scorecardresearch
 

प्रतिबंधों के बीच नई मुसीबत, अंतरिक्ष से दिखा ईरान का जल संकट, क्यों राजधानी बदलने की आ चुकी नौबत?

ईरान लगातार छह सालों से सूखा झेल रहा है. गर्मियों में यहां तापमान 50 डिग्री से ऊपर जाने लगा. अब सैटेलाइट इमेज भी इस देश की खस्ता हालत को बता रही है. तेहरान में पांच में से चार पानी के स्त्रोत सूखे दिखने लगे. यहां तक कि अब राजधानी शिफ्ट करने की भी बात होने लगी.

Advertisement
X
ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के दौर में ईरान कई संकटों से घिरा हुआ है. (Photo- AFP)
ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के दौर में ईरान कई संकटों से घिरा हुआ है. (Photo- AFP)

क्लाइमेट चेंज की बात अब किताबों या क्लाइमेट कार्यकर्ताओं तक सीमित नहीं रही, ये खुलकर दिख रही है. लगभग हर महाद्वीप और हरेक देश में किसी न किसी रूप में यह दिखने लगा लेकिन मिडिल-ईस्ट स्थित ईरान की हालत ज्यादा खराब है. यहां तक कि वो अपनी राजधानी तक बदल सकता है. 

ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने पिछले महीने एक संबोधन में खुद यह बात मानी. तेहरान में फिलहाल 15 मिलियन लोग बसते हैं, लेकिन जल्द ही इसे खाली कराने की नौबत आ सकती है. राष्ट्रपति ने माना कि हमारे पास अब कोई विकल्प नहीं. सैटेलाइट इमेज में भी यही बात दिख रही है. 

पहले ईरान में पानी की उपलब्धता कहीं बेहतर थी. इस देश का भूगोल पहाड़ी और बर्फीले इलाकों से जुड़ा है, इसलिए सदियों तक यहां पिघलती बर्फ और मौसमी नदियां रहीं. कई ऐतिहासिक शहर इन्हीं पुरानी जल प्रणालियों के कारण फले-फूले. पिछली सदी में भी कम बारिश के बाद भी पानी की तंगी नहीं हुई. आबादी कम थी और खेती भी ज्यादा नहीं होती थी. पहाड़ों की बर्फ पिघलकर नदियों-झीलों में जाती, जिससे शहरों का भी काम चलता रहता था. लेकिन आबादी बढ़ने के साथ ग्राउंड वॉटर ज्यादा खर्च होने लगा. क्लाइमेट चेंज ने कोढ़ में खाज का काम किया. अब हालात उलट हैं. 

Advertisement

इस देश में एक-दो नहीं, बल्कि लगातार छह सालों से सूखा पड़ रहा है. पिछली गर्मियों में टेंपरेचर बढ़ते हुए 50 पार कर चुका. राजधानी तेहरान की स्थिति और खराब है, जहां देश की 10 फीसदी आबादी बसती है. यहां आबादी के साथ ही जाहिर तौर पर पानी की जरूरत भी बढ़ रही है. ईरानी क्रांति से ठीक पहले यहां सालाना लगभग साढ़े तीन सौ मिलियन क्यूबिक मीटर पानी का इस्तेमाल हुआ, जबकि साल 2025 में यह बढ़ते हुए 1.2 बिलियन क्यूबिक मीटर पहुंच गया. ये तब है, जबकि तेहरान में फ्रेश वॉटर के स्त्रोत कम हैं. 

drought iran (Photo- Pixabay)
खेती-किसानी की वजह से भी ईरान में पानी की समस्या गहरा चुकी. (Photo- Pixabay)

शहर में पांच बड़े बांधों से पानी आता रहा, जिनमें से चार लगभग सूख चुके. माना जा रहा है कि असल स्थिति सैटेलाइट इमेज में दी गई तस्वीरों से भी कहीं ज्यादा खराब हो चुकी है. इसमें भी मुश्किल यह है कि लोगों तक पहुंच रहा पानी भी लीकेज, मिसमैनेजमेंट और चोरी की वजह से रास्ते में ही गायब हो जाता है ईरान की वॉटर एंड वेस्टवॉटर कंपनी ने माना कि सप्लाई हो रहा एक तिहाई पानी किसी न किसी तरह से बर्बाद हो जाता है और कन्ज्यूमर तक नहीं पहुंच पाता. 

Advertisement

ईरान में पानी पर सब्सिडी मिल रही है लेकिन यह बात भी मुश्किल ला रही है. सरकार ने पर कैपिटा 130 लीटर पानी तय किया लेकिन फ्री होने की वजह से ज्यादातर लोग 200 से 400 लीटर पानी इस्तेमाल कर रहे हैं. 

खेती-किसानी को भी जल संकट का जिम्मेदार माना जा रहा है. दरअसल, इस देश में 85 प्रतिशत अनाज घरेलू तौर पर उपजाया जाता है. इसी काम में कुल पानी का सबसे बड़ा हिस्सा उपयोग होता रहा. ये हाल तब है, जबकि ईरान की जीडीपी में कृषि का योगदान केवल 12 प्रतिशत रहा. 

पानी का संकट तेहरान तक सीमित नहीं, बल्कि लगभग दो दर्जन प्रांत इसकी जद में हैं. सितंबर में यहां बारिशों की शुरुआत होती है, लेकिन दर्जनों प्रांतों में अब तक बारिश की एक बूंद नहीं गिरी. स्थानीय कुएं सूखने की वजह से सैकड़ों गांव टैंकर के पानी पर निर्भर हैं या फिर पलायन कर रहे हैं.

iran pollution (Photo- AP)
जल संकट के बीच तेहरान में प्रदूषण का स्तर भी तेजी से बढ़ा. (Photo- AP)

वैज्ञानिक इसपर लंबे समय से चेतावनी देते रहे. ईरान में ग्राउंड वॉटर पहले से कम रहा, लेकिन जो मौजूद था, उसका भी बेहद तेजी से इस्तेमाल हुआ. वैज्ञानिक भाषा में इसे सब्सिडेंस कहते हैं, जिसमें खत्म हुआ पानी कभी रिकवर नहीं हो सकता. डेटा बताते हैं कि ईरान से 1.7 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी हर साल खत्म हो रहा है, जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकेगी. स्थिति ऐसी है कि ईरान पानी के मामले में दिवालिया होने की कगार पर है. 

Advertisement

तो क्या राजधानी शिफ्ट हो जाएगी

ईरान में जल संकट की वजह से राजधानी को तेहरान से हटाते हुए मकरान शिफ्ट करने की बात हो रही है. ईरान-पाकिस्तान के दक्षिण-पूर्वी किनारे पर यह ओमान के नजदीक एक शहर है. लेकिन यहां भी स्थिति खास अलग नहीं. मकरान में भी फ्रेशवॉटर के स्त्रोत कम हैं. हालांकि यहां समुद्री तट है, जिसे विकसित करने की संभावना है लेकिन इसके साथ भी समस्याएं हैं. यह क्षेत्र कुदरती आपदाओं के लिए संवेदनशील माना जाता रहा. राजधानी के रिसोर्स वहां पहुंच जाएं तो इमरजेंसी में उन्हें या दस्तावेजों को सुरक्षित रखना अपने में बड़ी चुनौती होगी.

इसके अलावा पूरी आबादी को तेहरान से हटाकर वहां बसाने में 9 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च आएगा जो कि ईरान के लिए फिलहाल संभव नहीं दिखता. ये देश आर्थिक तौर पर पहले जितना मजबूत नहीं रहा और अमेरिका की वजह से काफी सारे प्रतिबंध भी झेल रहा है. कुछ महीने पहले इजरायल से उसका संघर्ष भी काफी विवादित रहा, जिसके बाद उसपर पाबंदियां और बढ़ गईं. ऐसे में राजधानी बदलने में जो पैसे और वक्त लगेगा, ईरान फिलहाल उसके लिए तैयार नहीं दिखता. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement