ऑफिस की डेडलाइन, रिश्तों की उलझनें, ट्रैफिक का हॉर्न या जिंदगी की बेहिसाब मुश्किलें...ये सब धीरे-धीरे एक ऐसी थकान में बदल जाते हैं जो धीरे-धीरे गुस्से की शक्ल ले लेती है. लेकिन इस सभ्य समाज में अपना गुस्सा बाहर निकालने की इजाजत नहीं है. इसी दबे गुस्से को एक सेफ स्पेस में तोड़ने का नया तरीका सामने आया है Rage Room.
क्या होता है Rage Room?
Rage Room यानी ऐसा कमरा जहां आप जाकर कांच की बोतलें, पुराने टीवी, प्रिंटर, लकड़ी की कुर्सियां जैसी चीजें तोड़ सकते हैं. यहां ग्राहक को हेलमेट, दस्ताने, फेसशील्ड और प्रोटेक्टिव जैकेट जैसी सुरक्षा दी जाती है. इस रूम का इस्तेमाल करने के लिए 800 से लेकर 2000 रुपये तक की फीस चुकानी पड़ती है. इसके बाद अपनी पसंद का म्यूजिक लगवाकर तोड़-फोड़ शुरू कर सकते हैं. दिल्ली में Rage Rooms धीरे-धीरे ट्रेंड में आ रहे हैं. यूथ, कपल्स, यहां तक कि कॉर्पोरेट ग्रुप्स भी इनका हिस्सा बन रहे हैं.
कैसा महसूस करते हैं यूजर्स, पढ़ें- अनुभव
दिल्ली के एक रेज रूम के यूजर्स ने वेबसाइट पर अपने अनुभव साझा किए हैं. इससे अंदाजा होता है कि लोगों को इस तरह के रूम का इस्तेमाल करने से काफी फायदा महसूस हो रहा है. यहां एक यूजर ने लिखा कि एकदम ज़बरदस्त एक्सपीरियंस था. सब कुछ सहते-सहते मैं थक चुकी थी पर यहां 15 मिनट में जैसे सब हल्का हो गया. पहले कभी ऐसा फ्री महसूस नहीं किया.
दूसरे यूजर ने लिखा कि गिलास तोड़ने में जो मजा आया वो तो शब्दों में नहीं कह सकता. म्यूज़िक बज रहा था और मैं पूरी तरह अपने अंदर के गुस्से को बाहर निकाल रहा था. एक अन्य ने लिखा कि स्टाफ बहुत ही प्रोफेशनल था. उन्होंने पहले पूरी सेफ्टी इंस्ट्रक्शन दी, फिर मुझे मेरी 'Smash List' दी यानी क्या-क्या तोड़ना है. वहीं 35 साल के एक यूजर ने लिखा कि मैं टीम आउटिंग पर गया था पर ये किसी ऑफिस एक्टिविटी से बहुत ज़्यादा था. मेरे अंदर जो फ्रस्ट्रेशन था, वो जैसे उड़ गया. एक युवती ने लिखा कि मेरा अपने पार्टनर से झगड़ा हुआ था, गुस्सा बहुत था, लेकिन कहीं निकाल नहीं सकती थी. Rage Room में गई कई बोतलें पिचका डालीं फिर जब रूम से बाहर आई तो मन में सुकून था.
जानिए- क्या ये तरीका वाकई स्ट्रेस घटाता है
वरिष्ठ मनो विश्लेषक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि गुस्सा एक बहुत नैचुरल भावना है. लेकिन जब वो भीतर दबा रह जाता है तो डिप्रेशन या फिजिकल इल्युशन का कारण बन सकता है. Rage Rooms एक Catharsis टूल की तरह काम करते हैं. साइकोलॉजी में Catharsis उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें इंसान अपने दबे हुए इमोशंस (जैसे गुस्सा, दुख, डर, तनाव) को किसी सेफ और एक्सप्रेसिव तरीके से बाहर निकालता है ताकि मन हल्का हो जाए.
उदाहरण के तौर पर बहुत दुख में लोग रोकर खुद को हल्का महसूस करते हैं. कई लोग गुस्से या दुख में तेज चीखते हैं. वहीं रोजमर्रा के तनाव को डायरी में सब कुछ लिख देना भी खुद को हल्का महसूस कराने का तरीका है. इसी तरह Rage Room में चीजें तोड़ देना भी Cathartic Activities मानी जाती हैं क्योंकि इनसे व्यक्ति को एक मानसिक राहत मिलती है जैसे भीतर का बोझ उतर गया हो. डॉ त्रिवेदी कहते हैं कि यह एक तरीके का एक्सप्रेशन थैरेपी है जो खासकर उन लोगों के लिए कारगर हो सकता है जिन्हें चीजों को वर्बलाइज करना मुश्किल लगता है.
डॉ सत्यकांत त्रिवेदी आगे कहते हैं कि रेज रूम एक्टिविटी सिर्फ अस्थायी राहत हो सकती है, ये आपकी सिचुएशन को नहीं बदल सकती. अगर आपको लगातार गुस्सा, चिड़चिड़ापन और इमोशनल ब्रेकडाउन जैसी स्थिति है तो आपको प्रोफेशनल थेरेपी से ही स्थायी राहत मिल सकती है.
क्या है इसके पीछे का न्यूरोसाइंस
सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली के मनो चिकित्सक डॉ राजीव मेहता कहते हैं कि जब आप गुस्से में कुछ तोड़ते हैं तो आपका Amygdala (गुस्से से जुड़ा ब्रेन पार्ट) एक्टिव होता है जो खतरे या तनाव की स्थिति में शरीर को अलर्ट करता है. यह हाइपोथैलेमस के जरिए कॉर्टिसोल और एड्रेनालिन रिलीज कराता है. अगर यह एक्सप्रेशन सेफ, कॉन्ट्रोल्ड और समयबद्ध हो, तो यह हार्मोनल ओवरलोड को कम कर सकता है जिससे व्यक्ति को हल्कापन महसूस होता है. लेकिन इसे अपनी आदत में शामिल नहीं करना चाहिए.
समाजशास्त्री डॉ विवेक कुमार कहते हैं कि कोविड-19 के बाद लोगों में आइसोलेशन, जॉब लॉस, वर्क फ्रॉम होम के प्रेशर और अनसुलझे रिलेशनशिप तनाव जैसे प्रॅाब्लम्स बढ़े. वहीं कॉर्पोरेट वर्ल्ड में बर्नआउट अब आम हो गया है. इन हालातों ने Rage Rooms को एक ज़रूरत की तरह पेश किया. यहां सिर्फ मस्ती नहीं है, लोग इसे एक इमोशनल रिलीज टूल की तरह समझ सकते हैं.
कैसे काम करता है रेज रूम
दिल्ली का एक रेज रूम लोगों को 15 से 30 मिनट के Smash Sessions ऑफर करता है. यहां ग्राहक मेटल रॉड से प्रिंटर, माइक्रोवेव, क्रॉकरी जैसी चीजें तोड़ सकते हैं. स्टाफ उन्हें सेफ्टी गियर से लैस करता है और एक बेसिक इमोशनल ब्रीफिंग जैसे 'जो अंदर है, बाहर आने दो' कहकर कमरे में छोड़ देते हैं. कई यूजर्स इसे emotional detox कहकर परिभाषित करते हैं.
क्या कहती हैं Rage Room की फाउंडर
रेज रूम की फाउंडर ने वेबसाइट पर अपना लेटर लिखते हुए कहा कि मैं खुद एक ऐसी स्त्री हूं जिसने समाज के बनाई ढांचों में फिट होने की कोशिश की लेकिन अंदर से हमेशा कंफ्यूज़ और दबा हुआ महसूस किया. रेज रूम मेरे लिए सिर्फ एक वेंचर नहीं, बल्कि मेरी खुद की मुक्ति का तरीका था. ये जगह सिर्फ चीज़ें तोड़ने के लिए नहीं है बल्कि ये अपने अंदर के तूफान को नाम देने की जगह है.