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1930 जैसी आर्थिक मंदी कैसे आती है? बैंक कैसे बचा सकते हैं? ये बताने वालों को अर्थव्यवस्था का नोबेल पुरस्कार

Nobel Prize 2022: अमेरिका के तीन अर्थशास्त्रियों बेन एस. बर्नाके, डगलस डबल्यू. डायमंड और फिलिप एच. डायबविग को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा. तीनों ने बैंकिंग सेक्टर को बेहतर करने के तरीकों पर रिसर्च की थी. इन्होंने डायमंड-डायवबिग मॉडल भी दिया था. नोबेल पुरस्कार 10 दिसंबर को दिया जाएगा.

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बेन एस. बर्नाके, डगलस डबल्यू. डायमंड और फिलिप एच. डायबविग को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा. (फोटो- नोबेल प्राइज)
बेन एस. बर्नाके, डगलस डबल्यू. डायमंड और फिलिप एच. डायबविग को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा. (फोटो- नोबेल प्राइज)

Nobel Prize 2022: अर्थशास्त्र में इस साल का नोबेल पुरस्कार अमेरिका के तीन अर्थशास्त्रियों बेन एस. बर्नाके (Ben S. Bernake), डगलस डब्ल्यू. डायमंड (Douglas W. Diamond) और फिलिप एच. डायबविग (Philip H. Dybvig) को दिया जाएगा. तीनों ने आर्थिक मंदी के दौर में बैंकिंग सेक्टर को बेहतर करने के तरीकों पर रिसर्च की थी.

तीनों को नोबेल पुरस्कार अपनी उस रिसर्च के लिए मिला है, जिसमें इन्होंने बताया था कि कैसे फाइनेंशियल सेक्टर को रेगुलेट करके और फेल हो चुके बैंकों को आगे बढ़ाकर 1930 जैसी महामंदी से बचा जा सकता है.

तीनों को फोकस अर्थव्यवस्था में बैंकों की भूमिका पर था. इन्होंने बताया था कि आर्थिक संकट के दौर में बैंक कैसे इस मुश्किल को और बढ़ा सकते हैं. इन्होंने बताया था कि बैंकों को फेल होने से बचाना क्यों जरूरी है?

कौन हैं तीनों?

बर्नाके अमेरिका के केंद्रीय बैंक के पूर्व अध्यक्ष हैं. वो 2006 से 2014 तक केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष रहे हैं. उनके कार्यकाल में ही दुनिया ने 2007-08 की मंदी का सामना किया था. 1980 के दशक में उन्होंने बताया था कि ये बैंकों की नाकामी थी जो 1930 की महामंदी का कारण बनी.

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डायमंड शिकागो यूनिवर्सिटी में फाइनेंस के प्रोफेसर हैं, जहां वो फाइनेंशियल इंटरमीडियरिज और फाइनेंशियल क्राइसिस को पढ़ाने में माहिर हैं. वहीं, डायबविग एक अर्थशास्त्री हैं और सेंट लुईस में वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में बैंकिंग और फाइनेंस के प्रोफेसर हैं. 1983 में इस जोड़ी ने डायमंड-डायबविग मॉडल बनाया था.

क्या है डायमंड-डायबविग मॉडल?

ये मॉडल बताता है कि बैंक कैसे जमा करने वालों और उधार लेने वालों में मध्यस्थ बन सकते हैं. मॉडल बताता है कि जमा करने वाले अपने हाथ में नकदी चाहते हैं, जबकि उधार लेने वाले लंबी अवधि के लिए लोन लेना पसंद करते हैं. अब ये बैंकों की जिम्मेदारी है कि वो इस बचत को कैसे निवेश यानी लोन में बदलने की कोशिश करते हैं.

इसमें बताया गया था कि सामान्य परिस्थितियों में ये मॉडल अच्छी तरह से काम करता है. बैंक उधार लेने वालों को लंबी अवधि के लिए लोन दे सकते हैं और बचत करने वालों की जरूरतों को पूरी करने के लिए नकदी का केवल छोटा सा हिस्सा अपने पास रख सकते हैं.

हालांकि, इसमें ये भी बताया गया था कि अगर सभी जमाकर्ता एक ही समय में अपनी बचत निकालने की कोशिश करते हैं, तो ऐसे में बैंक उनकी मांगों को पूरा नहीं कर सकेंगे और बैंक दिवालिया हो जाएंगे.

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डायमंड-डायबविग का मॉडल बताता है कि बैंक चलाना बैंकिंग प्रणाली की कमजोरी है, क्योंकि बैंकों की स्थिरता इस बात पर निर्भर करती है कि जमाकर्ता दूसरे जमाकर्ताओं से क्या उम्मीद करते हैं. अगर कई लोग अपनी बचत निकालने लगते हैं तो दूसरे बैंकों से भी लोग अपनी बचत निकालना चाहेंगे.

डायमंड का कहना है कि वित्तीय संकट और भी बदतर तब हो जाता है, जब लोगों का सिस्टम की स्थिरता से भरोसा उठ जाता है.

इन्होंने रिसर्च कर बताया था कि अगर घबराए हुए बचतकर्ता बैंकों में जमा अपनी रकम निकालने लगते हैं तो बैंकों की हालत क्या हो सकती है. हालांकि, मॉडल में बताया गया था कि अगर सरकार उनके पैसे की गारंटी लेती है तो वित्तीय संकट से बचा जा सकता है.

10 दिसंबर को मिलेगा नोबेल पुरस्कार

नोबेल पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर दिया जाता है. उन्होंने 1895 में अपनी वसीयत में अर्थशास्त्र के लिए पुरस्कार का जिक्र नहीं किया था. इसकी शुरुआत स्वीडन के केंद्रीय बैंक ने की थी. 1969 में पहली बार अर्थशास्त्र के लिए पुरस्कार दिया गया था.

10 दिसंबर 1896 को अल्फ्रेड नोबेल का निधन हो गया था. इसलिए हर साल 10 दिसंबर को नोबेल पुरस्कार दिया जाता है. पुरस्कार के रूप में 10 मिलियन स्वीडिश क्रॉनर यानी लगभग 9 लाख अमेरिकी डॉलर दिए जाते हैं.

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