सपा प्रमुख और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव काफी समय से उनके पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक (पीडीए) फॉर्मूले की वकालत कर रहे हैं. कुछ खबरों के मुताबिक उन्हें पीडीए फॉर्मूले का लोकसभा चुनाव में जबरदस्त फायदा भी मिला.
लेकिन क्या समाजवादी पार्टी की मीटिंग में यादव समुदाय के लोगों ने एक दलित नेता को सिर्फ इसलिए पीट दिया क्योंकि वो सोफे पर बैठ गया था? सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो के साथ कुछ ऐसा ही कहा जा रहा है. वीडियो में एक कमरे में कुछ आदमी मिलकर सोफे पर बैठे एक शख्स को बुरी तरह पीट रहे हैं.
वीडियो को शेयर करते हुए लोग कैप्शन में लिख रहे हैं, “समाजवादी पार्टी का एक दलित नेता PDA के नारे के बहकावे में आकर सोफे पर बैठ गया तो समाजवादी पार्टी के यादव नेताओ को अच्छा नहीं लगा और सपा PDA के नेताओं ने SC नेता को मिलकर मार-पीट कर दिया अकेले SC नेता पर यह यादव नेता बहादुरी दिखा रहे. मैं फिर से कह रहा हूं कि समाजवादी पार्टी की मूलभूत सोच दलित विरोधी रही है. इन्होंने जब बहन कुमारी मायावती जी के साथ दरिंदगी किया तो आप सोच लीजिए कि दलितों के प्रति महिलाओं के प्रति उनकी कितनी गंदी और घटिया सोच है”.
इस कैप्शन के साथ वीडियो को फेसबुक और एक्स पर सैकड़ों लोग शेयर कर चुके हैं. वायरल पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
लेकिन आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि इस वीडियो का समाजवादी पार्टी से कोई संबंध नहीं है. ये हाल का महाराष्ट्र के लातूर का वीडियो है जहां एक मराठा समाजसेवी को स्थानीय एनसीपी कार्यकर्ताओं ने पीट दिया था. मामले में कोई जातीय एंगल नहीं है.
कैसे पता की सच्चाई?
गूगल लेंस की मदद से सर्च करने पर हमें द टाइम्स ऑफ इंडिया की 21 जुलाई की एक रिपोर्ट मिली जिसमें वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट के साथ इस घटना के बारे में बताया गया है. खबर के मुताबिक, ‘छावा संगठन’ नाम के एक मराठा संगठन के कार्यकर्ता, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजीत पवार) नेता सुनील तटकरे की प्रेस वार्ता में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
ये संगठन महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे के इस्तीफे की मांग कर रहा था. और वो इसलिए क्योंकि कोकाटे पर आरोप लगा है कि वो विधानसभा सत्र के दौरान मोबाइल पर गेम खेल रहे थे.
प्रदर्शन के दौरान छावा संगठन के लोगों ने प्रेस वार्ता में सुनील तटकरे के सामने ताश के पत्ते फेंके और कोकाटे के खिलाफ नारेबाजी की. इसके बाद वहां बवाल खड़ा हो गया और एनसीपी कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर पास वाले कमरे में छावा संगठन के लोगों को पीट दिया.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, छावा संगठन के राज्य अध्यक्ष विजयकुमार घाडगे को पुलिस के सामने पीटा गया था और ये घटना कैमरे में रिकॉर्ड हो गई थी. लोकमत टाइम्स की रिपोर्ट में यही लिखा गया है.
वायरल दावे को लेकर हमने विजयकुमार घाडगे से बात की. उन्होंने हमें बताया कि न ही उन्हें सपा के लोगों ने पीटा और न ही वो दलित हैं. विजय के मुताबिक, वो सवर्ण जाति से आते हैं और मराठा हैं. विजय का ये भी कहना था कि प्रदर्शन में उनके साथ कुछ ओबीसी समुदाय के कार्यकर्ता भी थे जिन्हें पीटा गया.
आजतक के लातूर संवाददाता ने भी इस बात की पुष्टि की कि इस मामले में कोई जातीय एंगल नहीं है.