें हैं तो ये अच्छी बात है. विद्यालय के छात्र-छात्राओं के लिए वह प्रेरणादायी होगा. सिमुलतल्ला में आनंदपुर श्री रामकृष्ण मठ है. इस मठ की स्थापना 1916 ई. में हुई. इस मठ को कोलकाता के बेलूर मठ से भी पहले बनने का श्रेय प्राप्त है. स्वामी विवेकानंद महाराज की सोच थी कि सिमुलतल्ला में एक विश्व व्यापी मठ बने. 

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स्वामी जी के नजदीक रहने वाले लोगों ने सिमुलतल्ला को जंगली क्षेत्र बताकर आने वाले सैलानियों को जंगली जानवर और आवागमन सही नहीं होने की दुहाई देकर मठ की आधारशिला कोलकाता के आसपास रखने की बात कही. परिणाम स्वरूप सिमुलतल्ला गुमनामी में रह गया. बेलूर मठ के प्रथम अध्यक्ष ब्रह्मानंद महाराज और योग विलासानंद जी महाराज चूंकि स्वामी जी के सिमुलतल्ला में विश्व व्यापी मठ बनाने के निर्णय के वक्त साथ थे तो उन्होंने स्वामी जी की सोच को मूर्त रूप देने के लिए सिमुलतल्ला में आनंदपुर श्री रामकृष्ण मठ की स्थापना की. यह मठ नेतृत्व अभाव के कारण जीर्ण-शीर्ण अवस्था में बदहाल है.

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अक्टूबर से फरवरी तक आते हैं सैलानी

जमुई जिले में स्थित सिमुलतल्ला में देश के कई सुप्रसिद्ध लोगों के मकान हैं. सर्दी के मौसम में खासकर अक्टूबर से लेकर फरवरी महीनों में सैलानी परिवार यहां रहकर स्वास्थ्य लाभ लेते थे. वैसे विख्यात लोगों में बांगला के प्रथम मूक फिल्म निर्माता बीएन सरकार, छोटी रेल लाइन के मालिक आरएन मुखर्जी, पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल सह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्यामल सेन सहित कई लोग शामिल हैं. भू-माफिया और दलाल प्रवृति के लोगों ने सिमुलतल्ला की सैलानी की कोठियों में अपनी वक्र दृष्टि लगा दी. इस कारण सिमुलतल्ला की दर्जनों कोठियां औने-पौने भाव में बिकवा दीं. 

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दलाल ने कोलकाता जाकर सीधे-सादे कोठी मालिकों को यह भय दिखाया कि सिमुलतल्ला में अपराध चरम पर है. प्रतिदिन नक्सली घटना के साथ चोरी, डकैती, लूट आदि की घटना हो रही है. 1990 से लेकर 2020 तक दर्जनों आलीशान बंगले कौड़ियों के भाव बिक गए. वर्तमान समय में सैलानी कोठियों की कई ऐतिहासिक और यादगार स्मृतियां नष्ट हो गई हैं. यह सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है. समय रहते इस व्यवस्था को नहीं रोका गया तो आने वाली नई पीढ़ी के लोग यहां की इन विशेषताओं से अनभिज्ञ ही रह जाएंगे.

 

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