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48.20% वोटर्स, मतदान में बढ़ती हिस्सेदारी... क्या इसलिए MP में महिलाओं पर फोकस कर रही बीजेपी-कांग्रेस?

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस महिला वोटरों को अपने पाले में करने में जुटी हुई है. शिवराज सिंह चौहान लाडली बहना योजना तो कमलनाथ नारी सम्मान के जरिये अपनी अपनी पार्टियों को सत्ता में लाने की कोशिश कर रहे हैं. आखिर एमपी में क्यों महिला वोटबैंक पर गड़ गई है बीजेपी और कांग्रेस की आंखें? समझिए...

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

वैसे तो महिलाओं को आधी आबादी के तौर पर पेश किया जाता है. लेकिन चुनावों में मतादाता के तौर पर महिलाओं को अहमियत कम ही मिलती है. हालांकि, धीरे-धीरे ही सही, लेकिन चुनावी राजनीति में महिलाओं को भी अब अहमियत मिलने लगी है. ये आधी आबादी अब सत्ता 'बनाने' या 'बदलने' का दमखम भी रखती है.

शायद यही वजह है कि अब महिलाओं को साधने वाले चुनावी वादे किए जाने लगे हैं. या उनके लिए योजनाएं लाई जाने लगीं हैं. 

कुछ ही महीनों में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं. और चुनावों से पहले सत्ताधारी बीजेपी और विपक्ष में बैठी कांग्रेस, दोनों ही महिलाओं को साधने में जुट गईं हैं. 

इसे ऐसे समझिए कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 'लाडली बहना योजना' शुरू की, तो इसके जवाब में कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी सरकार बनने पर 'नारी सम्मान योजना' लागू करने का वादा कर दिया.

महिलाओं के लिए क्या-क्या?

- रविवार को राजधानी भोपाल के जम्बूरी मैदान में एक बड़ा कार्यक्रम हुआ. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं के लिए घोषणाओं की झड़ी लगा दी.

- एमपी की बीजेपी सरकार ने इसी साल मार्च में लाडली बहना योजना शुरू की थी. इसके तहत, महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपये दिए जाते हैं. अब चुनाव से पहले इसमें 250 रुपये और बढ़ा दिए गए हैं. सीएम शिवराज ने ऐलान किया है कि अक्टूबर से हर महीने 1,250 रुपये आने लगेंगे.

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- इतना ही नहीं, महिलाओं को सस्ता गैस सिलेंडर भी दिया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि सावन में 450 रुपये में गैस सिलेंडर देंगे. सरकार महिलाओं के खातों में हर महीने 600 रुपये डालेगी, जिससे उन्हें सिलेंडर 450 रुपये में पड़ेगा.

- इसके अलावा पुलिस और दूसरी भर्तियों में भी महिलाओं को 30 की बजाय 35% आरक्षण दिया जाएगा. शिक्षकों के पदों पर अब महिलाओं को 50% आरक्षण मिलेगा. बहनों की स्कूल फीस भी सरकार भरेगी. 

- इन सबके अलावा, सीएम शिवराज ने ये भी ऐलान किया कि पात्र महिलाओं को आजीविका मिशन से लोन दिया जाएगा. इस पर ब्याज सरकार भरेगी. छोटे-मोटे उद्योग के लिए महिलाओं को इंडस्ट्रियल एरिया में प्लॉट मिलेगा. मकसद ये है कि महिलाओं की मासिक आमदनी कम से कम 10 हजार रुपये हो जाए.

महिलाओं के लिए शिवराज ने खोला खजाना
साल 2023-24 में शिवराज सरकार ने महिलाओं के लिए कुल 1 लाख 2 हजार 976 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.

लाडली बहना योजना ₹5,000 करोड़
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए ₹660 करोड़
पीएम मातृ वंदना योजना ₹1,466 करोड़
लाडली लक्ष्मी योजना ₹929 करोड़
कन्या विवाह एवं निकाह योजना ₹80 करोड़
तीर्थदर्शन योजना ₹50 करोड़ (महिला एवं पुरुष)

कांग्रेस भी पीछे नहीं...

सिर्फ बीजेपी ही नहीं, बल्कि कांग्रेस की निगाहें भी महिला वोटरों पर हैं. मार्च में सीएम शिवराज ने जब लाडली बहना योजना की घोषणा की तो एमपी कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी नारी सम्मान योजना का ऐलान कर दिया.

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इतना ही नहीं, 27 अगस्त को शिवराज ने जब सारी घोषणाएं की तो थोड़ी ही देर बाद कमलनाथ ने भी घोषणाओं की झड़ी लगा दी. 

उन्होंने फिर नारी सम्मान योजना को दोहराते हुए ऐलान किया कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये दिए जाएंगे. उन्होंने ये भी कहा कि शिवराज को 100 रुपये में बिजली दे रहे हैं, हम तो मुफ्त करने जा रहे हैं. कांग्रेस ने सरकार बनने पर 100 यूनिट तक बिजली फ्री देने का वादा किया है.

महिलाओं पर इतना फोकस क्यों?

इसकी सबसे बड़ी वजह है मध्य प्रदेश की चुनावी राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ना. बीते कुछ सालों में न सिर्फ महिला वोटरों की संख्या बढ़ी है, बल्कि चुनावों में इनका वोटिंग प्रतिशत भी बढ़ा है.

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, इस समय प्रदेश में 5.39 करोड़ वोटर्स हैं. इनमें से 2.60 करोड़ यानी 48 फीसदी से ज्यादा महिला वोटर्स हैं. 

आंकड़े बताते हैं कि पांच साल में 35 लाख से ज्यादा वोटर्स बढ़े हैं. इनमें 19 लाख महिला और 16 लाख पुरुष वोटर्स हैं. 

इतना ही नहीं, प्रदेश के 52 में से 41 जिले ऐसे हैं, जहां महिला वोटर्स की संख्या पुरुषों से ज्यादा है. इसके अलावा, कुछ साल पहले तक हर एक हजार पुरुष वोटर्स पर 926 महिला वोटर्स हुआ करती थीं. अब ये आंकड़ा 931 महिलाओं का हो गया है.

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इन सबके अलावा, अगर चुनावों में महिला वोटर्स की भागीदारी के आंकड़े देखें तो वो भी हैरान करने वाले हैं. 2018 में 74% महिला वोटर्स ने वोट डाला था. 2013 के चुनावों के वक्त 70% महिला वोटर्स ने वोटिंग की थी. यानी, पांच साल में ही महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 4 फीसदी तक बढ़ गया था.

(इनपुटः रवीश पाल सिंह)

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