लोगों में एंग्जाइटी और डिप्रेशन की समस्या आम हो गई है. ऐसे में आजकल मनोचिकित्सक Cognitive Behavioral Therapy के जरिए लोगों को डिप्रेशन से निकालने में मदद करते हैं. इस थेरेपी में डिप्रेशन से पीड़ित इंसान से बातचीत की जाती है और ये जानने की कोशिश की जाती है कि उसके अवसाद में जाने का क्या कारण है. संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी) लोगों को डिप्रेशन से निकालने में काफी मददगार है.
Cognitive Behavioral Therapy का उद्देश्य लोगों की समस्याओं का कारण बनने वाली सोच और व्यवहार के पैटर्न को बदलना है. सीबीटी बात पर आधारित है कि हमारे विचार, भावनाएं और व्यवहार आपस में जुड़े हुए हैं और नकारात्मक विचारों और व्यवहारों को बदलने से मूड में सुधार हो सकता है. बता दें कि साल 1960 में अमेरिकी मनोचिकित्सक आरोन बेक ने सीबीटी को विकसित किया था, तभी से इस थेरेपी के जरिए अवसाद ग्रस्त लोगों का इलाज किया जा रहा है.
सीबीटी के प्रकार
1. संज्ञानात्मक चिकित्सा- यह थेरेपी गलत सोच पैटर्न की पहचान करने और उसे बदलने पर फोकस करती है.
2. आरईबीटी- यह थेरेपी फालतू की सोच को चुनौती देकर और बदलकर भावनात्मक और व्यवहारिक समस्याओं को हल करती है.
3. एसीटी- यह थेरेपी विचारों और भावनाओं से लड़ने के बजाय उन्हें स्वीकार करने में मदद करती है.
सीबीटी डिप्रेशन से उबरने में कैसे मदद करती है
1. सीबीटी लेने के लिए मनोचिकित्सक डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति को करीब 20 दिनों के लिए बुलाते हैं. इस दौरान अवसाद ग्रस्त इंसान से बात की जाती है और उसके मन में छिपे दर्द को निकालने की कोशिश की जाती है.
2. सीबीटी से व्यक्ति की सोच, भावनाओं और व्यवहार को बदलने का प्रयास किया जाता है. इस थेरेपी के जरिए इंसान के जीवन को देखने के नजरिए में भी बदलाव किया जाता है ताकि वो डिप्रेशन से मुक्त हो सके.