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क्या अमेरिका में जन्मजात नागरिकता खत्म हो जाएगी, क्या है इसका घुसपैठ से संबंध?

अवैध शरणार्थियों को हटाने का वादा कर चुके डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद एक बड़े बयान दे रहे हैं. इसी कड़ी में उन्होंने कहा कि वे अमेरिका में जन्मजात नागरिकता को खत्म कर देंगे. संविधान में शामिल इस हक को खत्म करना आसान नहीं. साथ ही एक सवाल ये भी है कि बर्थराइट सिटीजनशिप की वजह से कैसे घुसपैठ कम हो सकेगी?

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डोनाल्ड ट्रंप घुसपैठियों को हटाने की तैयारी में हैं. (Photo- AP)
डोनाल्ड ट्रंप घुसपैठियों को हटाने की तैयारी में हैं. (Photo- AP)

अगले महीने डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. इससे पहले ही वे इमिग्रेशन पर अपने एजेंडा को लेकर घिरने लगे हैं. इसमें सबसे विवादास्पद है, जन्मजात नागरिकता के अधिकार को खत्म करना. संविधान के 14वें संशोधन के तहत ये हक लगभग डेढ़ सौ सालों से अमेरिका का हिस्सा है. ट्रंप का कहना है कि यह मुश्किल तो है लेकिन वे इसे खत्म कर देंगे. 

क्या है जन्मजात नागरिकता

जब भी किसी बच्चे की नागरिकता की बात होती है, तो पूरी दुनिया में दो ही नियम मिलेंगे. एक है- राइट ऑफ सॉइल. ये कहता है कि बच्चे का जहां जन्म हुआ हो, वो अपने आप वहां का नागरिक बन जाता है. दूसरा नियम है- राइट ऑफ ब्लड. यानी बच्चे के माता-पिता जहां के नागरिक हों, वो भी वहीं का माना जाए. कई देश ऐसे भी हैं, जो राइट ऑफ सॉइल पर ज्यादा फोकस करते हैं. वे हर उस बच्चे को अपने यहां की नागरिकता देते हैं, जो उनकी मिट्टी में जन्मा हो.

किन देशों में जन्म के आधार पर नागरिकता? 

30 से ज्यादा देश बर्थ राइट सिटिजनशिप को मानते हैं. इसमें अमेरिका सबसे ऊपर है. उसने 19वीं सदी में ही राइट ऑफ सॉइल की बात की थी और अपने यहां जन्मे बच्चों को अपना नागरिक बताने लगा था. इसके अलावा कनाडा, अर्जेंटिना, बोलिविया, इक्वाडोर, फिजी, ग्वाटेमाला, क्यूबा और वेनेजुएला जैसे कई मुल्क ये अधिकार देते रहे. हालांकि कई जगहें ज्यादा सख्त हैं. जैसे कई देशों में नागरिकता के लिए बच्चे के माता-पिता दोनों को वहां का होना चाहिए.

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birthright citizenship in america and connection with illegal immigrants donald trump wants to change photo Getty Images

फिर क्या होने लगा गड़बड़झाला

बहुत से गरीब देश या वे जगहें जहां लगातार युद्ध चल रहा हो, वहां के लोग अपने लिए ऐसी जगहें खोजने लगे, जहां राइट ऑफ सॉइल का नियम हो. अमेरिका पर इनकी तलाश पूरी हुई. ये बर्थ राइट सिटिजनशिप भी देता था और सबसे ताकतवर देश भी था. कमजोर देशों से भाग-भागकर पेरेंट्स यहां आने लगे और बच्चों को जन्म देने लगे. बाद में बच्चों के हवाले से पेरेंट्स भी वहां रुकने लगे. 

ये पेरेंट्स पढ़ाई, रिसर्च, छोटी-मोटी नौकरी के बहाने अमेरिका में रुकते, जब तक कि बच्चे का जन्म न हो जाए. इसके बाद वे तर्क करते कि बच्चा अगर छोटा है तो वे उसे छोड़कर कैसे जा सकते हैं. लिहाजा वे अपने रुकने की अवधि बढ़ाते या नागरिकता की मांग करने लगते. ये ट्रेंड बढ़ता ही जा रहा था. इसे बर्थ टूरिज्म कहा जाने लगा. लोग बच्चों की अमेरिकी नागरिकता की चाह में कैसी भी जुगत लगाकर वहां पहुंचने लगे. 

प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट कहती है कि साल 2016 में ढाई लाख से ज्यादा घुसपैठियों के बच्चों ने अमेरिका में जन्म लिया. 10 साल पहले ये आंकड़ा 36% ज्यादा था. इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि अमेरिका में बर्थ टूरिज्म कितना अधिक रहा होगा.

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इसे रोकने के लिए अमेरिका ने कई नियम बनाए 

- अमेरिका में जन्मा बच्चा भी 21 साल का होने से पहले अपने पेरेंट्स के ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन नहीं कर सकता. 

- संतान को ये साबित करना होगा कि वो इकनॉमिक तौर पर मजबूत है और पेरेंट्स यहां आकर अमेरिकी लोगों पर बोझ नहीं बनेंगे. 

- ग्रीन कार्ड मिलने के बाद भी पेरेंट्स नागरिकता के लिए 5 सालों बाद आवेदन कर सकते हैं.

birthright citizenship in america and connection with illegal immigrants photo AP

ट्रंप लगातार जन्मजात नागरिकता को घुसपैठियों के लिए चुंबक बताकर उसे खत्म करने की बात करते रहे. हाल में एक अमेरिकी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान उन्होंने एक बार फिर ये बात दोहराई. एक्सपर्ट्स का कहना है कि राष्ट्रपति के पास संविधान में बदलाव का अधिकार नहीं होता, हालांकि ट्रंप अपनी बात पर अड़े हुए हैं. संवैधानिक मुश्किल अगर हल हो भी जाए तो भी कई प्रैक्टिकल दिक्कतें हैं. मसलन, अमेरिका में जन्मे और वहां के वर्कफोर्स का हिस्सा बन चुके लोगों को वापस भेजना इकनॉमिक संकट ला सकता है. 

क्या 14वें संशोधन में बदलाव मुमकिन है

ज्यादा लीगल एक्सपर्ट मानते हैं कि इस संशोधन में बदलाव तब तक संभव नहीं है, जब तक कि संविधान में ही बदलाव न हो. इसके लिए कांग्रेस और स्टेट दोनों का ही सपोर्ट चाहिए. हालांकि ट्रंप के साथ रिपब्लिकन्स के टॉम कॉटन और मार्शा ब्लैकबर्न जैसे सीनेटर खड़े हैं. यानी बड़ा बदलाव हो भी सकता है. वैसे बर्थराइट सिटीजनशिप के नियम के चलते कनाडा जैसे देशों में भी बर्थ टूरिज्म बढ़ चुका है. यहां त तक कि पिछले समय भारतीय जोड़े भी इसे लेकर घिरे थे. 

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