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फैक्ट चेक: कश्मीर में अपने दादा के शव के ऊपर बैठे बच्चे का ये वीडियो 2020 का है, इसका पहलगाम अटैक से नहीं है कुछ लेना-देना

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो के दूसरे हिस्से में बच्चा खून से लिपटी कमीज पहने हुए किसी कार के अंदर नजर आता है. साथ ही किसी महिला की आवाज सुनाई देती है जो उस बच्चे को बिस्किट और चॉकलेट देकर बहलाने की कोशिश कर रही हैं.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
ये वीडियो 22 अप्रैल, 2025 का है जब कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने एक बच्चे सामने ही उसके दादा को गोली मार दी क्यों कि वो हिंदू थे.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
ये घटना हाल-फिलहाल की नहीं बल्कि 2020 की है. उस वक्त कश्मीर के सोपोर टाउन में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ के दौरान इस बच्चे के दादा बशीर अहमद खान की हत्या हो गई थी.

कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कम से कम 26 लोगों की जान चली गई है. इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद से ही सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें किसी बच्चे को एक शव के ऊपर बैठे हुए देखा जा सकता है.

वीडियो के दूसरे हिस्से में वही बच्चा खून से लिपटी कमीज पहने हुए किसी कार के अंदर नजर आता है. साथ ही, किसी महिला की आवाज सुनाई देती है जो उस बच्चे को बिस्किट और चॉकलेट देकर बहलाने की कोशिश कर रही हैं. लेकिन वो बच्चा बस रोए जा रहा है. 

 

पहलगाम हमला

वीडियो को फेसबुक पर शेयर करते हुए कुछ लोग कह रहे है कि ये घटना 22 अप्रैल की है, जब पहलगाम में हुए आतंकी हमले में इस बच्चे के दादा की हत्या कर दी गई क्योंकि वो हिंदू थे. वीडियो के साथ लोग कैप्शन में लिख रहे हैं, "#पहलगाम कश्मीर में घूमने गए इस #मासूम बच्चे के सामने उसके #दादा को गोलियों से भून दिया गया क्योंकि वह #हिंदू थे."

आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये घटना हाल-फिलहाल की नहीं, बल्कि करीब पांच साल पुरानी है और कश्मीर के सोपोर इलाके की है. साथ ही, इस घटना में जो बुजुर्ग मारा गया, वो मुस्लिम था.  

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कैसे पता चली सच्चाई?

वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को गूगल लेंस की मदद से रिवर्स सर्च करने पर हमें इसका एक स्क्रीनशॉट 04 जुलाई, 2020 को छपी 'नेशनल हेरल्ड' की एक न्यूज रिपोर्ट में मिला.

पहलगाम हमला

रिपोर्ट के मुताबिक, ये घटना 1 जुलाई, 2020 को कश्मीर के सोपोर टाउन में घटी थी. उस दिन सुबह साढ़े सात बजे जब बशीर अहमद खान अपने तीन साल के पोते के साथ अपनी कार में घूमने निकले, उस वक्त सोपोर में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच गोलीबारी चल रही थी. इसी गोलीबारी के वक्त बशीर की गाड़ी बीच में आ गई और बशीर को गोली लग गई जिससे उनकी मौत हो गई.

3 जुलाई, 2020 को छपी 'इंडिया टुडे' की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि बशीर खान की उम्र 65 साल थी और उनके परिवार का आरोप था कि उन्हें कार से जबरदस्ती बाहर निकाल कर सुरक्षाबलों ने मार दिया. हालांकि जम्मू कश्मीर पुलिस के तत्कालीन इंस्पेक्टर जनरल विजय कुमार ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा था, "मैं उस परिवार से पूछना चाहता हूं कि क्या वो उस हादसे के स्थल पर मौजूद थे? क्या उन्होंने किसी को गोली चलाते हुए देखा था? वो बिना किसी सबूत के सुरक्षाबलों को जिम्मेदार ठहराते हुए वीडियो शेयर कर रहे हैं, जो कि बिल्कुल बेबुनियाद है."

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'हिंदुस्तान टाइम्स' के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर हमें वो वीडियो मिल गया जिसमें वायरल वीडियो वाले बच्चे को एक कार के अंदर बैठकर रोते हुए देखा जा सकता है. यहां बताया गया है कि एक आम नागरिक के साथ-साथ एक सीआरपीएफ जवान ने भी आतंकियों के साथ इस मुठभेड़ में जान गंवाई थी.

साफ है, 2020 में घटी एक घटना को पहलगाम में हुई हालिया आतंकी वारदात से संबंधित बताकर भ्रामक तरीके से शेयर किया जा रहा है.
 

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