
Heart attack during surgery: प्रोफेशनल बॉडीबिल्डर और एक्टर वरिंदर सिंह घुमन का गुरुवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है. वे सोशल मीडिया पर भी काफी पॉपुलर थे और उनकी सबसे खास बात ये थी कि वे इंडिया के पहले वेजिटेरियन बॉडी बिल्डर बताए जाते हैं. वह सलमान खान के साथ मूवीज में भी नजर आ चुके थे.
फिटनेस इन्फ्लुएंसर और कंटेंट क्रिएटर रूबल धनकर ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर बताया कि वरिंदर सिंह घुमन को शोल्डर की सर्जरी के दौरान हार्ट अटैक आया था. जब Aajtak.in ने रूबल से बात की तो उन्होंने बताया, 'वरिंदर घुमन मेरे सीनियर हैं और मेरी उनसे बात होती रहती थी. उनके और मेरे मैनेजर एक ही हैं. उन्हें शोल्डर इंजरी हुई थी जिसकी सर्जरी अमृतसर के हॉस्पिटल में चल रही थी. उन्हें सर्जरी के दौरान 2 हार्ट अटैक आए थे. पहले में तो उन्हें संभाल लिया गया था लेकिन दूसरे में उनकी स्थिति नहीं संभली.'
जब कोई व्यक्ति सर्जरी के लिए जाता है तो अधिकतर लोग यही मानते हैं कि असली खतरा उन्हें सर्जरी से है लेकिन कभी-कभी सबसे बड़ा खतरा हार्ट अटैक का भी होता है. कई मामले ऐसे सामने आए हैं जिसमें सर्जरी के दौरान लोगों को हार्ट अटैक आया और उनकी मौत हो गई. इस घटना ने अहम सवाल खड़ा कर दिया है कि सर्जरी के दौरान दिल का दौरा पड़ने का खतरा क्यों बढ़ जाता है और क्या इसे रोका जा सकता है? Aajtak.in ने इस बारे में हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स से बात की और जाना कि आखिर ऐसा क्यों होता?

एनेस्थिसियोलॉजी मैग्जीन में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, दुनिया भर में हर साल 80 लाख से अधिक वयस्कों को सर्जरी के बाद दिल का दौरा पड़ता है और उनमें से 10 प्रतिशत की 30 दिनों के भीतर मृत्यु हो जाती है. रिसर्चर्स का कहना है कि इनमें से 85 प्रतिशत हार्ट अटैक का पता उनके लक्षणों की कमी के कारण नहीं चल पाता.
दिल्ली के श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट में इंटरवेंशनल क्लिनिकल एंड क्रिटिकल कार्डियोलॉजी एंड इलेक्ट्रॉफिजियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. अमर सिंघल ने Aajtak.in को बताया, 'किसी भी सर्जरी के दौरान हार्ट अटैक आने के पीछे कई वजहें हो सकती हैं. सर्जरी के समय शरीर पर बहुत ज्यादा शारीरिक और मानसिक तनाव होता है जिससे हार्ट पर दबाव बढ़ जाता है. ऑपरेशन के दौरान एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा) और दर्द निवारक दवाएं हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर और ऑक्सीजन लेवल को प्रभावित कर सकती हैं.'
'यदि मरीज को पहले से ही कोई हार्ट संबंधी समस्या, ब्लड प्रेशर या डायबिटीज जैसी बीमारी है तो जोखिम और भी बढ़ जाता है. कई बार बॉडीबिल्डर्स या फिट दिखने वाले लोगों में भी अंदर ही अंदर हार्ट के मसल्स पर अतिरिक्त बोझ होता है, खासकर अगर उन्होंने लंबे समय तक सप्लीमेंट्स या स्टेरॉयड का सेवन किया हो. ऐसे मामलों में हार्ट के लिए सर्जरी को झेलना मुश्किल बना देता है.'
'किसी भी सर्जरी से पहले मरीज का पूरा कार्डियक ऑब्जर्वेशन जरूरी है. सर्जरी के दौरान और बाद में मॉनिटरिंग बहुत जरूरी है ताकि ब्लड प्रेशर, ऑक्सीजन और हार्ट रेट में अचानक बदलाव को तुरंत संभाला जा सके.'
दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में हार्ट एंड लंग्स ट्रांसप्लांट सर्जरी और कार्डियोथोरेसिक एवं कार्डियोवैस्कुलर सर्जरी में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मुकेश गोयल ने Aajtak.in को बताया, 'सर्जरी के दौरान दिल का दौरा पड़ने का जोखिम आमतौर पर कम होता है लेकिन हार्ट संबंधी समस्याओं के अलावा, हाई ब्लड प्रेशर, धूम्रपान, मोटापा या अधिक उम्र जैसे अन्य जोखिम वाले मरीजों में यह जोखिम बढ़ जाता है. क्लीनिकली तरीके से देखा जाए तो सबसे अहम स्टेप है सर्जरी के पहले ऑब्जर्वेशन. इसमें आमतौर पर ईसीजी, इकोकार्डियोग्राम, स्ट्रेस टेस्टिंग (यदि आवश्यक हो) और मरीज की हिस्ट्री का रिव्यू शामिल होता है. यदि कोई भी रेड सिग्नल पाया जाए तो सर्जरी को रोककर या स्थगित करते अतिरिक्त सावधानियां बरती जा सकती हैं.'
सर्जरी के दौरान शरीर इंटेंस फिजिकल और इमोशनल स्ट्रेस से गुजरता है. इससे एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन का प्रोडक्शन बढ़ जाता है जिससे हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. हार्ट को ब्लड पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है और अगर यह पहले से ही कमजोर है या धमनियां अवरुद्ध हैं तो यह एक्स्ट्रा बोझ दिल के दौरे का कारण बन सकता है.
कुछ एनीस्थेटिक दवाइयां ब्लड प्रेशर को कम कर सकती हैं या हार्ट रिदम को प्रभावित कर सकती हैं जिससे हार्ट मसल्स में ब्लड फ्लो कम हो सकता है जो हार्ट अटैक का कारण बनता है.
सर्जरी के दौरान, खून अधिक निकलना या ऑक्सीजन लेवल बदलने के कारण हार्ट को काफी मेहनत करनी पड़ सकती है जिससे हार्ट के टिश्यूज में ऑक्सीजन की कमी होने से हार्ट अटैक का जोखिम हो सकता है.
कुछ मामलों में सर्जरी के कारण ब्लड वेसिल्स में खून का थक्का जम सकता है जिससे हृदय में खून की सप्लाई बंद हो सकती है जो हार्ट अटैक का कारण बन सकती है.
सिकुड़ी हुई आर्टरीज (कोरोनरी धमनी रोग) वाले लोगों को अधिक जोखिम होता है क्योंकि उनके हृदय को पहले से ही कम ऑक्सीजन मिलती है. अगर इस कंडिशन में सर्जरी की जाए तो जोखिम बढ़ सकता है.
कई सर्जरी पूरी तरह सुरक्षित होती हैं लेकिन फिर भी उनमें जोखिम होता है. अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी (एसीसी) और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) जैसे ऑर्गनाइजेशंस नियमित रूप से गाइडलाइंस जारी करते रहते हैं जिससे डॉक्टर्स को पता चलता रहता है कि कोई इंसान हार्ट की सर्जरी के अलावा किसी सर्जरी के लिए तैयार है या नहीं.
अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी का कहना है, 'अधिकतर मरीज जिन्हें सर्जरी की जरूरत होती है उन्हें अपनी प्राइमरी जांच स्पेशलिस्ट से करानी चाहिए. अगर आपके डॉक्टर को कोई समस्या नजर आती है या उन्हें किसी मौजूदा हृदय डिजीज का जोखिम पता चलता है तो उन्हें मरीज को किसी हार्ट स्पेशलिस्ट के पास भेजना चाहिए. अगर आपके हार्ट को कोई जोखिम है तो आपका डॉक्टर इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) करवाने के लिए कहेगा जिससे हार्ट की इलेक्ट्रिक वेव्स और संकेतों की बारीकी से जांच की जाती है.'
'अगर आपको कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ (सीएडी), हार्ट वाल्व डिजीज या कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर जैसी हृदय संबंधी कोई ज्ञात बीमारी है या फिर आपको ऐसे नए लक्षण दिखाई देते हैं जो हृदय रोग का संकेत दे सकते हैं तो आपके डॉक्टर को आपको आगे की जांच के लिए किसी हार्ट स्पेशलिस्ट के पास भेजना चाहिए.'