प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बेंगलुरु में हैं. वो यहां बेंगलुरु के संस्थापक नदप्रभु कैम्पेगौड़ा (Nadaprabhu Kempegowda) की मूर्ति का अनावरण करेंगे. कांस्य से बनी ये मूर्ति 108 फीट ऊंची है. मूर्ति के अलावा पीएम मोदी यहां के कैम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टर्मिनल 2 का भी उद्घाटन करेंगे. इसकी लागत करीब 5 हजार करोड़ रुपये है.
प्रधानमंत्री मोदी का ये दौरा राजनीतिक लिहाज से भी बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि कर्नाटक में 5 महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं.
हालांकि, कांग्रेस ने कैम्पेगौड़ा की मूर्ति के उद्घाटन को लेकर सवाल उठाए हैं. कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने सवाल उठाया कि कैम्पेगौड़ा की मूर्ति बनाने के लिए सरकारी पैसों का इस्तेमाल क्यों किया गया? उन्होंने कहा कि कैम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का जिम्मा बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (BIAL) के पास है और उसे ही इस मूर्ति का खर्चा उठाना चाहिए था.
शिवकुमार ने कहा, 'सरकारी पैसे से बनी प्रतिमा को स्थापित करना अपराध है. कर्नाटक सरकार ने BIAL को जमीन और फंड दिया था. 4,200 एकड़ जमीन में से 2,000 एकड़ जमीन सिर्फ 6 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से दी गई थी. उनके पास शेयर भी हैं. BIAL को अपने पैसे का इस्तेमाल करना चाहिए था.'
एयरपोर्ट परिसर में कैम्पेगौड़ा की प्रतिमा के अलावा 23 एकड़ में बना एक थीम पार्क भी है. इसकी लागत 84 करोड़ रुपये है.
लेकिन कैम्पेगौड़ा हैं कौन?
नदप्रभु कैम्पेगौड़ा विजयनगर साम्राज्य के शासक थे. 1537 में उन्होंने ही बेंगलुरु की स्थापना की थी. यहां उन्होंने कन्नड़ भाषा में कई शिलालेख बनवाए थे.
कैम्पेगौड़ा के पिता मोरासू वोक्कालिगा कैम्पेंनंजे गौड़ा के पुत्र थे, जिन्होंने 70 साल से भी ज्यादा समय तक येल्हानकनाडु पर शासन किया था. माना जाता है कि 15वीं सदी में उनका परिवार तमिलनाडु के कांची से कर्नाटक आ गया और विजयनगर साम्राज्य का शासन संभाला. सन् 1513 में कैम्पेगौड़ा ने अपने पिता की विरासत को संभाला. कैम्पेगौड़ा ने लगभग 46 साल तक विजयनगर साम्राज्य पर शासन किया.
माना जाता है कि एक बार कैम्पेगौड़ा अपने मंत्री वीरन्ना और सलाहकार गिद्दे गौड़ा के साथ शिकार पर गए थे, तभी उन्होंने एक ऐसे शहर की कल्पना की थी जहां किले, टैंक, छावनी, मंदिर और कारोबार करने की सुविधा हो.
कैम्पेगौड़ा ने पहले शिवगंगा रियासत पर जीत हासिल की और बाद में डोम्लूर को भी जीत लिया. डोम्लूर पुराने बेंगलुरु एयरपोर्ट की सड़क पर स्थित है. 1537 में उन्होंने बेंगलुरु किले का निर्माण किया और शहर बसाया. और अपनी राजधानी को येलहांका से बेंगलुरु में स्थानांतरित कर लिया.
कैम्पेगौड़ा ने जो किला बनाया था, वो लाल रंग का था. इस किले में 8 दरवाजे थे और अंदर दो चौड़ी सड़कें थीं. किले के बाहर चारों ओर चौड़ी खाई भी बनी थी. उन्होंने दूर-दराज के इलाकों से कुशल कारीगरों को भी यहां बसाया ताकि वो कारोबार कर सकें.
कैसे है उनकी 108 फीट ऊंची मूर्ति?
पीएम मोदी कैम्पेगौड़ा की जिस 108 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करेंगे, उसे प्रसिद्ध मूर्तिकार और पद्म भूषण से सम्मानित राम वनजी सुतार ने डिजाइन किया है. सुतार ने गुजरात में सरदार पटेल की मूर्ति को भी डिजाइन किया था.
किसी शहर के संस्थापक की ये सबसे ऊंची मूर्ति है. इस मूर्ति का वजन 218 टन है, जिसमें 98 टन कांस्य और 120 टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है. मूर्ति की तलवार का वजन ही 4 टन है.