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फैक्ट चेक: गोरखपुर में पांच साल पहले हुए सीएए विरोधी प्रदर्शन का वीडियो संभल हिंसा का बताकर हो रहा है शेयर

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 24 नवंबर को मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों लोग घायल हैं. इस मामले में पुलिस ने अब तक 21 लोगों को गिरफ्तार किया है. 24 नवंबर की सुबह कोर्ट के आदेश के तहत वकीलों की एक टीम, शाही जामा मस्जिद में सर्वे करने पहुंची थी.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
ये वीडियो संभल का है, जहां मस्जिद के सर्वे का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
न तो ये वीडियो संभल का है, न ही हाल-फिलहाल का है. ये गोरखपुर का दिसंबर 2019 का वीडियो है जब पुलिस ने सीएए-एनआरसी का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया था.

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 24 नवंबर को मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों लोग घायल हैं.  इस मामले में पुलिस ने अब तक 21 लोगों को गिरफ्तार किया है. 

दरअसल, 24 नवंबर की सुबह कोर्ट के आदेश के तहत वकीलों की एक टीम, शाही जामा मस्जिद में सर्वे करने पहुंची थी. कोर्ट ने ये आदेश एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया था, जिसमें कहा गया था कि ये मुगल कालीन मस्जिद, एक मंदिर को तोड़ कर बनी है.  स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इस सर्वे का विरोध किया जिसके बाद उनकी पुलिस से हिंसक झड़प हो गई.

अब सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि ये संभल में प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करती पुलिस का हालिया वीडियो है.

वायरल वीडियो में एक गली के अंदर भारी भीड़ दिख रही है जिस पर पुलिस लाठीचार्ज कर रही है. भीड़ में कई लोग इस्लामिक टोपी लगाए हुए हैं. फेसबुक पर वीडियो शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, “संभल में आतंकियों पर लाठी चार्ज हुआ यही भाषा समझ आती है इनको. देश संविधान से चलेगा, शरिया से नहीं. न्याय कोर्ट मे होगा और कोर्ट का आदेश मानना पड़ेगा. ये हिंदुस्तान है पाकिस्तान बांग्लादेश अफगानिस्तान सीरिया नहीं.” ऐसे ही एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां  देखा जा सकता है.

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fact check

आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि न तो ये वीडियो संभल का है, न ही हाल-फिलहाल का है. ये गोरखपुर का दिसंबर 2019 का वीडियो है जब पुलिस ने सीएए-एनआरसी का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया था.

कैसे पता चली सच्चाई?

वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें पता चला कि इसे मार्च 2020 में एक यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया था. जाहिर है, ये वीडियो संभल में हुई हालिया हिंसा का नहीं हो सकता.

कहां का है वीडियो?

हमने वीडियो में दिख रही दुकानों के नामों को देखा. इन्हें गूगल मैप्स पर सर्च करने से हमें पता चला कि वीडियो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर का है, जो संभल से करीब 650 किलोमीटर दूर है. गूगल मैप्स के अनुसार, वीडियो में दिख रही जगह, गोरखपुर का नखास चौक इलाका है. इस इलाके के स्ट्रीट व्यू की तुलना वायरल वीडियो से करने पर स्पष्ट हो जाता है कि ये गोरखपुर का ही है.

fact check

इस जानकारी की मदद से हमें दिसंबर 2019 की कई न्यूज रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें वायरल वीडियो वाली घटना के अलग-अलग एंगल्स से रिकॉर्ड किए गए वीडियो मौजूद हैं. 20 दिसंबर, 2019 की लाइव हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, उस समय मुस्लिम समुदाय के कई लोग नागरिकता (संशोधन) कानून और एनआरसी का विरोध कर रहे थे. गोरखपुर सहित उत्तर प्रदेश के कई जिलों में ये प्रदर्शन हिंसक हो गए थे, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया था.

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"यूपी तक" की दिसंबर 2019 की ही रिपोर्ट में वायरल वीडियो वाली घटना से मिलते-जुलते दृश्य देखे जा सकते हैं. लाइव हिंदुस्तान के अनुसार, लाठीचार्ज की ये घटना गोरखपुर के नखास चौक पर हुई थी. इससे गूगल मैप्स पर मिली जानकारी की भी पुष्टि होती है.  

संभल में 24 नवंबर की हिंसा में चार लोगों की मौत के बाद पुलिस ने कहा है कि ये मौतें पुलिस की गोली से नहीं बल्कि देसी तमंचों से हुई हैं.

हालांकि, संभल से भी प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प के वीडियो सामने आए हैं, मगर ये 2019 का गोरखपुर का वीडियो है.

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