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एक पर यौन शोषण का आरोप, दूसरे ने अभी बनाई पार्टी, कौन हैं जो चुनाव में व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ खड़े हैं?

रूस में राष्ट्रपति चुनाव शुरू होने वाला है. वैसे नतीजे पहले से ही तय हैं. किसी को शक नहीं कि व्लादिमीर पुतिन ही एक बार फिर लीडर बनेंगे. उनके कार्यकाल में रूस से विपक्ष करीब-करीब खत्म हो चुका. लेकिन तब चुनाव कैसे हो रहे हैं? क्या इसमें पुतिन के खिलाफ खड़े लोग केवल मोहरा हैं, या वाकई रूसी जनता का कुछ प्रतिशत ऐसा है, जो विकल्प चाहता है?

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Photo- AP)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Photo- AP)

रूस में 15 से 17 मार्च तक राष्ट्रपति चुनाव होने हैं. इसके कुछ समय बाद रिजल्ट आ जाएगा, और मई में शपथ ली जाएगी. इलेक्शन में यूक्रेन के कुछ हिस्से भी शामिल होंगे, जिनपर रूस का कंट्रोल आ चुका है. वैसे इलेक्शन को केवल रस्म-अदायगी माना जा रहा है. पुतिन पर आरोप लगता रहा कि उन्होंने संविधान में ऐसे बदलाव किए, जिसने उन्हें असीमित ताकत दे दी. यहां तक अगर चुनाव न हो, तब भी वे लीडर बने रह सकते हैं. 

कितने वोटर्स हैं

इस बार वहां 112 मिलियन लोग वोट देने वाले हैं. रूस के बहुत से लोग दूसरे देशों में भी रह रहे हैं, जिनके पास वोटिंग का अधिकार है. ये लोग 1.9 मिलियन हैं. इसके अलावा रूस ने कजाकिस्तान में एक बंदरगाह लीज पर लिया हुआ है. यहां भी उसके 12 हजार वोटर रहते हैं. 

इलेक्शन में कौन-कौन दावेदार

कई लोग थे, जो पुतिन को वाकई कड़ी टक्कर दे सकते थे. एलेक्सी नवलनी उनमें से एक थे. रूसी जनता में काफी लोकप्रिय इस लीडर की कुछ दिनों पहले ही हिरासत में मौत हो गई. एक और लीडर था, जो पुतिन के खिलाफ मजबूत विकल्प बनकर उभरा- प्राइवेट आर्मी चीफ येवगेनी प्रिगोझिन. लेकिन उनकी भी कुछ महीनों पहले विमान हादसे में मौत हो गई. इनके अलावा कई और लीडर रहे, जो समय-समय पर पुतिन के खिलाफ खड़े हुए लेकिन वे या तो अज्ञातवास में हैं, या मारे जा चुके. कुल मिलाकर पुतिन अकेला विकल्प बने हुए हैं. 

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कौन हैं पद के दावेदार

सबसे पहला नाम है पुतिन का. 71 साल के पुतिन साल 1999 में पहली बार पद पर आए, जिसके बाद से वे राष्ट्रपति बने हुए हैं. आखिरी बार उन्होंने काफी बड़े मार्जिन से चुनाव जीता था. फरवरी में एक सर्वे हुआ था, जिसमें दावा किया गया कि 75 प्रतिशत से ज्यादा रूसी इस पद पर पुतिन को ही देखना चाहते हैं. 

पुतिन के अलावा कौन-कौन

निकोलई खारितोनोव कम्युनिस्ट पार्टी से खड़े हैं. 75 साल का ये शख्स रूस में काफी लोकप्रिय है. इसका अंदाजा इस बात से लगा लीजिए कि शुरुआत से ही इन्हें पुतिन के बाद सबसे ज्यादा वोट मिलते रहे. वैसे फरवरी वाला स्टेट सर्वे मानता है कि केवल 4% रूसी ही इन्हें वोट करेंगे. 

लियोनिड ल्स्टस्की पर पत्रकार के शोषण का आरोप

56 साल के लियोनिड लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ रशिया के लीडर के हैं. अक्सर टीवी डिबेट में आने वाले इस नेता की यूएपपी है- वेस्टर्न देशों की बुराई करना. यानी ये रूस की कम्युनिस्ट भावना को इस्तेमाल कर रहे हैं. वैसे ये लोकप्रिय नहीं. यहां तक कि एक महिला पत्रकार के यौन शोषण का भी आरोप लग चुका. 

presidential election russia who is fighting against vladimir putin wikipedia
निकोलई खारितोनोव.

व्लादिस्तलाव दावानकव ने हाल में बनाई पार्टी

ये सबसे युवा नेता हैं, जो राष्ट्रपति पद के लिए खड़े हैं. 40 साल के व्लादिस्तलाव की पार्टी भी साल 2020 में ही बनी. उनका नारा है- यस टू चेंज और टाइम फॉर न्यू पीपल. हालांकि कहने की बात नहीं, कि रूस में इनका कोई बेस या पहचान नहीं है. 

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कुल मिलाकर ये सारे नेता जो चुनाव लड़ेंगे, इनकी हार तय है. कई बार रूसी इन्फ्यूएंसर ये भी कहते रहे कि चुनाव होना और चुनाव में पुतिन के खिलाफ लोगों का जमा होना सिर्फ क्रेमलिन का स्क्रिप्टेड प्लान है ताकि दुनिया को भ्रम बना रहे. इससे एक फायदा ये भी होता है कि रूसी जनता की नब्ज पता लग जाती है. थोड़े-बहुत लोग इन दावेदारों की तरफ जाएंगे भी, लेकिन किसी की पकड़ ऐसी नहीं कि वो पुतिन को टक्कर दे सके. 

presidential election russia who is fighting against vladimir putin wikipedia photo AP

कौन सा बदलाव हो चुका

अब बात करते हैं, उस बदलाव की, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि चुनाव सिर्फ औपचारिकता है. साल 2020 में रूस में बड़ा उलटफेर हुआ. वहां संविधान में संशोधन का प्रस्ताव आया. इसके तहत ये प्रपोज किया गया कि पुतिन साल 2036 तक राष्ट्रपति पद पर बने रहें. यानी, जब तक उनकी उम्र 83 बरस न हो जाए. 

जनता का मन टटोलने हुई वोटिंग 

रूस के केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने खुद को पूरी तरह पारदर्शी दिखाते हुए संशोधन के लिए सर्वेनुमा वोटिंग भी कराई. नतीजे पुतिन के पक्ष में थे. दावा किया गया कि करीब 77.9 प्रतिशत लोग पुतिन को लगातार राष्ट्रपति बनाए रखने के पक्ष में थे. वैसे क्रेमलिन के आलोचकों का कहना है कि मनमुताबिक नतीजे पाने के लिए इसमें धांधली की गई, लेकिन कोई सबूत न होने की वजह से बात आई-गई हो गई.

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