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शाम में ऑफिस से घर जाने वालों के लिए बुरी खबर, दिल्लीवासी जरूर पढ़ें

नई स्टडी में पता चला कि दिल्ली की शाम की हवा सबसे ज्यादा जहरीली है. ऑफिस से घर लौटते समय PM2.5 40% और PM10 23% ज्यादा फेफड़ों में जाते हैं. विशेषज्ञ घर पर एयर प्यूरीफायर, N95 मास्क और शाम के समय बाहर निकलने से बचने की सलाह देते हैं.

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सुबह की तुलना में शाम को घर लौटते समय हवा सबसे ज्यादा खराब होती है. (Photo: AFP)
सुबह की तुलना में शाम को घर लौटते समय हवा सबसे ज्यादा खराब होती है. (Photo: AFP)

दिल्ली की जहरीली हवा पहले ही लोगों की सेहत बिगाड़ रही है, लेकिन अब एक नई स्टडी ने ऐसा खुलासा किया है जिसे सुनकर हर रोज ऑफिस जाने वाले लोगों की चिंता और बढ़ सकती है. आपमें से ज्यादातर लोग ये मानकर चलते हैं कि सुबह की हवा सबसे ज्यादा खराब होती है. लेकिन सच इसका बिल्कुल उलट है. 5 सालों तक की गई इस स्टडी में सामने आया है कि असली खतरा तो शाम को घर लौटते समय होता है.

इस स्टडी के मुताबिक, ऑफिस से निकलकर घर की तरफ आने वाले लोगों को सुबह की तुलना में 40% ज्यादा PM2.5 और 23% ज्यादा PM10 अपने फेफड़ों में भरना पड़ रहा है. यानी शाम के ट्रैफिक, धूल, धुआं और भारी भीड़-भाड़ के बीच जो हवा आप सांस में लेते हैं, वही सबसे ज्यादा जहरीली होती है. सोचिए, दिनभर काम करने के बाद जब आप घर लौटने के लिए रिलैक्स होकर बाहर निकलते हैं, उसी वक्त हवा आपके शरीर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रही होती है. मतलब, दिल्ली में शाम के समय आप सबसे ज्यादा जहरीली हवा में सांस ले रहे होते हैं. 

किसने की ये स्टडी?
ये स्टडी नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी और AARC इंजीनियर्स एंड कंसल्टेंट्स इंडिया के रिसर्चर्स ने की है. डेटा पूरे 5 साल (2019–2023) में दिल्ली के 39 एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन्स से जुटाया गया, जिसमें हर 15 मिनट का PM डेटा भी शामिल था. ये अब तक की सबसे डिटेल्ड स्टडी मानी जा रही है, जिसमें प्रदूषण से शरीर में जमा होने वाले पार्टिकल्स को भी मापा गया.

भारत की हवा दुनिया में सबसे खराब
IQAir की World Air Quality Report 2023 बताती है कि भारत की हवा लगातार दुनिया की सबसे खराब श्रेणी में बनी हुई है. रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के टॉप 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से 9 भारत में हैं. इसके साथ ही दिल्ली को दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बताया गया है. यहां की हवा में मौजूद PM10 और PM2.5 जैसे बेहद बारीक कण अक्सर सुरक्षित सीमा से कई गुना ज्यादा पाए जाते हैं. इन्हीं जहरीले कणों की वजह से लोगों में सांस की समस्या, दिल की बीमारियां, स्ट्रोक और यहां तक कि कैंसर का खतरा भी बढ़ रहा है.

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स्टडी में क्या पाया गया? 
स्टडी में एक बहुत चौंकाने वाली बात सामने आई है. शोध के मुताबिक सुबह की तुलना में शाम को घर लौटते समय हवा सबसे ज्यादा खराब होती है. जो लोग शाम की भीड़-भाड़ में सफर करते हैं, उन्हें PM2.5 की मात्रा 40% तक ज्यादा और PM10 की मात्रा लगभग 23% ज्यादा मिलती है. यानी दिन भर के बाद जब लोग राहत की सांस लेने घर की ओर बढ़ते हैं, तब हवा में मौजूद जहरीले कण सबसे ज्यादा उनके फेफड़ों में पहुंचते हैं.

कहां मिला सबसे ज्यादा प्रदूषण?
स्टडी बताती है कि सबसे ज्यादा प्रदूषण इंडस्ट्रियल और कमर्शियल इलाकों में पाया गया, जहां वाहनों की संख्या, फैक्ट्रियों से निकलता धुआं और भीड़-भाड़ लगातार बनी रहती है. वहीं सेंट्रल दिल्ली में प्रदूषण थोड़ा कम पाया गया क्योंकि यहां पेड़ों की संख्या ज्यादा है और ये एक बड़ा सरकारी क्षेत्र है, जहां ट्रैफिक भी तुलनात्मक रूप से कम रहता है.

WHO और भारत की गाइडलाइन से 40 गुना ज्यादा जहरीली हवा
स्टडी के दौरान हवा में मौजूद प्रदूषण की कुछ रीडिंग्स इतनी खतरनाक थीं कि वे किसी भी सुरक्षित स्तर के करीब तक नहीं पहुंचतीं. शोध में PM10 की सबसे ऊंची रीडिंग 826.7 µg/m³ और PM2.5 की रीडिंग 750.5 µg/m³ दर्ज की गई. ये स्तर WHO की गाइडलाइन से करीब 40 गुना ज्यादा है. इतनी जहरीली हवा में सांस लेना सीधे फेफड़ों पर हमला करता है और शरीर में लंबे समय तक नुकसान पहुंचा सकता है.

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COVID-19 लॉकडाउन में सुधरी थी दिल्ली की हवा
दिल्ली की हवा कितनी तेजी से सुधर सकती है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण COVID-19 लॉकडाउन के दौरान देखने को मिला. जब सड़कों पर गाड़ियां लगभग बंद थीं और फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं भी कम हो गया था, तब हवा अचानक साफ होने लगी. आसमान नीला दिखा, सांस लेना आसान लगा और हवा की क्वालिटी में शानदार सुधार हुआ. ये साफ साबित करता है कि यदि ट्रैफिक और इंडस्ट्री पर नियंत्रण रखा जाए, तो दिल्ली का प्रदूषण बेहद कम समय में काफी हद तक घटाया जा सकता है.

कौन से पार्टिकल हैं सबसे खतरनाक?
एक्सपर्ट्स के अनुसार 
10 माइक्रॉन से बड़े पार्टिकल- गले-नाक में ही रुक जाते हैं
PM10 (10–2.5 माइक्रॉन)- सांस की नली में जाकर ब्लॉकेज, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस बढ़ाते हैं
PM2.5 (2.5 माइक्रॉन से छोटे)- फेफड़ों के सबसे अंदर तक पहुंचकर ऑक्सीजन वाले हिस्से को प्रभावित करते हैं
अल्ट्राफाइन पार्टिकल्स- खून में घुसकर दिल, दिमाग और कई अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं

बात दें, ये सभी पार्टिकल्स महीनों से लेकर सालों तक शरीर में रह सकते हैं.

दिल्ली वालों के लिए क्या हैं उपाय?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि रोजाना की कुछ छोटी-छोटी सावधानियां भी प्रदूषण के असर को काफी हद तक कम कर सकती हैं. सबसे पहले, घर में एयर प्यूरीफायर चलाना हवा को साफ रखने में बहुत मदद करता है. अगर बाहर निकलना हो तो कोशिश करें कि N95 या हाई-फिल्टरेशन मास्क जरूर पहनें, ताकि जहरीले कण फेफड़ों तक कम पहुंचे.

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जो लोग रोज लंबा सफर करते हैं, वे अपनी कार या स्कूटर में पोर्टेबल एयर प्यूरीफायर रख सकते हैं. इससे सफर के दौरान भी साफ हवा मिलती रहेगी. इसके अलावा, अगर जरूरी न हो तो शाम के समय बाहर निकलने से बचें, क्योंकि इसी वक्त हवा सबसे ज्यादा खराब होती है.

इन उपायों को अपनाने से हवा में मौजूद बारीक पार्टिकल्स का असर 75–80% तक कम किया जा सकता है. यानी दिल्ली की सबसे खराब हवा वाले दिनों में भी आपकी सेहत पर खतरा काफी कम हो जाता है.

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