दिल्ली शराब कांड में अरविंद केजरीवाल की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं. बुधवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर तीन दिनों की कस्टडी में ले लिया, जहां शराब घोटाले में उनके रोल की जांच होगी. लेकिन ये जांच ईडी भी पहले से कर रहा है. तो क्या दोनों के इनवेस्टिगेशन के मुद्दे अलग-अलग हैं, या फिर क्या केजरीवाल से सही ढंग से पूछताछ के लिए एक साथ दो-दो एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं?
25 जून को सीबीआई ने तिहाड़ जेल में केजरीवाल से बातचीत की और उनका बयान रिकॉर्ड किया. इसके बाद ये एक्शन लिया गया. अब ईडी से उनकी तुलना हो रही है. लेकिन दोनों केस के अलग-अलग पहलुओं की पड़ताल करेंगे. ईडी शराब घोटाले में धन के कथित लेन-देन की जांच करेगा, वहीं सीबीआई को सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार और रिश्वत लेने को साबित करना होगा.
क्या आरोप हैं ईडी के
ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर मार्च में केजरीवाल को गिरफ्तार किया. तब केजरीवाल पर एक ही आरोप था - कथित तौर पर पैसों का लेनदेन और उसका इस्तेमाल करना. मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 3, मनी लॉन्ड्रिंग को अपराध मानती है, इसमें पैसों को छुपाने, कब्जा करने, उसका उपयोग और गलत पैसों को बेदाग संपत्ति के तौर पर पेश करना जैसे अपराध शामिल हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी ने आरोप लगाया कि यह घोटाला थोक शराब कारोबार को निजी संस्थाओं को देने के लिए था.

सीबीआई किस केस में जांच कर रही
सीबीआई ने साल 2022 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) के तहत करप्शन का मामला दर्ज किया था, लेकिन यहां कुछ अलग था. इसमें केजरीवाल को आरोपी के तौर पर नहीं रखा गया था. मार्च में जब केजरीवाल हिरासत में लिए गए थे, तो एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा था पीएमएलए के तहत आरोपी होने के लिए किसी को पहले से तय अपराध में आरोपी होने की जरूरत नहीं.
अप्रैल में सीबीआई ने भी केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया, लेकिन ये गवाह के तौर पर था, न कि आरोपी के तौर पर.
आसान भाषा में समझें तो ईडी कथित मनी ट्रेल की जांच कर रहा है. केजरीवाल पर रकम बनाने और और उसका उपयोग करने के आरोप हैं. वहीं सीबीआई यह देख रही है कि इस मामले में करप्शन हुआ. इसके लिए उसे कथित रिश्वत का लेनदेन साबित करना होगा. अब तक उसका आरोप है कि उत्पाद शुल्क नीति के तहत लाइसेंसधारियों को गलत फायदा दिया गया, जैसे लाइसेंस की फीस में छूट देना, या अप्रूवल के बगैर लाइसेंस को आगे बढ़ाना.
सीबीआई ने अब जाकर केजरीवाल को क्यों गिरफ्तार किया गया
वैसे तो जांच एजेंसी के पास केजरीवाल को अरेस्ट करने का विकल्प था, लेकिन इससे पहले उसे कुछ ठोस सबूत चाहिए थे ताकि कथित घोटाले में उनका इनवॉल्वमेंट दिखाया जा सके. ईडी के मामले में भी सीधा-सीधा लिंक नहीं. उसने दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के कन्वेयर के तौर पर केजरीवाल को कथित दागी फंड से जोड़ते हुए आरोप लगाया. हालांकि, भ्रष्टाचार के मामले में यह कोई विकल्प नहीं.

कितनी मुश्किल हो सकती है जमानत
ईडी के पास पीएमएलए एक्ट की ताकत है. यह मनी लॉन्ड्रिंग को अपराध बनाता है. यह नॉनबेलेबल है, जिसमें जमानत देना पूरी तरह से कोर्ट का फैसला होगा. ईडी इस एक्ट के तहत बिना किसी वारंट के अभियुक्त को अरेस्ट कर सकता है, साथ ही लंबे वक्त तक हिरासत में रख सकता है.
वहीं सीबीआई को पीसी (प्रिवेंशन ऑफ करप्शन) एक्ट मजबूती दे रहा है. सरकारी तंत्र एवं पब्लिक ऑफिसों में करप्शन रोकने के लिए बने एक्ट में आरोपी जमानत मांग सकता है, हालांकि वो तब तक रिहा नहीं किया जा सकता, जब तक कि सरकारी वकील इस जमानत के खिलाफ कोई तर्क न दे दे.
क्या है नई शराब नीति, जिसे लेकर हो रहा बखेड़ा
नवंबर 2021 में आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में ये नीति लागू की. इस कारोबार में सरकारी संस्थाएं बाहर हो गईं, जबकि निजी कंपनियों को जगह मिली. दिल्ली सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी. हालांकि, ये नीति शुरू से ही विवादों में रही. जब बवाल ज्यादा बढ़ा तो जुलाई 2022 को सरकार ने इसे रद्द कर दिया.
जुलाई में सामने आया घोटाला
कथित शराब घोटाले का खुलासा जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से हुआ था. रिपोर्ट में उन्होंने मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए. दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की. इसके बाद सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को केस दर्ज किया. इसमें पैसों की हेराफेरी का आरोप भी लगा, इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया.