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हार्ट अटैक होगा या नहीं? MRI जांच से 10 साल पहले ही लगा सकते हैं पता, नई र‍िसर्च ने जगाई उम्मीद

आजकल साइलेंट हार्ट अटैक की घटनाएं आए दिन हमें चौंकाती हैं. इसमें ज्यादा उम्र या हृदय रोग होने जैसी कोई शर्तें नहीं होती हैं. चलते-फ‍िरते, झूमते और नाचते लोग भी इस तरह की घटनाओं का श‍िकार हो रहे हैं. इन तमाम घटनाओं के बीच स्कॉटलैंड की एक यून‍िवर्स‍िटी की एक ताजा स्टडी ने नई उम्मीद दी है. आइए जानते हैं- क्या है वो स्टडी और इसका आम लोगों को कैसे फायदा मिल सकता है. 

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How MRI scans can identify heart issue before ten years (Representational Image by AI)
How MRI scans can identify heart issue before ten years (Representational Image by AI)

कैसा हो अगर हार्ट अटैक होने की हमें कितनी गुंजाइश है, इस बात का पहले ही पता लग जाए. स्कॉटलैंड की डंडी (Dundee) यूनिवर्सिटी की एक ताजा स्टडी में पता चला है कि एक साधारण MRI स्कैन के जरिए हृदय रोग के खतरे को 10 साल पहले ही पकड़ा जा सकता है. इस स्टडी में पाया गया कि हृदय के लेफ्ट वेंट्रिकुलर (निचले कक्ष) का सामान्य से थोड़ा बढ़ा हुआ आकार भविष्य में हृदय रोग का संकेत हो सकता है. भले ही उस समय हृदय पूरी तरह हेल्दी हो. इस शोध को चेस्ट हार्ट एंड स्ट्रोक स्कॉटलैंड (CHSS) ने सपोर्ट दिया है और इसे प्रतिष्ठित जर्नल 'रेडियोलॉजी' में प्रकाशित किया गया है. 

दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अश्विनी मेहता ने इस स्टडी को हृदय रोग की रोकथाम में क्रांतिकारी कदम बताया. उन्होंने aajtak.in से बातचीत में कहा कि इस स्टडी से न केवल हृदय रोग की शुरुआती पहचान में मदद म‍िलेगी, बल्कि उन लोगों को भी बचाने में अहम भूमिका निभाएगी जिनमें कोई क्ल‍ियर र‍िस्क फैक्टर नहीं दिखता. MRI स्कैन के जरिए हम उन मरीजों को पहले ही चिह्नित कर सकते हैं जिन्हें भविष्य में हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा हो सकता है. 

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पुरुषों और महिलाओं में अलग-अलग जोखिम कारक
स्टडी में यह भी खुलासा हुआ कि पुरुषों और महिलाओं में हृदय रोग के जोखिम के कारण अलग-अलग हैं. पुरुषों में बाएं वेंट्रिकुलर का बढ़ा हुआ आकार डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर (निचला रक्तचाप) से जुड़ा है, जो सामान्य लेकिन ऊपरी सीमा पर होता है. वहीं, महिलाओं में यह जोखिम कोलेस्ट्रॉल के स्तर से संबंधित है जो सामान्य की ऊपरी सीमा पर होता है. खास बात यह है कि इन स्तरों पर आमतौर पर किसी उपचार की जरूरत नहीं समझी जाती. 

डॉ. अश्विनी मेहता ने इस पर जोर देते हुए कहा कि यह स्टडी हमें बताती है कि पुरुषों को अपने डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर पर नजर रखनी चाहिए, जबकि महिलाओं के लिए कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण के लिए इलाज जल्दी शुरू करना जरूरी हो सकता है. यह एक ऐसी खोज है जो हृदय रोग की रोकथाम में गेम-चेंजर साबित हो सकती है. 

कैसे हुई स्टडी?
यह स्टडी 'TASCFORCE' प्रोजेक्ट के तहत की गई जिसमें जनवरी 2008 से फरवरी 2013 के बीच 5015 स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया. ये सभी 40 साल से अधिक उम्र के थे और इनमें हृदय रोग का कोई इतिहास नहीं था. इनमें से 1528 स्वयंसेवकों ने MRI स्कैन करवाया. फिर एक दशक बाद इन आंकड़ों का विश्लेषण कर शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला. 

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डंडी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन में कार्डियोवैस्कुलर रिसर्च डिवीजन की प्रोफेसर जिल बेल्च ने इस स्टडी का नेतृत्व किया है. उनका कहना है कि ये र‍िसर्च इसलिए खास है क्योंकि ये हमें उन लोगों की पहचान करने में मदद करती है जिनमें हृदय रोग का कोई तात्कालिक जोखिम नहीं है. उनका हम पहले से ही इलाज शुरू कर सकते हैं, जिससे हृदय को होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है. 

हृदय रोग की रोकथाम में नया आयाम
हृदय रोग, जैसे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट फेल्यर, रक्त वाहिकाओं के संकुचन या रुकावट से जुड़े होते हैं. धूम्रपान, मोटापा, खराब आहार और व्यायाम की कमी जैसे कारक इसके जोखिम को बढ़ाते हैं. लेकिन इस स्टडी ने उन लोगों के लिए भी रास्ता खोला है जिनमें ये र‍िस्क फैक्टर स्पष्ट नहीं होते. डॉ. अश्विनी मेहता ने आगे कहा कि हमारी कोशिश है कि मरीजों को व्यक्तिगत देखभाल दी जाए. सर गंगाराम अस्पताल में हम पहले से ही अत्याधुनिक तकनीकों, जैसे एंजियोग्राफी और गैर-आक्रामक जांचों का उपयोग कर रहे हैं. अब इस स्टडी के निष्कर्ष भव‍िष्य में मददगार हो सकते हैं. 

CHSS ने की सराहना
चेस्ट हार्ट एंड स्ट्रोक स्कॉटलैंड की मुख्य कार्यकारी जेन-क्लेयर जडसन ने इस स्टडी की सराहना करते हुए कहा है कि यह शोध हृदय और स्ट्रोक से जुड़ी बीमारियों की समझ को बढ़ाने में अहम है. यह न केवल रोकथाम में मदद करेगा, बल्कि स्कॉटलैंड में लोगों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा. बता दें कि यह स्टडी हृदय रोग की रोकथाम में एक नया अध्याय जोड़ती है. स‍िर्फ साधारण MRI स्कैन के जरिए अब हम उन लोगों को समय रहते बचा सकते हैं जो अनजाने में इस30 सेकंड में हृदय रोग के शिकार हो सकते हैं. डॉ. अश्विनी मेहता जैसे कई विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ये तकनीक र‍िसर्च से भी बड़े सैंपल साइज में सफल रही तो इससे लाखों जिंदगियां बचाई जा सकेंगी.

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