Pollution: दिन प्रतिदिन प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. ऐसे में लोगों को जहरीली हवाओं में रहना पड़ रहा है. जिसकी वजह से लोगों के फेफड़ों में दिक्कत हो रही है. बढ़ते प्रदूषण और भाग दौड़ वाली जिंदगी में लोग अपने शरीर पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं. जिसकी वजह से सेहत खराब हो रही है. लेकिन, यदि हम अपने दिनचर्या में से थोड़ा सा समय निकाल कर आयुर्वेद की तरफ ध्यान दें तो ऐसे में प्रदूषण से लड़ा जा सकता है.
काढ़े का प्रयोग कैसे करें
डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर संजय कुमार पांडे ने प्रदूषण से बचने के लिए लोगों को आयुर्वेदिक काढ़ा पीने की सलाह दी है. डॉक्टर संजय कुमार पांडे ने बताया कि, ये काढ़ा लोगों के लिए बहुत उपयोगी है. इस काढ़े की खासियत है कि ये फेफड़ों को मजबूती देता है क्योंकि इसमें वंशलोचन है, जिसमें कैल्शियम की भरपूर मात्रा होती है. साथ ही उसमें ब्रोंकास यानी कि फुसफुस.
काढ़े में मुलेठी का भी प्रयोग होता है, जो गले के संक्रमण को खत्म करता है. साथ ही बलगम को भी जमा नहीं होने देता है. काढ़े में तुलसी का भी प्रयोग होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट का काम करती है. तुलसी के अलावा दालचीनी का भी इस्तेमाल किया जाता है, जो ब्लड थिनर यानी रक्त को पतला करने में सहायक होता है. ताकि सर्कुलेशन का प्रभाव ठीक से फेफड़ों में बना रहे और वहीं गिलोय का भी इसमें इस्तेमाल होता है, यह इम्युनिटी बढ़ाता है.
ठंड के मौसम में काढ़े का प्रयोग करें
डॉ संजय कुमार पांडे ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि, इलायची और पीपली का भी उपयोग किया जाता है. पीपली पित्त शामक है और कफ को काटती है. इलायची कफ को गले और फेफड़ों में जमा नहीं होने देती. बरसात के मौसम के बाद जो ठंड का मौसम आता है, उसमें होने वाले प्रदूषण में नमी होती है. जिससे धीरे धीरे वह हमारे फेफड़ों में नाक और मुंह के सहारे प्रवेश करता है. इस काढ़े की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये ठंडी के मौसम में कफ कोल्ड नहीं होने देता है और फेफड़ों को भी मजबूत करता है. इसका एक सबसे बड़ा प्लस पॉइंट यह है कि, काढ़ा एसिडिटी नहीं बनाता है. क्योंकि इसमें सौंठ और काली मिर्च नहीं है. यह दोनों आयुर्वेदिक औषधियां शरीर में गैस बनाती हैं.
काढ़े के फायदे
इस काढ़े का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है. डॉ संजय ने आज तक को आगे इसकी सेवन की विधि भी बताई है. जिसमें उन्होंने बताया कि, इस काढ़े का सेवन चाय के तौर पर एक कप सुबह और एक कप शाम को किया जा सकता है. दो टाइम सेवन करने से फेफड़े स्वस्थ्य रहते हैं. प्रदूषण से फेफड़ों को बचाया जा सकता है. सुबह काम पर निकलने से पहले चाय के तौर पर सेवन करें. फिर ऑफिस या अन्य काम कर लेने के बाद जब घर आएं तो चाय के तौर पर इसे दोबारा पिएं. इसका स्वाद और परिणाम दोनों बढ़िया है.
डॉक्टर पांडे ने आगे यह भी बताया कि, यह सभी आयुर्वेदिक औषधियां पंसारी की दुकान पर आसानी से मिल जाएंगी. लोग औषधियां लेकर इसे घर पर आसानी से बना सकते हैं. अच्छी बात यह है कि इस काढ़े का प्रयोग आप नियमित तौर पर जैसे चाय पीते हैं उस तरीके से कर सकते हैं. काढ़े में एक चम्मच औषधी डालें फिर उसे गरम कर लें चाय की तरह इसे उबालना नहीं है, उसके बाद इसे छानकर पी लें.
काढ़ा बनाने की विधि
ढाई सौ मिली ग्राम दालचीनी, ढाई सौ मिली ग्राम नींबू घास, इलायची मुलेठी और वंशलोचन 500-500 मिली ग्राम, इसके अलावा पिपली तुलसी और गिलोय 1-1 मिली ग्राम प्रयोग करें. इन सभी को कूटकर पाउडर बना कर रख लें. फिर दो कप पानी लेकर इसमें एक चम्मच ये मसाला डालकर गर्म करके छानकर इसका सेवन करें. वहीं डॉक्टर संजय कुमार पांडे ने दूसरा सेवन भी बताया और कहा कि, लॉन्ग और कपूर को यदि समय-समय पर सूंघा जाए तो यह भी फेफड़ों को मजबूत करता हैं. वहीं तीसरा सेवन बताते हुए डॉ संजय कुमार पांडे ने बताया कि थोड़ा-सा सेंधा नमक, फिटकरी और हल्दी को लेकर गुनगुने पानी में मिलाकर गरारे कर लें. इससे यह होगा कि यह सारी चीजें गले में संक्रमण नहीं होने देंगी और इससे फेफड़े भी मजबूत रहेंगे.